Guru Se Shubhta Prapti Ke Upay

Guru Se Shubhta Prapti Ke Upay 

नवग्रहों में अशुभ बृहस्पति  के लक्षण और शुभता प्राप्ति के उपाये

Ashubh Guru Ke Lakshan

ब्रहसपति ग्रह knowledge का कारक है, चाहे social life हो या profession life हो, दोनो में ही ब्रहसपति ग्रह का महत्व है | जिन लोगो का पेट हमेशा खराब रहता है, चाहे कफ़ विकार हो, या कब्ज़ हो, गैस हो चाहे लिवर की दिक्कत हो, उनका ब्रहसपति खराब होता है, ऐसे में भार या तो बहुत ज़्यादा होता है या फ़िर जातक का भार बहुत कम होता है | खास कर दवाइयाँ और डाकटरी सलाह से भी रोग ठीक नहीं होते, ये भी अशुभ गुरु ग्रह के परिणाम होते हैं | इस के इलावा ब्रहसपति ग्रह network circle को भी represent करता है, कि जो लोग हमेशा हमारी मदद को तैयार रहते हैं , हमारा भला चाहते हैं, ये भी ब्रहसपति ग्रह के कारण सम्भव होता है । जन्म कुण्डली में ब्रहस्पति अशुभ फल दे रहा हो तो भाग्य निर्बल हो जाता है, घर के बुजुर्ग बीमार रहने लगते हैं, पिता और बड़े भाई के साथ झगड़े होते हैं, विवाह और संतान प्राप्ति में देरी होती है ।

Guru Se Shubhta Prapti Ke Upay

  • ब्रहसपति ग्रह 2nd भाव का कारक है, ऐसे में ब्रहसपति को शुभ करने के लिए नियमित दूध में केसर मिला कर सेवन करना चाहिए, हल्दी मिले दूध का सेवन करना चाहिए, इस से पेट भी सही रहेगा |
  •  ब्रहसपति ग्रह 5th भाव का कारक है, संतान के साथ दिन का कुछ समय ज़रूर बिताना चाहिए, खुद भी अच्छे साहित्य और धार्मिक किताबे पढनी चाहिए |
  •  ब्रहसपति ग्रह 9th भाव का कारक है, गुरु, गाय और धर्मस्थान की सेवा करनी चाहिए, गुरुवार के दिन किसी बुजुर्ग को भोजन कराना चाहिए, किसी बनते हुए धर्मस्थान की सेवा करनी चाहिए |
  •  ब्रहसपति ग्रह 12th भाव का कारक है, बडे भाई - बहनो से सम्बन्ध अच्छे रखने चाहिए, पीपल और केले के पेड की सेवा करनी चाहिए , समय अनुसार दान पुण्य करने चाहिए । 
  •  कुण्डली में गुरु राहु की युति हो, गुरु 6th भाव में हो तो पित्रो के निमित हर वर्ष पूजा - पाठ कराना चाहिए, अपने कुल पुरोहित को सम्मान पूर्वक दान दक्षिणा और पीले वस्त्र देकर आशिर्वाद प्राप्त करना चाहिए |
  •  कुण्डली में गुरु केतु की युति हो, गुरु 12th भाव में हो तो हर वर्ष पीपल या केले का पेड लगाना चाहिए, अनाथ आश्रम या फ़िर होसपिटल के लिए दान पूण्य करना चाहिए , अन्न और जल का भण्डारा करना चाहिए |
  •  कुण्डली में गुरु शनि की युति हो या फ़िर गुरु दसम भाव में हो, तो स्वाभाव से दयालु नहीं होना चाहिए, जैसे को तैसा जैसा व्यवहार करना चाहिए | दान - पूण्य की इच्छा हो तो वृद्ध आश्रम में धन देना चाहिए, पीपल के पेड पर नियमित जल अरपित करना चाहिए |
  •  कुण्डली में गुरु अश्टमेश हो, या गुरु 8th भाव में हो तो ऐसे में घर के रीत रिवाज़ो का अनुसरण करना चाहिए, माता - पिता के साथ रहना चाहिए, हल्दी, केसर, बेसन का दान करना चाहिए |
  • कुण्डली में गुरु - बुध की युति हो, या फ़िर गुरु कन्या राशि का हो, तो ऐसे में पपीते का दान किसी कन्या को गुरुवार के दिन करना चाहिए, पपीते के पेड की जड को पीले वस्त्र में पीले धागे में गले में धारण करना चाहिए |
  •  इस के इलावा किसी भी भाव में गुरु ग्रह अशुभ हो, तो भगवान वासुदेव जी की अराधना करनी चाहिए, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए, घर में सत्य नारायण जी की कथा का आयोजन कराना चाहिए , इस से गुरु शुभ फ़ल देने लगता है । ब्रहस्पति त्रिकोण भाव का स्वामी है तो पुखराज या सुनहला रत्न धारण करें । 
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Deep Ramgarhia

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