Lagan Bhav Me Guru Ke Fal Aur Upay

 Lagan Bhav Me Guru Ke Fal Aur Upay 

लग्न / पहले भाव में विराजमान ब्रहस्पति के फल और उपाये

जन्म कुण्डली का यह भाव सूर्य और मंगल से प्रभावित होता है । यहाँ ब्रहस्पति दिग्बली होकर मज़बूत होता है और शुभकारी परिणाम देता है लेकिन शर्त यह है कि ब्रहस्पति यहाँ मित्र राशि में होना चाहिए और शत्रु ग्रहों से पीड़ित नहीं होना चाहिए । इस तरह की ब्रहस्पति की शुभ स्थिति हो तो व्यक्ति की शिक्षा भले ही कम हो लेकिन कार्य कुशलता , मेहनत और प्रतिष्ठा अच्छी होती है । ऐसे जातक को 16 वर्ष की आयु से ही कुछ घरेलू कारणों की वजह से धन प्राप्ति की तरफ जाना पड़ता है, खास कर अगर ऐसी जन्म कुण्डली में सूर्य खराब स्थिति में हो तो शिक्षा प्राप्ति में बाधा ज़रूर आती है और कम आयु से ही नोकरी करनी पड़ती है लेकिन आगे विवाह के बाद से खुद का व्यवसाय भी करते हैं और काफी प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं । इस के इलावा यदि ब्रहस्पति की स्थिति लग्न भाव में हो और 3, 5, 7, 9, 11वे भाव में शत्रु ग्रह ( बुध, शुक्र, शनि, राहु ) की स्थिति हो तो ऐसे जातक को भी निजी जीवन और नोकरी / कारोबार में भी समस्या आती है । इस तरह ब्रहस्पति खराब वाले को सूर्य के अरसे यानी 21 और 22वे वर्ष में मानहानि के योग होते हैं, शिक्षा प्राप्ति में बाधा आती है , अगर नोकरी में हो तो बेरोजगारी की स्थिति बनती है , इस के इलावा पुत्र संतान की प्राप्ति के आसपास भी ऐसे व्यक्ति की तरक्की में बाधा आती है । इस के इलावा मंगल के अरसे यानी 28 से 32 वर्ष के दरमियान निजी जीवन में ग्रहस्थ जीवन में परेशानी आती है, प्रतिष्ठा प्राप्ति में बाधा, बेरोजगारी की स्थिति , भाई बंधुओं से संबंध खराब होते हैं , इस के साथ ही जब भी ऐसा व्यक्ति घर बनाता है तो भी 3 महीनों के बाद से उसको नोकरी / कारोबार को लेकर समस्या शुरू हो जाती है । जबकि लग्न भाव में ब्रहस्पति मित्र राशि, उच्च राशि, अपनी राशि में हो , और 3, 5, 7, 9, 11वे भाव में मित्र ग्रह ( सूर्य, चंद्रमा, मंगल ) हों तो ब्रहस्पति शुभ फल देते हुए घरेलू जीवन और नोकरी / कारोबार में भी प्रतिष्ठा की वृद्धि करता है । ऐसे व्यक्ति के लिए जीवन का 16, 21, 22वा वर्ष उसके बाद 28 से 32 वर्ष के दरमियान अच्छी तरक्की होती है, साथ ही पुत्र संतान की प्राप्ति के आसपास और जब भी घर बनाने के कार्य होते हैं तब भी ऐसे व्यक्ति की प्रतिष्ठा और धन की वृद्धि होती है । ब्रहस्पति की शुभता प्राप्ति के लिए ऐसे जातक को चाहिए कि वह एक ही जगह बैठ कर किये जाने वाले कार्य करे , अविवाहित या विधवा बुआ या बहन को अपने घर में ना रखे, हरे, नीले और काले रंग के वस्त्रों से परहेज़ करें, घर पर नोकर ना रखें, ससुराल वालों से कभी बिजली के उपकरण ना लें । लग्न भाव में ब्रहस्पति खराब फल देता है तो जातक की प्रतिष्ठा उसके ज़्यादा बोलने की आदत की वजह से खराब होती है, इस लिए ऐसे जातक को कम बोलने की आदत होनी चाहिए, बिना मांगे किसी को सलाह भी देने से परहेज़ करें । अगर किसी कारण वश लग्न भाव का ब्रहस्पति फल ना भी दे रहा हो तो भी विवाह के बाद ब्रहस्पति के शुभ फल मिलने लगते हैं , और विवाह के बाद से घरेलू जीवन, नोकरी / व्यवसाय में भी तरक्की होती है । 

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लग्न / पहले भाव में विराजमान ब्रहस्पति से शुभता प्राप्ति के उपाये

* घर की छत पर बारिश का पानी या दूध रखें ।

* घर के मंदिर में चांदी के पात्र में सिंदूर रखें ।

* मस्तक पर केसर या हल्दी का तिलक 43 दिनों तक करें ।

* ससुराल वालों से कभी भी बिजली के उपकरण ना लें ।

* दान के रूप में किसी से कोई वस्तु स्वीकार ना करें । 


Deep Ramgarhia

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