Dusre Bhav Me Chandrma Ke Fal Aur Upay

Dusre Bhav Me Chandrma Ke Fal Aur Upay 

जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में  चंद्रमा के फल और उपाये

जन्म कुण्डली का यह भाव ब्रहस्पति और शुक्र से प्रभावित होता है । जिन में ब्रहस्पति का चंद्रमा से शत्रुता संबंध है जबकि शुक्र से मित्रता संबंध है । और शुक्र आर्थिक सुख धन संपदा का कारक है इस नाते ऐसे जातक को पैतृक धन संपदा के अच्छे सुख प्राप्त होते हैं, लेकिन शिक्षा या ग्रहस्थ जीवन दोनों में से किसी एक में समस्या ज़रूर होती है, खास कर यदि 4th या 5th भाव में अशुभ ग्रह हों तो शिक्षा प्राप्ति में बाधा आती है, और यदि 7, 11, 12वे भाव में अशुभ ग्रह हों तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है । इस के इलावा जन्म कुण्डली में शुक्र किसी भी भाव में होकर खराब हो तो विवाह में देरी होती है, जबकि ब्रहस्पति किसी भी भाव में होकर अशुभ हो तो नोकरी / व्यवसाय के सुख खराब होते हैं । इस के साथ ही अगर यहां चंद्रमा शत्रु राशि का हो या फिर 1, 2, 3rd भाव में सूर्य /  शनि / राहु / केतु हो तो भी चंद्रमा के फल अशुभ जानने चाहिए , जबकि यहाँ चंद्रमा की स्थिति मित्र राशि में हो या फिर चंद्रमा शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो तब चंद्रमा के फल शुभ जानने चाहिए । ऐसी जन्म कुण्डली में सप्तम भाव पर कोई दुष्प्रभाव ना हो तो ऐसे जातक / जातिका का विवाह 20 वर्ष से पहले होने के योग होते हैं, ऐसे जातक को माता पिता की तरफ से मिले उपहार या पैतृक धन संपदा , पुराने ज़ेवर या पुराने बर्तन कभी भी बेचने नहीं चाहिए , साथ ही ऐसे जातक को घर में 7 सफेद घोड़ों की फोटो लगाना शुभकारी परिणाम देता है । ऐसा जातक जब तक माता को साथ रखे तब तक उसके धन धान्य में लगातार वृद्धि होती है, इस के इलावा ऐसे जातक को hotel / restro से जुड़े कार्य , या फिर real estate से जुड़े कार्य शुभकारी परिणाम देते हैं । ऐसे जातक को ब्रहस्पति से संबंधित चीज़ें शुभ परिणाम नहीं देती, जैसे कि 16 वर्ष की आयु में माता पिता को सामाजिक मानहानि की स्थिति का सामना करना पड़ता है, ऐसे जातक को पढ़ाई के लिए स्कूल / कालेज बदलना पड़ता है, बिना वजह के स्थान परिवर्तन परेशान करते हैं जिसकी वजह से मित्रों से दूरी की वजह से मन उदास हो जाता है , ऐसे जातक को पुत्र संतान की प्राप्ति में भी देरी होती है, अगर ऐसा जातक किसी भी रूप में धर्मस्थल में दान देता है तो भी यह जातक की आर्थिक स्थिति के लिए अशुभ होता है । जबकि यहाँ विराजमान चंद्रमा को शुक्र की मदद मिलती है जैसे कि 25वे वर्ष में स्त्री सुख, प्रेम संबंध या गाड़ी का सुख प्राप्त होता है , यदि ऐसा जातक महिलाओं से मित्रता रखे तो भाग्य अच्छा बना रहता है और धन बढ़ता है । ऐसे जातक को घर में खुशबू वाले पौदे , खुशबू वाली अन्य चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए , या फिर खुद का और जीवनसाथी का चित्र लाल रंग के फ्रेम में शुक्रवार के दिन घर की दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना चाहिए । ऐसे जातक को पशु पक्षियों से प्रेम होता है , इनकी वाणी मधुर होती है , संगीत और नृत्य में इनकी दिलचस्पी या यह इनका कैरियर भी हो सकता है । यहाँ विराजमान चंद्रमा शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो तो रसदार फलों से जुड़े कार्यो से लाभ के योग , लेकिन अगर चंद्रमा अशुभ ग्रहों की दृष्टि में हो तो शराब या पेट्रोल या मसालों का कारोबार भी लाभ देता है । ऐसे जातक को विवाह के माध्यम से संपति लाभ होता है, व्यवसायक साँझीदारी में आर्थिक लाभ होता है , अगर 9 और 12वे भाव में शुभ ग्रह हो तो विदेश यात्रा से लाभ होता है ।

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द्वितीय भाव में विराजमान चंद्रमा से शुभता प्राप्ति के उपाये

* जीवन में ऐशो आराम के साधनों का खूब इस्तेमाल करें ।

* किसी बनते हुए धार्मिक स्थल की मदद से परहेज़ करे ।

* घर में सफेद 7 घोड़ों की तस्वीर लगाएं ।

* शुक्र ग्रह और चतुर्थ भाव की शुभता प्राप्ति के उपाये करें ।

* वस्त्रों के दान किसी भी रूप में किसी से स्वीकार ना करें । 

Deep Ramgarhia

blogger and youtuber

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