ज्योतिष अनुसार सूर्य का जीवन पर प्रभाव - दीप रामगढ़िया
ज्योतिष अनुसार सूर्य अग्नि तत्व ग्रह है जिसकी प्रकृति पित प्रधान है । सूर्य सिंह राशि का स्वामी है, और मेष राशि में सूर्य उच्च बल को प्राप्त होता है जबकि तुला राशि में नीच बल को प्राप्त होता है । वैदिक ज्योतिष अनुसार सूर्य को लग्न भाव का कारक ग्रह माना जाता है, इसके इलावा सूर्य के कारक तत्व आत्मा, पिता, सरकार और सामाजिक प्रतिष्ठा हैं । Astrology field of study
सूर्य का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
जन्म कुण्डली में सूर्य की अच्छी और शुभ स्थिति व्यक्ति को पिता और पुत्र दोनो की तरफ से अच्छे सुख, सरकार तथा सरकारी संस्थानों से लाभ , व्यक्ति के कामकाज में उसकी प्रतिष्ठा बनाये रखता है । जबकि शत्रु राशि जैसे कि वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि में सूर्य की स्थिति या फिर शत्रु ग्रहों जैसे कि शनि राहु से युति या दृष्टि संबंध होने पर सूर्य के फल खराब होते हैं ऐसे व्यक्ति को पिता और पुत्र दोनों की तरफ से सुख का अभाव , सरकार तथा सरकारी संस्थानों में कार्यो में परेशानी , कामकाज में प्रतिष्ठा की कमी होती है । Astrology chart
ज्योतिष अनुसार सूर्य की ख़ास विशेषताएं
सुर्य प्रकाश है, तेज़ है, क्रोध है, ज़िम्मेदार मर्द है, मान सम्मान है, घमंड है, पिता है, राजा है | कुण्डली में सुर्य की अच्छी स्थिति जातक को मान- सम्मान देती है, पिता का सुख और सरकार के घर से भी लाभ देती है | और सुर्य जातक के बोस का भी कारक होता है | यदि जन्म कुण्डली में सुर्य शत्रु राशि में हो खास कर शनि की राशि में, या फ़िर राहु केतु शनि के द्वारा देखा जाता हो तब जातक को बोस से दिक्कत होती है |
जन्म कुंडली में खराब सूर्य दोस्तों और मित्रों के बीच भी जातक की खास जगह नहीं होती, जैसे के किसी का जन्मदिन हो, सब को बुलाया लेकिन मुझे नही बुलाया, दोस्तों ने कही घुमने या मूवी देखने का पलैन बनाया, सब को बुलाया लेकिन मुझे ही नही बुलाया, जहाँ आप रहते हो मोहल्ले में किसी के कोई पार्टी हो, पूजा हो, सब को बुलाया लेकिन हमे ही नही बुलाया | ये सब लक्षण हैं खराब या कमज़ोर सुर्य के |
सुर्य की कमज़ोरी के कारण ही शरीर में विटामिन डी की कमी रहती है, जिसके कारण खाना अच्छे से नहीं पचता, जातक का पाचन तंत्र कमज़ोर रहता है, जिसकी वजह से शरीर में किसी भी कार्य को लम्बे समय तक एकाग्रता और उर्जा से करने की कमी होती है | सुर्य यदि कमज़ोर या शत्रु ग्रहों से पीड़ित हो तो आंखें कमज़ोर होंगी, चश्मा लग जाता है | पिता से सम्बन्ध अच्छे नही रहते |
यदि जन्म कुण्डली में सुर्य राहु या केतु के साथ हो या फ़िर राहु या केतु की द्रिश्टि में हो, तब पित्रदोष की स्थिति घर में बनी होती है | ऐसे में घर में लोग घुल मिल कर नहीं रहते, घर की तरक्की नही होती, घर के लोगों को नौकरी में प्रमोशन नहीं मिलते, शत्रु से परेशानी रहती है, सुर्य उदय से पहले घर में लोग उठेगे नहीं, रिश्तेदार घर में आकर खुश नही रहते और धीरे धीरे अच्छे मित्रों और रिश्तेदारो से साथ छूटता चला जाता है और चालाकी और धोखा देने वाले लोग ज़िन्दगी में आने लग जाते हैं |
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