Dusre Bhav Me Shani Ke Fal Aur Upay
जन्म कुण्डली का यह भाव बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होता है । यहाँ शनि ग्रह अपने नैसर्गिक स्वभाव अनुसार फल देता है, जन्म कुण्डली का द्वितीय भाव वाणी, परिवार, जमापूंजी, प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित होता है और शनि अनुशासन और परिक्षम का कारक ग्रह है, इस नाते द्वितीय भाव शनि वाले जातक इन सभी विषयों में अनुशासन दिखाते हैं, जैसे कि हर जगह से पैसे बचाने की आदत इनको होती है, पढ़ने के लिए नई किताबों की बजाए पुरानी किताबें लेना पसंद करते हैं, आने जाने के लिए वाहन की बजाए पैदल चलना पसंद करते हैं, अगर द्वितीय भाव शनि वालों की संतान भी कालेज में पढ़ती हो तो उस पर भी वह खर्च में मामले में अनुशासन रखते हैं । इनकी ऐसी आदत की वजह से घर के बाकी सदस्यों के साथ इनकी अनबन होती है , क्योंकि यह बेवजह धन खर्च के विरोधी होते हैं । कुल मिला कर यह अपने जीवन में पुरानी चीज़ों को सहेज कर रखते हैं, इनकी रुचि पुरातन चीजों में अधिक होती है, जैसे कि प्राचीन स्थानों की यात्रा करना, खोज से जुड़े विषय इन्हें पसंद होते हैं । अब बात करते हैं यदि द्वितीय भाव में विराजमान शनि शत्रु राशि में हो, शनि पर सूर्य, मंगल, राहु की दृष्टि या युति प्रभाव हो ऐसे में शनि द्वितीय भाव में दुष्प्रभाव देता है, तो ऐसे जातक को बातें छुपाने की आदत होती है, उम्र के 16 और 25 वर्ष में इनको सर पर चोट लगने का योग होता है, इनकी लिखावट अच्छी नहीं होती, पढा हुआ भूलने की आदत की वजह से पढ़ाई में यह कमज़ोर होते हैं, तनाव और पेट के रोग की वजह से इनके चेहरे पर आकर्षण नहीं होता, शनि की दशा, साढ़ेसाती के दौरान चेहरे पर छाइयाँ भी आती हैं, इनको चेहरे की सुंदरता को लेकर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत होती है, परिवार में पिता और बड़े भाई के साथ इनके झगड़े धन को लेकर होते हैं, इनकी जन्म कुण्डली में यदि बृहस्पति शुभ स्थिति में ना हो तो आर्थिक समस्या इन्हें होती है, और यदि शुक्र की स्थिति शुभकारी ना हो तो विवाह में बाधा आती है । अब बात करते हैं यदि द्वितीय भाव में विराजमान शनि शुभ फल दे, तो ऐसा जातक science के विषयों में तरक्की करता है, आर्थिक मामलों में परिवार के अन्य सदस्यों पर निर्भर नहीं होता, घर से दूर जाकर भी नोकरी करने में नहीं झिझकता, धन खर्च करने में थोड़ी कंजूसी ऐसे जातक दिखाते हैं, लंबे समय के निवेश करना इन्हें पसंद होता है, इस लिए यह जल्दी से धन प्राप्त करने वाली योजनाओं की तरफ आकर्षित नहीं होते, इनके परिवार में कोई सदस्य कानूनी विषयों से जुड़ा होता है, इनको पुत्र संतान की प्राप्ति देरी से होती है लेकिन संतान अच्छी होती है, लेकिन ना चाहते हुए भी इनको तनाव की समस्या होती है, आलस्य इनको बहुत जल्दी आता है, इसकी वजह से इनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव जल्दी आते हैं, सर्दी के मौसम में ठंड का अनुभव भी ज़्यादा करते हैं, जिसकी वजह से सर्दी ज़ुकाम , श्वास रोग से यह पीड़ित होते हैं ।
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द्वितीय भाव विराजमान शनि से शुभता प्राप्ति के उपाये
* शनिवार के दिन घर के पश्चिमी हिस्से की सफाई करें ।
* शनिवार के दिन खीर बना कर दान करें ।
* काले और नीले रंग के वस्त्रों से परहेज़ करें ।
* गुरुवार के दिन मस्तक, ज़ुबान और नाभि पर हल्दी का तिलक करें ।
* बासी भोजन, शराब, मांसाहार से परहेज़ करें ।