Chandrma Ka Hamare Jiwan Par Prabhav

ज्योतिष अनुसार चंद्रमा का जीवन पर प्रभाव - दीप रामगढ़िया 

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ज्योतिष आधार पर चर्चा करें तो चन्द्रमा को नैसर्गिक शुभ ग्रह कहा जाता है जिसकी प्रकृति सौम्य है । चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी ग्रह है और वैदिक ज्योतिष अनुसार जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव का कारक ग्रह है, जबकि जैमिनी ज्योतिष अनुसार चन्द्रमा का अध्ययन मातृ कारक ग्रह के रूप में किया जाता है । वृषभ राशि में चंद्रमा उच्च का होकर बलि और वृश्चिक राशि में नीच होने से कमज़ोर होता है , जबकि मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ शत्रु राशियां हैं इस नाते इन राशियों में भी चन्द्रमा कमज़ोर होने की वजह से शुभ फल देने में असमर्थ होता है । कमज़ोर चन्द्रमा वाला व्यक्ति मनोबल से कमजोर, जल्दी ही निराश होने वाला, समय पर भोजन ना करने वाला, शरीर में जल विकार के रोग जैसे के सर्दी जुकाम के रोग से पीड़ित होता है । जबकि अच्छा और शुभ चन्द्रमा व्यक्ति को घर परिवार के अच्छे सुख, संतान के अच्छे सुख, आर्थिक सुख , वाहन सुख देता है । Astrology field of study

चंद्रमा का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

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चन्द्रमा मन है, जल है, माता है, पिता से मिलने वाला लाभ है, सुख है, औषधी का कारक है, वस्तु का संग्रह है, खुबसुरती है, कला है, ऐकाग्रता है | कुण्डली में यदि चन्द्रमा कमज़ोर हो कमजोर चंद्रमा के लक्ष्ण तो जातक में एकाग्रता की कमी होती है, जातक लंबे समय तक टिक कर कोई काम कर नहीं सकता | जातक में चीज़ो को अच्छे तरीके से रखने की कला नहीं होती | यदि कुण्डली में चन्द्रमा शत्रु ग्रहो शनि, शुक्र, बुध से प्रभावित हो तो जातक का मन अशांत रहता है | Astrology chart

जन्म कुंडली में चंद्रमा इन भावो में देता है अशुभता 

House astrology वैदिक ज्योतिष अनुसार चंद्रमा जन्म कुंडली के 6, 8, 12 भाव में अपने कारक विषय अनुसार  अशुभ फल देता है | यह स्थिति जन्म कुंडली के इलावा चलित या नवमांश में भी हो सकती है | ऐसे जातक को चन्द्र खराब होने के लक्ष्ण धन संग्रह यानि जमापूंजी से जुडी समस्या, कामकाज में पैसा अटकने की समस्या, माता की तरफ से सुख का आभाव और वैवाहिक जीवन में भी सुख का आभाव होता है | इन भाव के इलावा 3 और 10 भाव में भी चंद्रमा धन और कामकाज से संबंधित समस्या देता है | Horoscope Topic

जन्म कुंडली में चंद्रमा इन राशि में देता है शुभ प्रभाव 

Astrological sign वैदिक ज्योतिष अनुसार जन्म कुंडली में चंद्रमा कर्क Moon in Cancer या सिंह राशि Moon in Leo का हो और शुभ ग्रह की दृष्टि में हो तो यह acting, teaching, real estate में जातक को अच्छी सफलता देता है | जबकि मेष राशी में चंद्रमा शुभ प्रभाव में हो तो जातक engineering में सफल हो सकता है , और वृश्चिक राशी का चंद्रमा शुभ प्रभाव में होने पर जातक को doctor या  astrologer बना सकता है |

कुंडली में चंद्रमा की ऐसी स्थिति देती है प्रेम विवाह 

जन्म कुंडली में चन्द्रमा और शुक्र युति या द्रिश्टी सम्बन्ध होने के कारण जातक कम आयु में ही प्रेम सम्बन्ध की और आकर्षित हो जाता है जिसकी वजह  से जातक के करीयर पर पढाई पर बुरा प्रभाव पडता है | और मंगल भी किसी रूप में पंचम या नवम भाव से संबंधित हो तो प्रेम विवाह भी होता है | Birth chart astrology

चंद्रमा की ऐसी स्थिति बनाती है doctor या astrologer
जन्म कुंडली में चन्द्र शनि युति या त्रिकोण संबंध हो तो भले ही पढाई में समस्या आएगी लेकिन इस युति को विष योग कहा गया है, यह युति चलित या नवमांश में भी हो सकती है | विष यानि chemical ऐसा जातक chemical sector में करियर के प्रयास करे तो सफलता मिलेगी | इसी तरह यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा नीच यानि वृश्चिक राशी का हो या अष्टम भाव का हो या फिर मंगल या केतु चतुर्थ भाव में हो, मतलब ऐसा जातक भावुक नहीं है, खून देख कर किसी को जख्मी देख कर घबराएगा नहीं, और ना ही किसी को कुछ कहने में घबराता है चाहे वह बात बुरी भी लगे तब भी वो कहेगा | ऐसा जातक doctor ya astrologer बन सकता है | चंद्रमा केतु युति या त्रिकोण संबंध भी ज्योतिषी बनाता है |

