Paschim Disha Vastu Shastra Vastu Tips for Home ।। पश्चिम दिशा वास्तु शास्त्र वास्तु टिप्स फॉर होम

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वास्तु शास्त्र अनुसार घर की पश्चिम दिशा की अनुकूलता के लिए अपनाएं यह वास्तु टिप्स

वास्तु शास्त्र अनुसार घर की पश्चिम दिशा शनि से संबंधित है। और ज्योतिष शास्त्र अनुसार शनि नौकर, दुःख, रोग, गरीबी, आलस, नशा, अनैतिक कार्य, तकनीकी शिक्षा, मेहनत मजदूरी के कार्य, जेल, अस्पताल और विदेश संबंधी कार्यो का कारक है। इसी लिए पश्चिम दिशा में दोष होने पर इन सब कारक विषय में जातक को सुख की कमी के अनुभव होते हैं जैसे कि घर में आलस, दरिद्रता, बीमारी, अनैतिक कार्य में रूचि और निमन स्तर की नौकरी करने के हालात बनते हैं।

इस दिशा के स्वामी शनि ग्रह कर्मो के माध्यम से यश और कीर्ति देने में सहायक हैं। इस लिए जो लोग मेहनती होते हैं और जीवन मे बड़ी पद प्रतिष्ठा की इच्छा रखते हैं उन्हें इस दिशा में रहना चाहिए। लेकिन जो लोग शादीशुदा जीवन मे हैं ( खास कर नई शादी हुई है ) उन्हें इन दिशा में नहीं रहना चाहिए, क्योंकि यह दिशा ग्रहस्थ सुख में कमी करती है। कहने का भाव कि यदि आप प्रोफेशन स्तर पर अच्छी सफलता चाहते हैं, कोई बड़ा पद जीवन मे चाहते हैं, सामाजिक कार्य करते हुए राजनेता बनना चाहते हैं तो आपको इस दिशा में रहना चाहिए। क्योंकि यही लाजिक है कि यदि आप सामाजिक कार्य करेंगे लोगो से मेल जोल बढ़ेगा। इस से आपकी व्यस्तता बढ़ेगी, जिस की वजह से आप घर परिवार को समय कम दे पाएंगे। हां,आपसी रिश्तो में कटुता नहीं आएगी। लेकिन बाहर रहने से घर को समय कम दे पाएंगे।

वास्तु अनुकूलता की बात करें तो शनि ग्रह बड़े सदस्यों का कारक ग्रह है। इस लिए घर की पश्चिम दिशा में घर के बड़े सदस्यों को रहना चाहिए। अगर घर परिवार में माता पिता हैं, उनके दो पुत्र हैं दोनो विवाहित हैं। तो ऐसी स्थिति में घर के बुजुर्गों ( माता पिता ) को नैत्य कोण ( दक्षिण पश्चिम ) में रहना चाहिए, घर के बड़े बेटे बहु को पश्चिम दिशा में , और घर के छोटे बेटे बहु को उत्तर दिशा में रहना चाहिए।

घर की पश्चिम दिशा जन्म कुंडली के सप्तम भाव को प्रभावित करती है। इस लिए सप्तम भाव से मिलने वाले सभी तरह के फल का संबंध इस दिशा से है। जन्म कुंडली के सप्तम भाव मे अशुभ ग्रह ( शनि, राहु, केतु ) से घरेलू सुख खास कर पति पत्नी के सुख में कमी आती है। लेकिन यदि घर की पश्चिम दिशा को वास्तु अनुकूल कर दिया जाए तो सप्तम भाव मे विराजमान इन अशुभ और पापी ग्रहो का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है।

पढ़ाई करते समय , खाना खाते समय , पूजा उपासना करते समय पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए। जिस से आपका मुख जो है वो पूर्व दिशा की तरफ रहे, किये गए कार्यो से सम्मान की प्राप्ति हो। इस के इलावा बड़ों से बात करते समय , किसी बात पर माफी मांगते समय , यहां तक कि अपने सीनियर अधिकारी लोगो से भी बात करते समय आपका मुख जो है वो पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए , क्योंकि यह दिशा सहयोग देने वाली ऊर्जा देती है , इस तरह से अधिकारी लोगो से बात करने पर वह आपकी बात को सुनेगे भी और स्वीकार भी करेंगे।

वास्तु शास्त्र अनुसार पश्चिम दिशा का कारक शनि, यह दिशा डाईनिंग रूम, स्टोर रूम, चक्की, मिक्सी, कचरे का स्थान, बीम और कटाई की मशीन की कारक है।

यदि इस दिशा में कबाड़ रखा हो, दीवारें खराब हो, सीलन हो तो परिवार के सदस्य आलसी और सुस्त होते हैं। कारोबार और आर्थिक लेन देन में धोखा होता है। परिवार के सदस्यों में मनमुटाव और झगड़े होते हैं।

यदि इस दिशा में रसोई का राशन जमा करके रखा हो तो परिवार के सदस्य बुद्धिमान होते हैं। यातायात के साधनों से जुड़े कारोबार से लाभ कमाते हैं।

यदि इस दिशा में तिजोरी हो, आभूषण और शिंगार का सामान रखा हो तो उस घर की आर्थिक तरक्की धीरे धीरे होती है।

यदि इस दिशा में पूजा का स्थान हो तो मुखिया लालची होता है, पेट गैस के रोग से पीड़ित होता है।

वास्तु शास्त्र अनुसार घर की पश्चिम दिशा में सीढ़ीयां बनाना भी वास्तु अनुकूल है। उस पर ममटी या छज्जा बना कर टँकी रखी जा सकती है। जिस से पश्चिमी दिशा ऊंची हो जाएगी। और वास्तु अनुसार पश्चिमी हिस्से को ऊँचा रखने की शर्त भी पूरी हो जाएगी।

इसके इलावा घर की पश्चिम दिशा में स्टोर रूम, डाइनिंग हाल, बाथरूम और अगर अग्नि कोण में रसोई ना बना सके तो यहां रसोई भी बना सकते हैं।

घरेलू सुख कामकाज में शुभता और तरक्की के लिए पश्चिम दिशा को ऊँचा, भारी और बंद रखना चाहिए। अशोक का पेड इस दिशा में लगाने से हर तरह का वास्तु दोष दूर हो जाता है, और घर परिवार के सदस्यों के लिए प्रोफ़ेशन स्तर पर तरक्की के रास्ते बनते हैं।

इस दिशा के लिए अनुकूल रंग आसमानी और नीला हैं, जबकि अनुकूल पौदे की बात करें तो नीम, पीपल, मोगरा, चमेली, अशोक इस दिशा में लगाये जा सकते हैं।

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