Rahu Grah Ka Hamare Jiwan Par Prabhav

ज्योतिष अनुसार राहू का जीवन पर प्रभाव - दीप रामगढ़िया 

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ज्योतिष में राहु का अध्ययन मायावी ग्रह के तौर पर किया जाता है जिसकी प्रकृति पित प्रधान है । मायावी ग्रह इस नाते क्योंकि ऐसे विषय या ऐसी हस्तियां जैसे कि राजनेता अदाकार क्रिकेटर इस तरह के विषयों से जुड़े लोग जिनकी एक झलक पाने के लिए लोग बेताब रहते हैं इन सब का कारक राहु है , यानी उन सब लोगों की जन्म कुण्डली में राहु शुभ प्रभाव दे रहा होता है । Astrology field of study

राहू का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है 

ज्योतिष अनुसार राहु को कन्या राशि का स्वामी माना जाता है, और मिथुन राशि में राहु उच्च बल को प्राप्त होता है जबकि धनु राशि में राहु नीच बल को प्राप्त होता है । इस के इलावा ज्योतिष अनुसार राहु बदनामी का कारक है, छल का कारक है, जुआ सट्टा शेयर बाजार लाटरी या अन्य किसी भी रूप में अचानक धन दौलत की प्राप्ति चाहे डकैती हो यह सब भी राहु के कारक विषय हैं, राहु के अशुभ प्रभाव मिल रहे हों तो व्यक्ति बिना मेहनत किये ही धन प्राप्ति करने का इच्छुक होता है । Astrology chart

कृष्ण सुदामा कहानी से राहू को समझो! 

इश्क किया था हम ने भी! हम भी रातों को जागे थे! था कोई जिसके पीछे हम नंगे पांव भागे थे। जिंदगी में अगर तुम किसी के पीछे नंगे पाँव नही भागे हो मतलब तुम्हारे पास राहू नहीं है | यह पढ़ते ही तुम्हारे दिमाग में वो दो कौड़ी का जिस्मानी प्रेम ही दौड़ेगा! लेकिन यहाँ रूहानी प्रेम की बात हो रही है । यहां कृष्ण सुदामा की बात हो रही है! यहाँ गुरु शनि की बात हो रही है । 

गुरु कृष्ण है! विष्णु है! जगन्नाथ है! कालपुरुष कुंडली में 12वे भाव में गुरु की मीन राशि में राहु विराजता है । कुल मिला कर गुरु के पास कृष्ण के पास वो सारी ताकत यानी राहू है जो बड़ी से बड़ी दिक्कत को दूर कर सकती है । चाहे तुमको बड़े से बड़ा गुंडा परेशान कर रहा हो, चाहे लाखों करोड़ों का कर्ज हो । और यह कर्ज़ तुमसे चुकाया ना जाएगा । तुमको गुरु की तलाश है उस कृष्ण की तलाश है जो तथास्तु बोल देगा और सारी दिक्कत एक मिनट में चली जाएगी । 

गुरु अपने महल में मस्त है कृष्ण अपने महल में मस्त है। लेकिन तुम चाह रहे हो कि कृष्ण महल से बाहर आये तुम्हारी दिक्कत सुने और उस दिक्कत को दूर भी करे । इस के लिए चाल चलनी पड़ेगी वो चाल सुदामा की है! वो चाल शनि की है । क्योंकि बड़े से बड़े गुंडे के बुलाने से कृष्ण बाहर नहीं आएगा लेकिन सुदामा के लिए कृष्ण सारे बंधन सारी मर्यादाएं तोड़ कर दौड़ा चला आएगा । 

अब इस बात पर भी यकीन करो यदि सुदामा पालकी या घोड़े पर जाएगा तो उसको कृष्ण कभी नहीं मिलेगा । यही वो राहु है यही वो रास्ता है यही वो इश्क है जिस के लिए तुमको फटेहाल ही आना पड़ेगा नंगे पांव ही आना पड़ेगा मन्दिर में तभी कृष्ण तुमसे मिलेगा , तभी तुम्हारी वो दिक्कत दूर होगी । इसी लिए ज्योतिष में 43 दिन नंगे पांव मन्दिर जाने वाला उपाये बताया जाता है ।

