Dusre Bhav Me Shukra Ke Fal Aur Upay
जन्म कुण्डली का यह भाव बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होता है, यहाँ अपने कारक स्थान में शुक्र अपने नैसर्गिक स्वभाव अनुसार शुभता देता है, यानी शुक्र जो कि सुख साधनों का कारक है द्वितीय भाव में विराजमान होकर सभी तरह के भौतिक सुख माता पिता के माध्यम से ही जातक को प्राप्त हो जाते हैं, कम उम्र में ही ऐसे जातक को गाड़ी का सुख, जीवनसाथी का सुख प्राप्त होता है , जहां तक जीवनसाथी के सुख की बात है तो सप्तम भाव पर कोई दुष्प्रभाव ना हो तो ही विवाह जल्दी होता है । बृहस्पति जो कि जमापूंजी का कारक होता है यहाँ विराजमान शुक्र को सहयोग नहीं देता इस वजह से ऐसे जातक धन की बचत करने में विश्वास नहीं करते, परिस्थिति कैसी भी हो जीवन का आनंद लेने में ऐसे जातक विश्वास रखते हैं । ज्योतिष अनुसार द्वितीय भाव आय के साधन का होता है और शुक्र कला का कारक है, इस वजह से ऐसे जातक dance और singing में भी भाग्य आजमा सकते हैं, शिक्षा के लिहाज से बात करें तो interior designer, automobile, hotel management जैसे course करते हुए यह बेहतर कैरियर बना सकते हैं । इनके लिए जीवन का 16 और 25वा वर्ष विशेष शुभकारी होते हैं, 16 वर्ष में इनका प्रेम संबंध बनता है , जन्म कुण्डली में शुक्र पर कोई दुष्प्रभाव ना हो तो यह प्रेम विवाह में परिवर्तित होता है, लेकिन अगर यहाँ शुक्र दुष्प्रभाव दे रहा हो तो प्रेम संबंध टूटता है । द्वितीय भाव विराजमान शुक्र वालो की पत्नी सुंदर होती है और आर्थिक रूप से परिवार को सहयोग करती है । अब बात करते हैं यदि जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में विराजमान शुक्र दुष्प्रभाव में हो, तो ऐसे जातक के वस्त्रों पर स्याही लगती है, वस्त्र बार बार खराब होते हैं, ऐसे जातक को 16 वर्ष में आंखों के रोग की संभावना होती है, और 25 वे वर्ष में कीमती वस्तु के नुकसान का योग होता है, सर्दियों में तो ऐसे जातक कई कई दिनों तक बिना नहाए, बिना वस्त्र बदले ही रहते हैं , हमेशा किसी ना किसी कार्य में जाने की जल्दी के कारण यह ठीक से भोजन भी नहीं कर पाते, परिवार में धन को लेकर आपसी झगड़े होते हैं , ऐसे विद्यार्थियों की शिक्षा प्राप्ति में समस्या आती है, और आय प्राप्ति के साधन भी स्थाई नहीं होते । अब बात करते हैं यदि द्वितीय भाव विराजमान शुक्र शुभ प्रभाव में हो, तो ऐसे जातक को भोजन और वस्त्रों के अच्छे सुख जीवन में प्राप्त होते हैं, परिवार के साथ घूमने , मनोरंजन के साधन भोगने के अवसर समय समय पर प्राप्त होते रहते हैं, कम उम्र में ही गाड़ी का सुख प्राप्त होता है, 16वा और 25वा वर्ष में स्त्री सुख प्राप्त होता है, ऐसे विद्यार्थी स्कूल / कालेज में प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते रहते हैं और सम्मान भी प्राप्त करते हैं । कैरियर के रूप में management, automobile, designing जैसे field इनके लिए शुभकारी होती है, यह हमेशा दूसरों को सुख देने में विश्वास करते हैं, और मित्रता में तो इस तरह घुल मिल जाते हैं जैसे वह इनके परिवार के ही सदस्य हों । द्वितीय भाव विराजमान शुक्र वालों को party functions के invitation भी अक्सर ही आते रहते हैं ।
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द्वितीय भाव विराजमान शुक्र से शुभता प्राप्ति के उपाये
* शुक्रवार के दिन दूध, चावल, चीनी का दान मंदिर में करें ।
* हमेशा साफ और धुले हुए वस्त्र धारण करें ।
* शुक्रवार के दिन घर में खीर बनाएं, या फिर पनीर की सब्जी बनाएं ।
* शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी जी के आगे घी का दीपक जलाएं ।
* दाहिने हाथ के अंगूठे में चांदी का छल्ला शुक्रवार को धारण करें ।