Dusre Bhav Me Mangal Ke Fal Aur Upay
जन्म कुण्डली का यह भाव बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होता है । बृहस्पति मंगल का मित्र ग्रह है जबकि शुक्र की मंगल से शत्रुता है । इस नाते द्वितीय भाव में विराजमान मंगल को शुक्र का सहयोग नहीं मिलता । यानी कि द्वितीय भाव मंगल वाला जातक स्वभाव से हठी और क्रोधी होता है, अक्सर ही ऐसे बच्चे अपने माता पिता से ज़िद करते हुए हर बात मनवाते होते हैं । ज्योतिष अनुसार मंगल ज़मीनी सुख का कारक है इस वजह से ऐसे जातक का पिता या भाई real estate से संबंधित कार्यो से जुड़ा होता है , ऐसे जातक के खुद के पास भी जमापूंजी के रूप में अच्छी मात्रा में धन संपदा होती है । द्वितीय भाव में मंगल हो और बृहस्पति जन्म कुण्डली में शुभ हो तो ऐसा जातक कानून तथा राजनीति जैसे विषयों से जुड़ कर तरक्की करता है, जबकि मंगल बुध युति शुभ प्रभाव में हो तो ऐसे जातक अच्छे व्यवसाय चलाते हैं जैसे कि शिक्षा संस्थान , कोई इंस्टिट्यूट आदि के माध्यम से कम आयु में ही अच्छी तरक्की करते हैं । द्वितीय भाव में मंगल किसी अशुभ प्रभाव में हो तो ऐसे जातक को आंखों के रोग , बालों के रोग , आंख के आसपास चोट लगने का योग होता है, खास कर ऐसे जातक को 16 और 25 वर्ष की आयु के आसपास वाहन चलाते समय सावधानी रखनी चाहिए । इस भाव में विराजमान मंगल को बृहस्पति के शुभ फल का साथ प्राप्त होता है और क्योंकि बृहस्पति शिक्षा का कारक है इस नाते ऐसे जातक किसी ना किसी रूप में education के कार्यो से जुड़े रहें , या फिर Ilets learning center के माध्यम से भी यह अच्छी तरक्की प्राप्त कर सकते हैं , या फिर किसी भी तरह के अन्य course के माध्यम से भी सफलता के योग होते हैं । वैवाहिक जीवन के लिहाज से बात करें तो यदि किसी कन्या की जन्म कुण्डली में द्वितीय भाव में मंगल हो और चंद्रमा अशुभ प्रभाव में हो , पंचमेश भी निर्बल हो तो ऐसी स्त्री को संतान प्राप्ति में समस्या आती है । इस के इलावा लड़के की जन्म कुण्डली में द्वितीय भाव मंगल हो और ब्रहस्पति की स्थिति शुभकारी ना हो, पंचमेश निर्बल हो तो पुत्र संतान प्राप्ति में बाधा आती है । इस के इलावा द्वितीय भाव में मंगल पापी ग्रहों के प्रभाव में हो तो ज़मीन से जुड़े झगड़े, परिवारिक कलह , जीवनसाथी से झगड़े होते हैं । द्वितीय भाव से मंगल की अष्टम दृष्टि भाग्य भाव पर होने से ऐसे व्यक्ति की संतान ज़िद्दी होती है, और ऐसे जातक के पिता को हृदय रोग या फिर मूत्र अंगों से जुड़ा रोग होता है । सकारात्मक फल के रूप में द्वितीय भाव मंगल शत्रु पर विजय, पैतृक धन संपदा के अच्छे सुख, स्थाई और अच्छे आय के साधन मंगल देता है । हालांकि शुभ फल प्राप्ति के लिए जन्म कुण्डली में बृहस्पति और शुक्र की स्थिति भी देखनी चाहिए, और यदि मंगल पर पापी ग्रहों का प्रभाव है तो उनके भी उपाये करने चाहिए । जैसे कि अन्य योग अनुसार द्वितीय भाव में मंगल हो और शुक्र भी शुभ स्थिति में ना हो तो ऐसे व्यक्ति के विवाह में बाधा आती है ।
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द्वितीय भाव में विराजमान मंगल से शुभता प्राप्ति के उपाये
* मंगलवार के दिन मीठी वस्तुओं ( हलवा, मीठी बूंदी, जलेबी ) का दान करें ।
* दाहिने हाथ में चांदी का कड़ा किसी भी सोमवार को धारण करें ।
* नीम के पेड़ पर 43 दिनों तक मिश्री मिला दूध अर्पित करें ।
* नवरात्रि के दिनों में लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, मिठाई कन्याओं को भेंट करें ।
* मंगलवार और गुरुवार के दिन मस्तक और ज़ुबान पर हल्दी का तिलक करें ।