दौड़भाग भरी ज़िन्दगी में हर व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिरता को लेकर चिंतित रहता है। चाहे वह नौकरी में हो या कोई व्यापार चला रहा हो, हर कोई यह जानना चाहता है कि तरक्की पाने के लिए क्या करें? नौकरीपेशा लोग अक्सर यह जानने के इच्छुक होते हैं कि मनचाही नौकरी प्राप्ति में आ रही बाधा को कैसे दूर करें? वहीं, व्यापारी वर्ग अपने व्यापार में अपेक्षित लाभ न मिलने पर इस तलाश में रहते हैं कि व्यापार में बरकत के लिए क्या करना चाहिए?
इस लेख में हम ज्योतिष शास्त्र के गहरे रहस्यों के माध्यम से आपके आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा करेंगे। यहां, आप जानेंगे कि पैसों की तंगी दूर करने के लिए किन ज्योतिषीय उपायों को अपनाया जा सकता है, ताकि आर्थिक समृद्धि और सफलता का आनंद लिया जा सके।
आपके पास आमदनी का साधन तो है लेकिन सिर्फ घर के राशन तक का खर्च चल रहा है। आमदनी में तरक्की और बरकत का अभाव है क्योंकि आपकी जन्म कुंडली में यह तीन भाव कमज़ोर या अशुभ ग्रहों से प्रभावित हैं।
नंबर एक जन्म कुंडली का एकादश भाव
आप जिस तरक्की और बरकत की इच्छा रखते हैं, वह जन्म कुंडली के एकादश भाव से संबंधित है। इसलिए, एकादश भाव में स्थित ग्रह, भावेश (स्वामी ग्रह) और कारक ग्रह (जैसे गुरु) की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। जन्म कुंडली के एकादश भाव में स्थित ग्रह विशेष रूप से परिवार की तरक्की और बरकत को प्रभावित करते हैं।
उदाहरण के लिए, एकादश भाव में वक्री गुरु या वक्री शनि, मिथुन या कन्या राशि में गुरु, सिंह या वृश्चिक राशि में शनि, सिंह या वृश्चिक राशि में राहु, या सिंह या वृश्चिक राशि में शुक्र—ये कुछ ऐसी ग्रह स्थितियाँ हैं, जिन्हें अनुभव में देखा गया है कि इनके प्रभाव से नौकरी और कारोबार में तरक्की और बरकत की कमी होती है।
इसके अतिरिक्त, भावेश यानी स्वामी ग्रह की स्थिति भी महत्वपूर्ण है। जैसे, जन्म कुंडली में एकादश भाव का स्वामी नीच, अस्त, वक्री, शत्रु राशि में, या 6, 8, 12 भाव में स्थित हो, तो भी नौकरी और कारोबार में तरक्की और बरकत में कमी देखी गई।
यदि आप भी नौकरी या कारोबार में तरक्की में आने वाली बाधाओं से प्रभावित हैं, तो अपनी जन्म कुंडली के एकादश भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति, भावेश यानी स्वामी ग्रह, और कारक ग्रह (गुरु) की स्थिति अवश्य देखें। इससे संबंधित ग्रह के उपायों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कमेंट करके जरूर बताएं, ताकि हम आपकी सहायता कर सकें।
नंबर दो जन्म कुंडली का दसम भाव
क्योंकि यह एकादश भाव का भूतकाल है, यानी बीता हुआ समय। और आप इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि बीता हुआ कल आपके वर्तमान को प्रभावित नहीं करता। वास्तव में, आपकी वर्तमान स्थिति आपके अपने ही कर्मों का परिणाम है।
उदाहरण के लिए, जिन लोगों ने समय रहते अपनी प्रतिभा को पहचाना और उसी नौकरी या कारोबार में मेहनत जारी रखी, वे लोग समय के साथ तरक्की करते चले गए। वहीं, जिन लोगों को अपनी प्रतिभा और कार्य-कुशलता को लेकर हमेशा दुविधा रही, उनका संघर्ष समय के साथ बढ़ता चला गया, और वे कभी तरक्की नहीं कर पाए।
इसलिए, दसम भाव में स्थित ग्रह, भावेश (स्वामी ग्रह) और कारक ग्रह (जैसे शनि) की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। जन्म कुंडली के दसम भाव में स्थित ग्रह विशेष रूप से नौकरी कारोबार को प्रभावित करते हैं।
