Pashchim Disha Se Jude Vastu Vichar

Pashchim Disha Se Jude Vastu Vichar 

पश्चिम दिशा और वास्तु में इस से जुड़े शुभा शुभ विचार


Pashchim Disha Ka Mahatav

वैसे तो वास्तु में हर दिशा का महत्व है , लेकिन पश्चिम दिशा का महत्व इस लिए है क्यूंकि यह दिशा जीवन को तथा जीवन के कार्यो को चलायमान रखने में सहायक है , इस मे भी कार्य और जीवन सही दिशा में आगे बढ़ें , यह शुभता पश्चिम दिशा के माध्यम से ही प्राप्त होती है । दूसरा कारण इस दिशा के अधिपति देवता वरुण हैं , जो जल के देवता हैं , और जल से ही जीवन है , इस से भी इस दिशा के महत्व का पता लगता है । इस दिशा से संबंधित अन्य विचार 

  • नवग्रहों में शनि ग्रह का संबंध इस दिशा से है , और शनि ग्रह कर्मो के माध्यम से यश और कीर्ति देने में सहायक हैं । इस लिए जो लोग मेहनती होते हैं और जीवन मे बड़ी पद प्रतिष्ठा की इच्छा रखते हैं उन्हें इस दिशा में रहना चाहिए । लेकिन जो लोग शादीशुदा जीवन मे हैं ( खास कर नई शादी हुई है ) उन्हें इन दिशा में नहीं रहना चाहिए, क्योंकि यह दिशा ग्रहस्थ सुख में कमी करती है । 
  • कहने का भाव कि यदि आप प्रोफेशन स्तर पर अच्छी सफलता चाहते हैं , कोई बड़ा पद जीवन मे चाहते हैं , सामाजिक कार्य करते हुए राजनेता बनना चाहते हैं तो आपको इस दिशा में रहना चाहिए । क्योंकि यही logic है कि यदि आप सामाजिक कार्य करेंगे लोगो से मेल जोल बढ़ेगा , इस से आपकी व्यस्तता बढ़ेगी , जिस की वजह से आप घर परिवार को समय कम दे पाएंगे , हां ,आपसी  रिश्तो में कटुता नहीं आएगी , लेकिन बाहर रहने से घर को समय कम दे पाएंगे ।
  •  वास्तु अनुकूलता की बात करें, तो शनि ग्रह बड़े सदस्यों का कारक ग्रह है , इस लिए घर की पश्चिम दिशा में घर के बड़े सदस्यों को रहना चाहिए । अगर घर परिवार में माता पिता हैं , उनके दो पुत्र हैं दोनो विवाहित हैं , तो ऐसी स्थिति में घर के बुजुर्गों ( माता पिता ) को नैत्य कोण ( south - west ) में रहना चाहिए , घर के बड़े बेटे बहु को पश्चिम दिशा में , और घर के छोटे बेटे बहु को उत्तर दिशा में रहना चाहिए । 
  •  कुण्डली का सप्तम भाव इस दिशा से संबंध रखता है , सप्तम भाव जीवनसाथी , व्यवसायिक सांझीदार का तो है ही , साथ ही यह भाव प्रजा का है क्यूंकि शनि प्रजा का कारक है , यह भाव group discussion का है , इकट्ठे मिल कर बैठने का है , इस लिए पश्चिम दिशा में डाईनिंग टेबल रखा जा सकता , कि खाना खाने के बाद कुछ महत्वपूर्ण बातो पर चर्चा हो सके , जिस में फैसले करते समय सभी की सहमति मिल जाये , और विवाद की स्थिति ना बने । 
  •  इस के इलावा पश्चिम दिशा में सीढ़ीयां बनाना भी वास्तु अनुकूल है, उस पर ममटी बना कर टँकी रखी जा सकती है , जिस से पश्चिमी दिशा ऊंची हो जाएगी , और वास्तु अनुसार पश्चिमी हिस्से को ऊँचा रखने की शर्त भी पूरी हो जाएगी । 
  • इस के इलावा पढ़ाई करते समय , खाना खाते समय , पूजा उपासना करते समय पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए , जिस से आपका मुख जो है वो पूर्व दिशा की तरफ रहे , किये गए कार्यो से सम्मान की प्राप्ति हो ।
  •  बड़ो से बात करते समय , किसी बात पर माफी मांगते समय , यहां तक कि अपने सीनियर अधिकारी लोगो से भी बात करते समय आपका मुख जो है वो पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए , क्योंकि यह दिशा support देने वाली ऊर्जा देती है , ओस तरह से अधिकारी लोगो से बात करने पर वह आपकी बात को सुनेगे भी और स्वीकार भी करेंगे ।
  •  इसके इलावा पश्चिम दिशा में टॉयलेट और बाथरूम भी बनाये जा सकते हैं , लेकिन यह वायव्य कोण की तरफ ना करके , नैत्य कोण के नज़दीक बनाने चाहिए , वस्त्र इस दिशा में धोये जा सकते हैं । वास्तु अनुकूल रंग नीला इस दिशा को शुभता देता है , इस के इलावा अशोक का पेड इस दिशा में लगाने से हर तरह का वास्तु दोष दूर हो जाता है , और घर परिवार के सदस्यों के लिए प्रोफ़ेशन स्तर पर तरक्की के रास्ते बनते हैं । अन्य सभी पौदे जो ज़्यादा ऊचाई वाले हो इस दिशा में लगाये जा सकते हैं । पीपल का पेड़ गमले में इस दिशा में लगाया जा सकता है । 

Deep Ramgarhia

blogger and youtuber

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