Dusre Bhav Me Budh Ke Fal Aur Upay
जन्म कुण्डली का यह भाव बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होता है , जिन में बृहस्पति बुध का शत्रु है और शुक्र मित्र है । इस नाते द्वितीय भाव का बुध वाणी को शुभता देता है, ऐसा जातक लेखक, गीतकार, दूसरों को हंसाने वाला हो सकता है । यानी शुक्र के कारक तत्व शुभता देते हैं जिसकी वजह से ऐसा जातक जवानी की अवस्था में पूरे सुख भोगता है, लेकिन घरेलू जीवन या फिर विवाह के बाद का जीवन कैसा रहेगा यह जन्म कुण्डली में बृहस्पति की स्थिति अनुसार शुभ या अशुभ दोनो तरह का हो सकता है । अब बात करते हैं यदि जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में विराजमान बुध पापी ग्रहों के सानिध्य में हो तो ऐसे व्यक्ति को कान, नाक और गले के रोग परेशान करते हैं, ऐसा विद्यार्थी शिक्षा में कमज़ोर होता है, और द्वितीय भाव में ग्रह खराब है तो आय के साधन कैसे मज़बूत हो सकते हैं । खास कर 16 , 25 और 32 वर्ष की आयु में ऐसे व्यक्ति को मित्रता की वजह से आर्थिक नुकसान परेशान करते हैं । द्वितीय भाव में पाप पीड़ित बुध यानी ऐसे जातक के जीवन में उसको अचल संपत्ति से जुड़े झगड़े परेशान करते हैं, मानो कि उसके दोस्त , रिश्तेदार उसकी जमापूंजी और संपत्ति पर आंख लगाए रहते हो । अब बात शुभ प्रभाव बुध यानी मित्र राशि, खुद की राशि का बुध या फिर शुभ प्रभाव में बुध की बात करें तो ऐसा जातक कम उम्र में ही आय के साधन बना लेता है, dance और signing में जाने के अच्छे योग होते हैं, ऐसे विद्यार्थी banking sector में सरकारी नोकरी के लिए प्रयास कर सकते हैं, 16, 25 और 32वे वर्ष में अच्छे आर्थिक सुख ऐसे व्यक्ति को प्राप्त होते हैं, अगर जन्म कुण्डली में अष्टम भाव में शुभ ग्रह हैं तो ऐसे व्यक्ति travel and transport के माध्यम से अच्छी तरक्की करते हैं । अगर बुध पंचमेश होकर द्वितीय भाव में विराजमान होकर शुभ ग्रहों से संबंधित हो तो ऐसे व्यक्ति share market से लाभ प्राप्त करते हैं, यदि बुध भाग्येश होकर विराजमान हो तो विदेश यात्रा से ऐसे व्यक्ति को लाभ होता है । द्वितीय भाव विराजमान बुध वाले व्यक्ति को बुआ, बहन, बेटी इन रिश्तों को खुश रखना चाहिए, क्योंकि द्वितीय भाव जमापूंजी का होता है यदि बुध यहाँ दुष्प्रभाव देने लगे तो आर्थिक समस्या कभी दूर नहीं होती । क्योंकि कारक ग्रह बृहस्पति की बुध से शत्रुता है इस वजह से ऐसे व्यक्ति में थोड़ी सी सफलता प्राप्त करके ही अहंकार आ जाता है, और जब यह अहंकार बढ़ता है तो व्यक्ति के लिए असफलता का दौर शुरू हो जाता है, इस नाते ऐसे व्यक्ति को कभी भी बृहस्पति के कारक रिश्तों का अनादर नहीं करना चाहिए । जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में बुध हो और पंचम या छठे भाव में मंगल या राहु की स्थिति हो तो ऐसे व्यक्ति को पेट से जुड़े रोग परेशान करते हैं, और यदि अष्टम भाव में पापी ग्रह हो तो हार्मोनल से जुड़े रोग की संभावना होती है, ऐसे में यह ध्यान रखें कि जीभ पर सफेदी ना हो , क्योंकि जीभ पर सफेदी आना पेट की खराबी और हार्मोन्स से जुड़े रोग दर्शाता है । तो जब भी इस तरह के संकेत नज़र आये तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें ।
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द्वितीय भाव में विराजमान बुध से शुभता प्राप्ति के उपाये
* तांबे का छेद वाला सिक्का या तांबे का तिकोन सिक्का गले में धारण करें ।
* नवरात्रि के दिनों में लाल चुनरी, चूड़ियां, मिठाई का दान कन्याओं को करें ।
* हरे वस्त्र का दान किन्नरों को करें, उनसे कुछ पैसे लेकर अपने पास रखें ।
* बुधवार के दिन हरी साबुत मूंग पानी में भिगो कर रखी हुई पक्षियों को दें ।
* दिवाली के दिनों में कौड़ियां खरीद कर उन पर हल्दी लगा कर लाल वस्त्र में घर की तिजोरी में रखें ।