कुंडली में चंद्रमा की ऐसी स्थिति देती है तनाव और अकेलापन 

जन्म कुंडली में चन्द्रमा और शनि युति, त्रिकोण या द्रिश्टी सम्बन्ध होने के कारण जातक को एकाग्रता की कमी का सामना करना पडता है, जातक का मन नकारात्मक विचारों से घिरा रहता है, कमजोर चंद्रमा आयु कम करता है यानि व्यक्ति में आत्महत्या के विचार आते हैं,   समाज के साथ, दोस्तों के साथ घुल मिल नहीं सकता, वाहन चलाते वकत भी जातक में एकाग्रता की कमी होने के कारण वाहन से दुर्घटना होती है या फ़िर वाहन सुख मिलने में देरी होती है | ऐसा जातक अकेला रह जाता है, किसी भी कार्य के लिए सही फैसला  करने में बाधा आती है, सर्दी ज़ुकाम के रोग भी ऐसे जातक को होते है | Emotional disorder

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कुंडली में चंद्रमा की ऐसी स्थिति बनाती है वहमी और झगडालू 

जन्म कुण्डली में चन्द्रमा राहु या केतु के साथ हो या द्रिश्टी में हो तो मातृ दोष होता है | ऐसे जातक को माता का सुख नही मिलता, माता को सेहत समस्या का सामना करना पडता है | जातक खुद भी नकारात्मक विचारों से घिरा रहता है, या फ़िर कभी कभी सुसाईड करने जैसे विचार भी आने लगते हैं | ऐसे जातक को पानी कम पीने की आदत होती है, जिसकी वजा से जातक को चमड़ी से जुड़े रोग परेशान करते हैं  | शरीर में कैलशियम की कमी हो जाती है | जातक को तनाव में रहने के कारण आँखो पर चश्मा लग जाता है | अच्छे बुरे का भेद पता नही लगता यानि वहमी होता है | ऐसा जातक जीवनसाथी पर भी शक करता होता है | जबकि चंद्रमा केतु का संबंध उग्रता भी देता है, जातक को दुसरो को टोकने की आदत भी हो सकती है |  जातक का स्वभाव चिडचिडा रहता है | और जातक खुल कर कभी भी हंसता नहीं है | जातक असल दुनिया से दूर अपनी ही कल्पना की दुनिया में रहता है | चन्द्र केतु युति या त्रिकोण संबंध जातक को ज्योतिषी या डाक्टर बनने के योग भी देता है | विदेश यात्रा भी करवाता है | Deep Ramgarhia

कुंडली में चंद्रमा से बनने वाले शुभ अशुभ योग 

चंद्रमा और ज्योतिष! 12 राशियों में चंद्रमा कर्क राशी का स्वामी है | कर्क राशी दिल है | इंसान के पास एक ही दिल होता है, इस लिए चंद्रमा के पास एक ही राशी है | चंद्रमा जल तत्व को नियंत्रित करता है इस लिए चंद्रमा शरीर में खून को नियंत्रित करता है | Deep Ramgarhia

गजकेसरी नामक योग होता है! गज यानी हाथी और हाथी की देह विशाल होती है और भारी भी होता है । इस नाते जिसका वज़न बढ़ा हुआ होगा, चेहरे पर केसरिया चमक होगी । उसकी जन्म कुंडली में गजकेसरी योग यानी चंद्र गुरु एक भाव में या फिर चंद्र गुरु त्रिकोण संबंध लग्न, चलित या नवमांश कुंडली में होता है । गुरु मीठे रस का भी कारक है , ऐसे व्यक्ति को शुगर रोग का भी योग होता है । Deep Ramgarhia

अन्य एक विष नामक योग होता है! जो कि चंद्र शनि एक भाव में या चंद्र शनि त्रिकोण संबंध से बनता है । यह योग भी लग्न, चलित या नवमांश कुंडली में हो सकता है । ऐसे व्यक्ति की income कभी कम तो किसी महीने ज़्यादा हो जाती है, यानि ऐसा व्यक्ति नौकरी की बजाए खुद का business करता होता है । चंद्र खून और शनि धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, इस नाते ऐसे व्यक्ति को Low BP, Depression, मौसम बदलने पर सर्दी ज़ुकाम जैसी समस्या भी आती है ।

इसी तरह चंद्र शुक्र संबंध लग्न, चलित या नवमांश कुंडली में हो ऐसा व्यक्ति झूठ बोल कर रिश्ते जोड़ता है, झूठ बोल कर प्रेम संबंध बनाता है, शुक्र भी मीठे रस का कारक है ऐसे व्यक्ति को भी शुगर योग का भय होता है ।

इसी तरह केतु अवरोधक का कारक है, चंद्र केतु का संबंध लग्न, चलित या नवमांश कुंडली में हो तो व्यक्ति का पैसा अटकता है, financial problem आती है, और रक्त प्रवाह में अवरोध यानी heart attack योग बनता है ।

यह तो इस सभी जानकारी में हम ने आपको बताया कि ज्योतिष में चंद्रमा का महत्वमानव जीवन पर चंद्रमा का प्रभाव और कमजोर चंद्रमा के लक्ष्ण | आप इस जानकारी के माध्यम से समझ गये होंगे कि चंद्रमा का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है! 

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