Dusre Bhav Me Surya Ke Fal Aur Upay
यहां विराजमान सूर्य पर ब्रहस्पति और शुक्र का प्रभाव होता है, जिन में शुक्र सूर्य का शत्रु ग्रह है जबकि बृहस्पति मित्र ग्रह है , क्योंकि शुक्र भोग विलास का कारक है और सूर्य जैसा राजसिक ग्रह द्वितीय भाव में आकर इन कारक विषयों की वजह से कमज़ोर हो जाता है जबकि बृहस्पति ज्ञान का कारक ग्रह है इस नाते यदि द्वितीय भाव सूर्य वाले जातक को गुरुजनों का सानिध्य मिले तो जातक निश्चय ही अच्छी कैरियर प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाला होता है । ज्योतिष अनुसार द्वितीय भाव परिवार और आय के साधनों का होता है और सूर्य का संबंध मेडिकल विद्या से है इस नाते ऐसे जातक के घर परिवार में कोई ना कोई सदस्य मेडिकल विद्या से जुड़ा होता है, इस के साथ ही सूर्य कालपुरुष कुण्डली में पंचमेश होने के कारण ऐसे जातक की माता या जातक का पिता अध्यापक भी हो सकता है । द्वितीय भाव में विराजमान सूर्य पर किसी शत्रु ग्रह का दुष्प्रभाव ना हो तो ऐसा जातक 22वे वर्ष के आसपास धन कमाना शुरू कर देता है , इस के साथ ही जीवन के 16 और 25वा वर्ष भी शुभकारी साबित होते हैं । लेकिन यदि द्वितीय भाव में विराजमान सूर्य पर शुक्र, शनि, राहु या केतु का दुष्प्रभाव हो तो ऐसे जातक को आंखों से जुड़े रोग की संभावना होती है । द्वितीय भाव में सूर्य दुष्प्रभाव दे रहा हो तो सूर्य की दशा में विवाह और संतान प्राप्ति में भी बाधा आती है, इस के साथ ही द्वितीय भाव आय का भाव होने के कारण यहाँ विराजमान अशुभ सूर्य आय प्राप्ति में भी समस्या देता है । इसके इलावा ज्योतिष में सूर्य को क्रूर ग्रह कहा जाता है इस नाते द्वितीय भाव में सूर्य जन्म कुण्डली में हो तो ऐसे व्यक्ति की वाणी में ही क्रोध और अंहकार झलकता है, ऐसे लोग घूमने फिरने के शौकीन नहीं होते, ना ही इनको दूसरे लोगों द्वारा दी गई सलाह पसंद आती है, यह हमेशा खुद की ही मर्ज़ी से सब कार्य करने के इच्छुक होते हैं । एक अन्य योग अनुसार द्वितीय भाव में विराजमान सूर्य का संबंध बुध या बृहस्पति से बने तो ऐसे व्यक्ति को शेयर बाजार से भी मुनाफा होता है, जबकि पापी ग्रहों की दृष्टि भी हो तो ऐसा व्यक्ति शेयर बाजार में बार बार नुकसान उठाता है । अन्य योग अनुसार यदि किसी की जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में सूर्य शत्रु राशि में हो या फिर सूर्य पर शत्रु ग्रहों का प्रभाव हो और साथ ही जन्म कुण्डली मब शुक्र भी अशुभ प्रभाव में हो तो ऐसे व्यक्ति के विवाह होने में बाधा आती है या फिर विवाह होने के बाद भी जीवनसाथी से सुख की प्राप्ति नहीं होती । इस नाते ऐसे व्यक्ति को ऐसी समस्या के निदान हेतु जन्म कुण्डली में विराजमान सूर्य और शुक्र दोनों ग्रहों के उपाये करने की ज़रूरत होती है ।
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द्वितीय भाव में विराजमान सूर्य से शुभता प्राप्ति के उपाये
* गुरुवार के दिन मस्तक, ज़ुबान, नाभि पर हल्दी का तिलक करें ।
* रविवार के दिन गुड़ और दलिये का दान मंदिर या गोशाला में करें ।
* तांबे का बिना छेद वाला सिक्का हमेशा अपने साथ रखें ।
* शनिवार के दिन सरसों का तेल, नारियल, बादाम, काले वस्त्रों का दान करें ।
* गुरुवार के दिन किसी भी रूप में धर्मस्थल में सफाई के कार्य करें ।