ज्योतिष अनुसार शनि का जीवन पर प्रभाव - दीप रामगढ़िया
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ज्योतिष अनुसार शनि को कर्म कारक ग्रह माना जाता है और इसकी प्रकृति वात प्रधान है । शनि मकर और कुंभ राशि का स्वामी है, और तुला राशि में शनि उच्च बल को प्राप्त होता है, जबकि मेष राशि में नीच बल को प्राप्त होता है । वैदिक ज्योतिष में शनि का अध्ययन नोकरी, नोकर, दास, सेवक, लोहा, चमड़ा, तेल, मशीनरी, कोई बुजुर्ग, अनुशासन यह सब शनि के कारक तत्व हैं |
शनि का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
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जिसकी जन्म कुण्डली में शनि ग्रह शुभ प्रभाव में हो ऐसा व्यक्ति मेहनत पसंद, अनुशासन पसंद, ना सुख से ज़्यादा मोह रखने वाला और ना ही कष्ट और असफलता से निराश होता है | ऐसा व्यक्ति जितना भी बड़ा पद प्राप्त करे लेकिन अहंकारी कभी नहीं होता और ना ही व्यवहार से दूसरों को कष्ट देता है |
जन्म कुंडली में शनि की अशुभता के लक्ष्ण
अशुभ और पाप पीड़ित शनि जन्म कुण्डली में हो तो ऐसा व्यक्ति जीवन में आत्म निर्भर कभी नहीं होता, सफलता और असफलता का श्रेय हमेशा दूसरों को देता है, उसका कोई निजी नुकसान भी हो तब भी दूसरों से झगड़ता है, ऐसे व्यक्ति के पास आय का स्थाई साधन नहीं होता, पेट और मूत्र अंगों से जुड़े रोग होते हैं, ऐसे व्यक्ति के पैर कभी साफ नहीं होते, आँखें भी कमजोर होती हैं |
वैदिक ज्योतिष में शनि का महत्व
शनि कर्म कारक है, सेवक है, दास है, अनुशासन है, कानून है, मोक्ष कारक है, आलस्य है और शरीर में वायु विकार का कारक भी शनि है, लोहा, बड़ी बड़ी मशीनरी और बड़े बडे वाहनो का कारक शनि ही है | सुर्य का पुत्र होने के कारण सरकार से लाभ लेने में और सरकारी नौकरी के लिये शनि बहुत मददगार है, शनि की मदद के बिना बडा घर लेना, बडा वाहन लेना, बडा बिज़नस करना और सरकारी नौकरी लेना संभव नहीं है |
यदि जन्म कुण्डली में शनि मित्र राशि में हो या मित्र ग्रह ( बुध, शुक्र) के साथ या फ़िर इनकी द्रिश्टी में हो तो यह जातक को लाभ देता है | शनि खास कर जातक की नौकरी और बिज़नस को प्रभावित करता है, मान सम्मान को प्रभावित करता है, चाल चलन को प्रभावित करता है, घर और ग्रहसथी के सुख को प्रभावित करता है, वाहन के सुख को प्रभावित करता है, और कुण्डली में शनि की अच्छी या बुरी स्थिति के आधार पर इन सब चीज़ो में जातक को ऐशो आराम या फ़िर तनाव का सामना करना पडता है |
जन्म कुंडली में बुध शनि का संबंध बनाता है सफल व्यवसाई
अगर कुण्डली में शनि शुक्र की राशि में या शुक्र के साथ या द्रिश्टी में हो तो जातक साज सजावट से सम्बन्धित कार्य करता है, IT field से सम्बन्धित कार्य, चाहे घर को सजाने वाले प्रोडकट हो या फ़िर पार्लर से सम्बन्धित कार्य हो | ऐसे जातक की पत्नी जोब करने वाली होती है | जीवन में ऐशो आराम की कमी नहीं रहती लेकिन समय की कमी के चलते दोनो ग्रहसथी के सुखो को नहीं भोग पाते, या फ़िर दोनो को एक दूसरे के साथ समय कम बिताने का मौका मिलता है, या फ़िर हो सकता है कि जातक का जीवनसाथी धन कमाने के लिये विदेश जाता हो, इस वजह से भी सुखो में कमी रहती है |
यदि कुण्डली में शनि राहु के साथ या द्रिश्टी में हो तो जातक को जोब और बिज़नस से सम्बन्धित दिक्कतो का सामना करना पडता है, ऐसा जातक बार बार जोब बदलता रहता है, अगर खुद की दुकान है तो वो भी बदलता रहेगा, प्रोफ़ेशन में स्थाईतव नहीं होगा, थोडी देर नौकरी अच्छी चलेगी और बिना किसी कारण से अचानक से ही नौकरी बदलने का हालात बनने लग जाते हैं |
अगर कुण्डली में शनि केतु के साथ या द्रिश्टी में है तो जातक छोटे सतर से शुरुआत करना ही नहीं चाहेगा, जातक छोटे सतर पर दुकान नहीं चलाना चाहेगा, जातक हमेशा ही बडा पलैन और बडा ही सोचेगा, एक एक दम से ही बड़ी दुकान कर लू मे, एक दम से ही बडी नौकरी मिल जाये मुझे, ऐसा जातक छोटी शुरुआत करना ही नहीं चाहेगा, जिसकी वजह से जीवन में दिक्कतो का सामना करना पडता है |
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