जन्म कुंडली में राहू इन भाव में देता है अशुभता 

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House astrology राहु  राजनीति है ससुराल है आकर्षण है नशा है चाहे शराब का हो पैसे का हो भरपूर ऐशो आराम का हो राहु हर वह इंसान या ऐसी विषय वस्तु है जिसके ख्यालों में हर पल खोए रहते हो और  उसकी ही प्राप्ति के बारे में आप सोचने लगते हो , लेकिन चाह कर भी तुम उसके करीब ना हो रहे हो । ज्योतिष अनुसार राहू नैसर्गिक अशुभ और पापी ग्रह है और पापी ग्रह जन्म कुंडली के 3, 6, 10, 11 भाव में शुभता देते हैं | इस नाते राहू भी इन भावों में शुभता देता है जबकि बाकि के अन्य भाव में राहू के फल अशुभ जानने चाहिए | Horoscope topic

जैसे कि जन्म कुंडली के पहले भाव में राहु की स्थिति हो तो ऐसा जातक ऐसे कार्यो की तलाश में रहेगा जिनको करने से उसकी प्रतिष्ठा एक दम से बढ़ जाए, उसकी रुचि ऐसे कार्यो को करने में होती है जिसके लिए उसके माता पिता अनुमति नहीं देते , कोई ऐसा कैरियर का विषय हो सकता है या फिर विदेश जाना हो सकता है या फिर कोई प्रेम संबंध हो सकता है जिसकी वजह से वह जातक खुद तो परेशान रहता ही है साथ ही माता पिता के साथ भी उसके संबंध मधुर नहीं रहते । Birth chart astrology

इसी तरह द्वितीय भाव में राहु की स्थिति हो तो अपनी जरूरतों को लेकर, आय के साधन को लेकर या फिर परिवार की ही धन संपदा को लेकर परिवार के ही सदस्यों के साथ विवाद की स्थिति बन जाती है । इसी तरह चतुर्थ भाव में राहु की स्थिति होने पर व्यक्ति की माता या जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब रहता है, प्रॉपर्टी को लेकर झगड़े की स्थिति होती है । 

इसी तरह पंचम भाव में राहु की स्थिति हो तो खुद के ही लिए गए फैसलों की वजह से बदनामी जैसे कि प्रेम विवाह या फिर खुद के व्यवसाय में आर्थिक नुकसान की स्थिति बनी होती है , शेयर बाजार से ऐसे लोगों को नुकसान होता है । इसी तरह सप्तम भाव में राहु की स्थिति होने पर प्रेम संबंध, साँझीदारी में धोखा होता है । 

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इसी तरह अष्टम भाव में राहु की स्थिति मूत्र अंगों से जुड़े रोग, सेक्स में दिलचस्पी, ज्योतिष और टोने टोटके का दुरुपयोग करने की भावना दूसरों के धन की इच्छा होती है । इसी तरह नवम भाव में राहु की स्थिति पिता और बुजुर्गों से विवाद दान पुण्य रीत रिवाज़ों की आलोचना ऐसा व्यक्ति करता है । इसी तरह बाहरवें भाव में राहु की स्थिति व्यक्ति के ग्रहस्थ सुख को खराब करती है, सपने में सांप दिखाई देते हैं, प्रॉपर्टी के सुख खराब होते हैं, अनावश्यक खर्च परेशान करते हैं । 

राहू खराब होने से क्या होता है 

साधारण तौर पर हर किसी में अशुभ और खराब राहु के ऐसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं जैसे कि पिता और भाइयों से विवाद, चलता हुआ कारोबार बंद हो जाना, आर्थिक स्थिति खराब हो जाना, आंखों से जुड़े रोग , रीढ़ की हड्डी से जुड़े रोग, मति भरम, प्रतिष्ठा की कमी होती है । लेकिन यहां जानकारी के लिए बता दें कि राहु केतु खुद से कभी भी शुभ या अशुभ प्रभाव नहीं देते, बल्कि जिस राशि में विराजमान होते हैं उस राशि के स्वामी ग्रह अनुसार इनका व्यवहार होता है यदि राशी स्वामी ग्रह योगकारक है तो राहु केतु भी योगकारक होंगे, लेकिन यदि वह ग्रह मारकेश है तो राहु केतु भी मारकेश की तरह फल देंगे ।

यह तो इस सभी जानकारी में हम ने आपको बताया कि ज्योतिष में राहू का महत्व, मानव जीवन पर राहू का प्रभाव और कमजोर अशुभ के लक्ष्ण | आप इस जानकारी के माध्यम से समझ गये होंगे कि राहू का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है!

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