Pitar Dosh Door Krne Ke Upay
जानिए पितर दोष दूर करने के आसान उपाये
दोस्तों हमारी पिछली पोस्ट में हम ने चर्चा की थी व्यक्ति के निजी जीवन में तथा जन्म कुण्डली में बन रहे पितर दोष के लक्षण के बारे में । अब इसी जानकारी को आगे बढाते हुए चर्चा करते हैं पितर दोष दूर करने के उपाये तथा पितर पक्ष के इन दिनों के दौरान कोनसे कार्य नहीं करने चाहिए । सब से पहले चर्चा करते हैं उपाये के बारे में, सब से पहले से ऐसी परिस्थिति जहाँ आकस्मिक दुर्घटना की वजह से वह जीवन यात्रा पूरी कर गए हो , ऐसी परिस्थिति में वह मोक्ष को प्राप्त नहीं होते ना ही उनको कर्म योनि की प्राप्ति होती है यानी दूसरा शरीर उनको नहीं मिलता और वह प्रेत योनि में चले जाते हैं , ऐसी स्थिति में वह अपने कुल परिवार में भी उतनी ही बड़ी समस्याओं का कारण बनते हैं । ऐसे में उपाये के तौर पर उनके लिए त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म किया जाता है , कि वह तीनों लोकों में कहीं भी विचरण कर रहे हों उनको मोक्ष की प्राप्ति हो ।
पितर दोष के उपाये : दूसरा पहलू जब वह खुद अपने जीवन में दुष्कर्म करके जाते हैं जैसे कि किसी की घर गृहस्थी को खराब करना जिसकी वजह से आपको भी घर गृहस्थी में समस्या आती है, किसी की ज़मीन पर नाजायज़ कब्ज़ा करना जिसकी वजह से आपको भी ज़मीन में सुख नहीं मिलते ज़मीन के झगड़े के नाम पर कोर्ट कचहरी तक बात पहुंच जाती है , या फिर उनके द्वारा किसी सर्प की हत्या जिसकी वजह से आपको भी बार बार सपने में सर्प दिखाई देते हैं , या फिर जन्म कुण्डली में कालसर्प दोष या फिर मंगल दोष बनते हैं । ऐसी स्थिति में किसी ब्राह्मण के सानिध्य में जन्म कुण्डली में बन रहे इन दोष जैसे कि सूर्य या चन्द्रमा से बनने वाले पितर दोष , मंगल दोष , गुरु चांडाल दोष या फिर काल सर्प दोष अगर हों तो विधि विधान से इनकी शांति करवानी चाहिए , हरिद्वार या गया जैसे तीर्थ में हवन तर्पण करते हुए योग्य ब्राह्मण को भोजन वस्त्र तथा उचित दक्षिणा देनी चाहिए ।
पितर दोष के अन्य उपाये : लेकिन अगर आपके लिए ऐसे उपाये करना संभव नहीं है तो आप अपने घर में भी दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों के निमित्त तिल मिला हुआ जल अर्पित करना चाहिए , इस के बाद किसी योग्य पात्र को जैसे कि कोई बुजुर्ग , कोई ब्राह्मण , पुरोहित , दामाद , भतीजा , या कोई अन्य योग्य पात्र हो उसको घर बुला कर सम्मान सहित भोजन करवाना चाहिए , भोजन में खीर ज़रूर शामिल हो , साथ में वस्त्र तथा कुछ दक्षिणा भी भेंट करें । जिस दिन आप पितरों के निमित्त कर्म कर रहे हैं उस दिन आपको भी एक समय भोजन करते हुए बाकी दिन दूध और फल का सेवन करना चाहिए , और पितर सूक्त का पाठ करना या सुनना चाहिए । अगर आपको उनके लिए श्राद्ध कर्म करने की तिथि मालूम नहीं है तो आप अमावस्या तिथि के दिन यह कार्य करें , क्योंकि अश्विन महीने की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या तिथि कहा जाता है । इस तरह श्राद्ध कर्म करते हुए आप अपने पितरों से घर की सुख शांति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं ।
You can also read this :
Shukra Greh Se Shubhta Prapti Ke Upay
Jiwansathi Se Sukh Prapti Ke Upay
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी : इस के इलावा कुछ अन्य उपाये पितर दोष शांति के लिए विशेष कर अगर ब्रहस्पति ग्रह पीड़ित होकर पितर दोष दर्शा रहा हो तो पितर पक्ष के इन दिनों में पीपल का पेड़ लगाएं , और 43 दिनों तक लगातार जल अर्पित करें देखभाल करें । और अगर जन्म कुण्डली में मंगल पीड़ित होकर पितर दोष दर्शा रहा हो तो पितर पक्ष के इन दिनों में सुंदरकांड का पाठ करें , और अगर आपकी जन्म कुण्डली में चंद्रमा पीड़ित होकर पितर दोष दर्शा रहा हो तो इन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें , और अगर आपकी जन्म कुण्डली में सूर्य पीड़ित होकर पितर दोष दर्शा रहा हो तो इन दिनों में सूर्य मन्त्र का जप करें , सूर्य को जल अर्पित करें , आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें । यह सब पितर दोष के घरेलू उपाये हैं जो आप घर पर रहते हुए कर सकते हैं । इन के इलावा इन दिनों में घर आये किसी ज़रूरतमंद को खाली नहीं जाने देना चाहिए , इन दिनों में गाय , कौए तथा कुत्ते को भी जल तथा भोजन की व्यवस्था करें । इन दिनों में ना किये जाने वाले कार्यो की चर्चा करें तो शुभ और मांगलिक कार्य जैसे कि घर बनाने के कार्य, वस्त्र तथा आभूषण खरीदने के कार्य शादी विवाह की बात करने के कार्य नहीं करने चाहिए । इस के इलावा निंदा चुगली पारिवारिक कलह मास मदिरा के सेवन से भी दूर रहते हुए शुद्ध और सात्विक जीवन इन दिनों में व्यतीत करना चाहिए ।