उदाहरण के लिए, दसम भाव में सूर्य राहू युति, चन्द्र केतु युति, मंगल शनि युति, सिंह या वृश्चिक राशि में राहु, सिंह या वृश्चिक राशि में शुक्र—ये कुछ ऐसी ग्रह स्थितियाँ हैं, जिन्हें अनुभव में देखा गया है कि इनके प्रभाव से नौकरी और कारोबार में समस्या होती है।
इसके अतिरिक्त, भावेश यानी स्वामी ग्रह की स्थिति भी महत्वपूर्ण है। जैसे, जन्म कुंडली में दसम भाव का स्वामी नीच, अस्त, वक्री, शत्रु राशि में, या 6, 8, 12 भाव में स्थित हो, तो भी नौकरी और कारोबार में समस्या आती है। इसी लिए नौकरी कारोबार का चयन दसम भाव से संबंधित ग्रहों के अनुसार करना चाहिए।
यदि आप भी नौकरी या कारोबार की समस्या से प्रभावित हैं, तो अपनी जन्म कुंडली के दसम भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति, भावेश यानी स्वामी ग्रह, और कारक ग्रह (शनि) की स्थिति अवश्य देखें। इससे संबंधित ग्रह के उपायों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कमेंट करके जरूर बताएं, ताकि हम आपकी सहायता कर सकें।
नंबर तीन जन्म कुंडली का पंचम भाव
क्योंकि यह एकादश भाव का साँझीदार भी है यानी एकादश से सप्तम। और आप खुद भी इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि आपकी तरक्की और बरकत में आपका कोई भी साँझीदार नहीं है। बल्कि जन्म कुंडली का पंचम भाव तो रोमांस, पैशन या आनंद का है।
उदाहरण के लिए, जिन लोगों ने अपने पैशन, रुचि, या आनंद के अनुसार नौकरी या कारोबार का चयन किया और उसमें लगातार बने रहकर तरक्की हासिल की, वे सफल रहे। इसके विपरीत, जो लोग सिर्फ समाज की देखा-देखी या पैसे की चमक से प्रभावित होकर किसी भी नौकरी या कारोबार में प्रवेश कर गए, वे अपनी रुचि और पैशन के अभाव में वहां मेहनत नहीं कर पाए, और इसलिए उनकी तरक्की भी नहीं हुई। इसलिए यह भी जरूरी है कि आपका नौकरी या कारोबार आपके पैशन, रुचि और आनंद के अनुसार हो।
इसके अतिरिक्त, भावेश यानी स्वामी ग्रह की स्थिति भी महत्वपूर्ण है। जैसे, जन्म कुंडली में पंचम भाव का स्वामी नीच, अस्त, वक्री, शत्रु राशि में, या 6, 8, 12 भाव में स्थित हो, तो रूचि अनुसार नौकरी कारोबार ना होने की समस्या आती है। इसी लिए नौकरी कारोबार का चयन पंचम भाव से संबंधित ग्रहों के अनुसार करना चाहिए।
यदि आप नौकरी कारोबार रूचि अनुसार ना होने की समस्या से प्रभावित हैं, तो अपनी जन्म कुंडली के पंचम भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति, भावेश यानी स्वामी ग्रह, और कारक ग्रह (गुरु) की स्थिति अवश्य देखें। इससे संबंधित ग्रह के उपायों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कमेंट करके जरूर बताएं, ताकि हम आपकी सहायता कर सकें।
हम उम्मीद करते हैं कि हमारे इस पोस्ट के माध्यम से आप समझ गए होंगे कि जन्म कुंडली के कोनसे तीन भाव नौकरी में तरक्की और कारोबार में बरकत के लिए ज़रूरी हैं। यदि आप तरक्की और बरकत के उपाय जानना चाहते हैं तो जन्म कुंडली में इन तीन भावों (पंचम, दसम और एकादश) में ग्रहों की स्थिति, भावेश यानी स्वामी ग्रह की स्थिति और कारक ग्रह (गुरु, शनि) की स्थिति कैसी है कमेंट के माध्यम से हमारे साथ सांझी करें जिस से जन्म कुंडली अनुसार उपाय जानने में हम आपकी सहायता कर सकें।
बहुत अच्छी जानकारी अपने साझा की है जिसको हम अपने जीवन में अमल लाकर के अपने जीवन में सुख समृद्धि ला सकते हैं धन्यवाद
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