Lagan Bhav Me Ketu Ke Fal Aur Upay

 Lagan Bhav Me Ketu Ke Fal Aur Upay 

लग्न / पहले भाव में विराजमान केतु के फल और उपाये

जन्म कुण्डली का यह भाव सूर्य और मंगल से प्रभावित होता है, यह दोनो ही ग्रह केतु के मित्र हैं क्योंकि केतु पुत्र प्राप्ति के माध्यम से वंश वृद्धि करता है और मंगल के जैसे केतु का स्वभाव है । लेकिन केतु जिस राशि में विराजमान हो उस ग्रह के जैसे प्रभाव जन्म कुण्डली में देता है, जैसे कि लग्न भाव में केतु मंगल या शुक्र की राशि में हो तो ऐसे जातक को स्त्री सुख प्राप्ति की इच्छा ज़्यादा हो जाती है जिसकी वजह से केतु जीवन के बाकी विषयों में सफलता प्राप्ति में बाधक बन जाता है, साधारणतया ऐसे जातक को पशु पक्षियों से स्नेह होता है, हो सकता है ऐसा जातक कुत्ता रखने का भी शौकीन हो । लेकिन भांजे, साले और पुत्र प्राप्ति के बाद से केतु शुभ फल देना बंद कर देता, क्योंकि केतु निशान का कारक है इस लिए ऐसे जातक के सर पर चोट का निशान या फिर बालों की समस्या होती है, खास कर 13, 25, 37, 49वे वर्ष में केतु शारीरिक कष्ट देता है, इन वर्ष में यात्रा के माध्यम से चोट के योग होते हैं, खास कर यदि यह यात्रा भांजे, साले या पुत्र के साथ हो तो योग और भी प्रबल होते हैं । ऐसे जातक के घर में यदि कुत्ता हो तो जातक की 22 वर्ष की आयु में पिता पर झूठे आरोप की वजह से जेल तक जाने का योग होता है , और इसी तरह 28 से 32 वर्ष के दरमियान जातक के भाई को उसके घरेलू जीवन में समस्या या दुर्घटना में चोट  आती है । इसके इलावा ऐसे जातक की आयु जब 22 और 28 से 32 वर्ष के दरमियान हो तो घर बनने के कार्य होते हैं, वाहन की प्राप्ति होती है, जो कि केतु के शुभ फल हैं, लग्न भाव में केतु यदि योगकारक ग्रह की राशि में हो या फिर शुभ ग्रहों के द्वारा देखा जा रहा हो तो फल और भी शुभ होते हैं, लग्न भाव में केतु हो और 1, 3, 5, 7, 9, 11वे भाव में केतु के मित्र ग्रह ( सूर्य, चंद्रमा, मंगल, ब्रहस्पति ) हो तो भी फल शुभ होते हैं, ऐसे जातक को पिता और भाई बंधुओं के साथ रहते हुए ही तरक्की और सुख प्राप्त होते हैं । लग्न भाव में केतु हो और छठे भाव में चंद्रमा या बुध हो तो बहन का विवाह जातक की 25 वर्ष की आयु में होने के योग होते हैं , लग्न भाव में केतु हो और पंचम या सप्तम या बाहरवें  भाव में मंगल या शुक्र हो तो ऐसे जातक को स्त्री सुख देरी से मिलते हैं, विवाह में बाधा आती है । जबकि ऐसी जन्म कुण्डली में पंचम नवम या एकादश भाव में बुध या ब्रहस्पति हो तो ऐसे जातक की शिक्षा में बाधा आती है । ऐसे जातक को धर्म ज्योतिष और अध्यात्म की तरफ जाने से तरक्की मिलती है । केतु से शुभता प्राप्ति के लिए ऐसे जातक को चाहिए 22 और 28 से 32 वर्ष में घर की छत को गिरा कर दोबारा ना बनवाएं, लेकिन नया घर बनाना हो तो बनवा सकते हैं । ऐसी जन्म कुण्डली में बुध की स्थिति 5, 7, 9 या 11वे भाव में हो तो बहन दुखी रहती है , ऐसे जातक को खुद के आर्थिक सुख के लिए बहन की मदद करनी चाहिए । ऐसी जन्म कुण्डली में 3, 9 या 12वे भाव में शुभ ग्रह हो तो विदेश जाकर ऐसा जातक सुख प्राप्त करता है, ऐसे जातक को विदेश जाने के प्रयास ज़रूर करने चाहिए , और सब से महत्वपूर्ण बात है कि साँझीदार या जीवनसाथी , प्रेमी / प्रेमिका को धोखा ना दे ।

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लग्न / पहले भाव में विराजमान केतु से शुभता प्राप्ति के उपाये

* घर में कुत्ता ना रखें बल्कि आवारा कुत्तों के लिए जल और भोजन की व्यवस्था करें ।

* लाल और मैरून रंग के वाहन से परहेज़ करें ।

* गले में चांदी की चेन किसी भी सोमवार को धारण करें ।

* स्वास्थ्य के लिए तेज़ मसाले, चाय, काफी से परहेज़ करें ।

* घर में बहते हुए जल का चित्र लगाएं ।

Deep Ramgarhia

blogger and youtuber

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