Lagan Bhav Me Rahu Ke Fal Aur Upay
जन्म कुण्डली का यह भाव सूर्य और मंगल से प्रभावित होता है , यह दोनों ही ग्रह राहु के शत्रु हैं इस वजह से यहाँ विराजमान राहु को इन ग्रहों का सहयोग नहीं मिलता । जैसे कि ऐसे जातक को किसी भी कार्य में पिता और भाई बंधुओं की तरफ से सहयोग नहीं मिलता । ऐसे जातक को पेट से जुड़े रोग 42 वर्ष की आयु तक परेशान करते हैं, भाई बंधुओं के साथ धन के लेन देन को लेकर हमेशा परेशानी बनी रहती है , ऐसे जातक को 7, 19, 31, 43वे वर्ष में एक बार सर पर गंभीर चोट लगती हैं या फिर इन वर्ष में आंखों की दृष्टि कमज़ोर होती है और चश्मा लगता है । यहाँ राहु वृश्चिक या मीन राशि का हो तो ऐसा जातक किसी भी कार्य को शुरू तो कर लेता है लेकिन किसी ना किसी कारण वश वह कार्य अधूरा ही छोड़ देता है । ऐसे जातक की 21 और 22 वर्ष की आयु में पिता को प्रतिष्ठा प्राप्ति से संबंधित बाधा आती है, ऐसे जातक की 19 वर्ष की आयु में शिक्षा प्राप्ति में बाधा आती है, साथ ही ऐसा जातक जब भी घर बनाता है, घर में कंस्ट्रक्शन के कार्य होते हैं, पुत्र संतान के जन्म के आसपास भी जातक को धन और रिश्तों में समस्या आती है । खास कर ऐसे जातक को सर पर नीले रंग की टोपी धारण करना, नीले रुमाल या नीली पगड़ी धारण करना कामकाज में समस्या देता है, इसी लिए ऐसे जातक को खास कर विधवा या अविवाहित महिलाओं से दूरी रखनी चाहिए, घर पर नोकर नहीं रखना चाहिए , और जीवन में कभी भी ससुराल वालों से बिजली के उपकरण नहीं लेने चाहिए । इस के इलावा ऐसे जातक को 28 से 32 वर्ष के दरमियान भी नोकरी / कारोबार में समस्या आती है, भाई बंधुओं से रिश्ते खराब होते हैं । ज्योतिष अनुसार लग्न भाव में विराजमान राहु के बारे में यह भी कहा गया है कि ऐसी जन्म कुण्डली में सूर्य जिस भी भाव में होता है उस भाव के फल ज़रूर खराब होते हैं । और अगर 1, 3, 5, 7, 9 और 11वे भाव में राहु के शत्रु ग्रह हों तो परिणाम और भी अशुभ होते हैं । जबकि अगर राहु की स्थिति लग्न भाव में मित्र राशि में हो, राहु योगकारक हो, राहु पर योगकारक ग्रहों की दृष्टि हो इस सब स्थिति में राहु जातक के कामकाज और प्रतिष्ठा की वृद्धि भी करता है । ऐसे जातक को रोग के समय आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करना चाहिए, क्योंकि अंग्रेजी दवाइयों के सेवन से जातक को बेचैनी और घबराहट होने लगती है, ऐसे जातक को चाहिए कि वह खुशी के हर अवसर पर नमकीन चीजों का दान ज़रूर करे । ऐसी जन्म कुण्डली में लग्न या सप्तम भाव में सूर्य या मंगल की स्थिति हो तो पिता और सरकार से समस्या, संतान प्राप्ति में बाधा आती है , जबकि लग्न या सप्तम भाव में चन्द्रमा या शुक्र की स्थिति हो तो घरेलू जीवन कलहपूर्ण होता है । और अगर शनि किसी भी भाव में होकर अशुभ प्रभाव में हो तो जातक को बेरोजगारी की स्थिति का सामना करना पड़ता है । लग्न भाव के साथ 11वे या 12वे भाव पर भी अशुभ और पापी ग्रहों का प्रभाव हो तो जातक का जीवन दरिद्र और नीरस होता है, विवाह में देरी और धन से विहीन ऐसा जातक होता है । बुरी आदतें जल्दी से नहीं जातीं, बेवजह आरोप ऐसे जातक पर बार बार लगते हैं, और ऐसे जातक पर लोग विश्वास भी नहीं करते ।
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लग्न / पहले भाव में विराजमान राहु से शुभता प्राप्ति के उपाये
* सर पर कच्चे दूध का तिलक 43 दिनों तक करें ।
* सर पर कभी कभी सफेद टोपी / रुमाल / पगड़ी धारण करें ।
* जौ, नारियल, कोयला, सुरमा, सियाही जो भी संभव हो जल प्रवाह करें ।
* रात्रि को सोते समय मूली सिरहाने रखें और सुबह उसका दान करें ।
* गले में चांदी की चेन किसी भी सोमवार को धारण करें ।