ज्योतिष अनुसार शुक्र का जीवन पर प्रभाव - दीप रामगढ़िया
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ज्योतिष अनुसार नवग्रहों में शुक्र को नैसर्गिक शुभ ग्रह कहा जाता है जो कि काम इच्छा तथा वासना का कारक है, इसकी प्रकृति कफ प्रधान है । ज्योतिष अनुसार शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशि का स्वामी है, और मीन राशि में उच्च बल जबकि कन्या राशि में नीच बल को प्राप्त होता है । इस के इलावा शत्रु ग्रह की राशियां जैसे कि मेष, सिंह और वृश्चिक में भी शुक्र शुभ फल देने में असमर्थ होता है ।
ज्योतिष अनुसार कमजोर और अशुभ शुक्र के लक्ष्ण
जन्म कुण्डली में शुक्र के पाप पीड़ित होने से भी ऐसे व्यक्ति को शुभ फल प्राप्ति में बाधा आती है । यदि जन्म कुण्डली में शुक्र पाप पीड़ित या अशुभ हो तो ऐसे व्यक्ति को स्त्री सुख की कमी, मूत्र अंगों से जुड़े रोग होना, जीवन में रत्न और आभूषण के सुख का अभाव होना , वस्त्रों का जल्दी खराब होना इस तरह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं , जबकि शुभ और अच्छा शुक्र व्यक्ति को हर तरह के भौतिक सुख, स्त्री सुख, भोजन वस्त्र आभूषण और वाहनों के सुख प्राप्त होते हैं ।
वैदिक ज्योतिष अनुसार शुक्र का महत्व
शुक्र ग्रह के मायने! कालपुरुष कुंडली में वृषभ और तुला दोनों राशियों को शुक्र एक साथ चलाता है । 2 यानी vision यानी वज़न, इंसान कितने सस्ते या महंगे वस्त्र पहनता है, मणि, माला, चांदी, सोना क्या धारण करता है, बोलता कैसे है, चलता कैसे है, भोजन करना आदि । और इन सब को तुला यानी तराज़ू में तोल कर बनती है हैसियत, फिर उसी तरह के लोग और हालात आसपास जुड़ने शुरू हो जाते हैं । सरल शब्दों में law of attraction यही है । घर के लोग यदि तनाव में रहेंगे तो दीवारों में दरारें, पपड़ी जमा होगी, घर की बेरंग दीवारें बता देंगी कि शुक्र खराब है । कुछ लोग कहेंगे कि वो है तो बहुत अच्छे और भले लेकिन इसके बावजूद उनके जीवन में परेशान लोग ही आते हैं, पैसा उधार मांगते हैं, जब भी call करते हैं किसी ना किसी समस्या में होते हैं । तो किसी लड़के के जीवन में परेशान महिलाएं ही आती हैं । तो वहां झट से समझ जाना चाहिए कि इसका शुक्र खराब है ।
शुक्र ग्रह का हमारे जीवन पर प्रभाव
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शुक्र हंसता खिलता चेहरा है, खूबसूरती है, अट्रैकशन है, विलासिता है, भोग है, खुशी है, शक्ति है, वासना है, उर्जा है, जवानी है, ऐशो आराम है | कुण्डली में जब शुक्र शत्रु राशि में या शत्रु ग्रह ( मंगल, चन्द्रमा, सुर्य, ) या इनकी द्रिश्टी में होता है तो विलासिता में कमी करता है या फ़िर सम्बन्धो में दिक्कत देता है |
शुक्र शनि का संबंध करता है भोतिक सुख में कमी
खास कर जब शुक्र शनि के साथ होता है या फ़िर शनि की राशी या द्रिश्टी में तो यह विलासिता में कमी करता है, इस में ज़रुरी नहीं के जातक के पास धन की कमी हो लेकिन जातक के पास धन होते हुये भी वो बियुटी प्रोडकटस पर ज़्यादा खर्च नही करता, इस योग में लडकी भी खास सज सवर कर रहना पसंद नहीं करती, जैसे के ऐसी लडकी नौकरी करने के कारण, जवैलरी पहनने का शोन्क नहीं रखती और बियुटी प्रोडकटस का भी कम इसतेमाल करती है, और अगर किसी लडके की कुण्डली में शुक्र शनि का ऐसा कोई सम्बन्ध है तो उसकी पत्नी में ऐसे गुण होते हैं |
शुक्र सूर्य का संबंध करता है विवाह में देरी
