Janam Kundali me Shubh Ashubh aur Kamzor Ketu ।। जन्म कुंडली में शुभ अशुभ और कमज़ोर केतु - Astro Deep Ramgarhia
ज्योतिष शास्त्र अनुसार मानव जीवन पर केतु का प्रभाव और शुभ अशुभ लक्षण
ज्योतिष शास्त्र अनुसार केतु को नैसर्गिक अशुभ ग्रह कहा जाता है जिसकी प्रकृति गर्म है। छाया ग्रह होने की वजह से केतु किसी राशि का स्वामी नहीं, ज्योतिष अनुसार केतु जन्म कुंडली के 12वे भाव का कारक ग्रह है। धनु राशि में केतु उच्च बल को प्राप्त होता है जबकि मिथुन राशि में नीच राशि का होने से अपने शुभ फल देने में असमर्थ होता है। जबकि वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या और तुला शत्रु राशियां हैं इस नाते इन राशियों में भी केतु कमज़ोर होने की वजह से शुभ फल देने में असमर्थ होता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार केतु नाना, घाव, दर्द, तांत्रिक क्रिया, जादू टोना, पालने वाले पशु, अध्यात्मिक जीवन, ध्वजा, पुत्र संतान और मोक्ष का कारक है।
मजबूत और शुभ केतु के लक्ष्ण
यदि जन्म कुंडली में केतु मजबूत या शुभ फल दे रहा हो तो जातक को समाज में सम्मान मिलता है, पैतृक संपति के सुख, पुत्र सुख, विदेश से लाभ, निवेश जैसे कि प्रापर्टी की खरीद बेच, शेयर की खरीद बेच से लाभ, जमीन जायदाद, और अच्छी नींद के सुख देता है।
कमजोर और अशुभ केतु के लक्ष्ण
यदि जन्म कुंडली में केतु कमज़ोर या अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को पुत्र सुख का अभाव, मानसिक अशांति, मानहानि योग, निवेश कार्य जैसे प्रापर्टी और शेयर बाज़ार में हानि, विवाह होने में बाधा, चलता हुआ कारोबार बंद होना, शरीर में गर्मी के रोग से पीड़ित होता है।
स्वास्थ्य : यदि जन्म कुंडली में केतु अशुभ फल दे रहा हो तो त्वचा रोग, नाख़ून टूटना, मूत्र संबंधी रोग, दाद खुजली, जोड़ों के दर्द, शुगर, हर्निया रोग, सुनने और सूंघने की क्षमता पर असर, स्वप्न दोष और पैरों के रोग परेशान करते हैं।
केतु से संबंधित करियर पेशा व्यवसाय
यदि जन्म कुंडली में केतु शुभ होकर कर्म या लाभ भाव से योग करे तो किसी भी तरह के रिसर्च और खोज संबंधी कार्य जैसे कि ज्योतिष, शेयर बाज़ार, कानून संबंधी, जासूसी कार्य, चीजों की रिपेयरिंग के कार्य, समाज सेवा संबंधी कार्य, विदेशी वस्तुयों संबंधी कार्य, कंप्यूटर संबंधी कार्य लाभ देते हैं।
केतु से बनने वाले शुभ अशुभ योग
केतु से बनने वाले शुभ योग की बात करें तो जन्म कुंडली में गुरु केतु युति से गुरु चेले का शुभ योग, मंगल केतु युति से हनुमान योग बनता है। जबकि अशुभ योग की बात करें तो जन्म कुंडली में चन्द्र केतु युति से पितर दोष, शुक्र केतु युति से अध्यात्म योग बनता है।
यदि जन्म कुंडली में केतु 2, 5, 9, 10 या 12वे भाव में हो, अन्य भाव में यदि केतु धनु या मीन राशि का हो तो भी शुभ फल होते हैं।
यदि जन्म कुंडली में केतु शुभ हो तो जातक को पुत्र, भांजे और साले का सुख जरुर मिलता है। जातक के लिए 36, 48 और 60वा वर्ष भाग्यशाली होता है।
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