जब कुण्डली में शुक्र सुर्य की राशी में या सुर्य के साथ या सुर्य की द्रिश्टी में हो तब, ऐसे मानो जैसे सुर्य की गरमी के कारण जातक की काम शक्ति खतम हो जाती है, शुक्र कमज़ोर हो जाता है, जिस से विवाह में देरी होती है | लेकिन सुर्य शुक्र की युति जीवन साथी उच्च कुल का देती है | जब जन्म कुण्डली में शुक्र चन्द्रमा के साथ या राशी में या उसकी द्रिश्टी में हो तो जातक कम उम्र में ही प्रेम सम्बन्ध की और आकर्षित होने लग जाता है, जिसकी वजह से उसे मानसिक तनाव और पढ़ाई में समस्या का सामना करना पडता है, जातक का मन शिक्षा प्राप्ति से भटक जाता है, जातक अपनी खुबसूरती पर ज़्यादा ध्यान देने लग जाता है |
शुक्र मंगल का संबंध बनवाता है प्रेम संबंध
यदि जन्म कुण्डली में शुक्र मंगल के साथ हो या फ़िर मंगल की राशि या द्रिश्टी में हो तो जातक अपने धन का काफ़ी हिस्सा कपड़े और पर्फ़ियुम या फ़िर खुबसूरती बडाने वाले प्रोडकटस पर खर्च करता है, जातक जिम जाने का शौकीन होता है, ऐसा जातक लडकियो को आकर्षित करने वाला होता है, अच्छा वाहन रखने वाला होता है और हर तरह के समाजिक सुखो को भोगने वाला होता है, लेकिन अगर ऐसे जातक को सुखो का अभाव हो तो उसका कारण होगा जातक का गुस्सा और उसका अंहकार |
शुक्र गुरु का संबंध देता है घर परिवार के अच्छे सुख
जब कुण्डली में शुक्र ब्रहसपति के साथ या ब्रहसपति की राशि में या द्रिश्टी में हो तो जातक हर तरह के सामाजिक सुख प्राप्त करने वाला, एक अच्छा शिष्य होता है, चीज़ो को बारीकी से समझने वाला होता है, ऐसे जातक का ग्रहस्थ जीवन सुखद होता है या फ़िर जीवन साथी उनकी पसंद और रुची के अनुरूप होता है, ऐसे जातक समाज में सम्मान पाने वाले और विदेश यात्रा करने वाले भी होते हैं या फ़िर अपने गुणों के कारण विदेशों तक नाम और पैसा कमाते हैं, लेकिन यहाँ ब्रहसपति जातक को अहंकार का भाव देता है या फ़िर विलासिता अधिक हावी होने के कारण जातक में आलस्य में रहने लग जाता है |
अगर जन्म कुण्डली में शुक्र राहु के साथ या द्रिश्टी में हो तो ऐसे जातक को वाहन, विलासिता, सुख शोहरत, सम्मान और घर का सुख आसानी से नहीं मिलता और साथ ही स्त्रियों की वजह से परेशानी और दिक्कत का सामना या फ़िर स्त्री सुख पाने में भी दिक्कत होती है, और वाहन नया खरीदा तो वो जल्दी ही पुराना दिखने लग जाता है या फ़िर वाहन को बार बार चोट लगती है जिसकी वजह से उसकी चमक में कमी होती है |
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अच्छा शुक्र देता है चेहरे और घर को अलग ही रौनक
सौर मंडल में शुक्र सब से चमकीला और सुंदर ग्रह है । इस नाते कुंडली में शुक्र अच्छा होगा तो उस इंसान के घर की चमक अलग होगी, गली में भले ही 20 घर होंगे लेकिन वह घर अलग ही चमक वाला होगा कि हर कोई आकर्षित होगा । office में नौकरी करने वाले टिफ़िन लेकर जाते हैं , के भोजन का अलग ही स्वाद होगा कि मज़ा आ जाएगा । वहां झट से समझ जाना चाहिए कि उस बन्दे की कुंडली में या उसकी पत्नी की कुंडली में शुक्र अच्छा है । राक्षसों के गुरु हुए हैं शुक्राचार्य जिन के पास संजीवनी विद्या है । अस्पताल में मरीज़ crticial condiction में, सर्जरी तो होनी है लेकिन जान का खतरा है , ऐसे में जिस डॉक्टर का शुक्र अच्छा होगा वह मरीज़ की सफल सर्जरी कर सकता है, उस मरीज़ की मौत को वह डॉक्टर टाल सकता है ।
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