Dusre Bhav Me Ketu Ke Fal Aur Upay
जन्म कुण्डली के इस भाव पर बृहस्पति और शुक्र का प्रभाव होता है, जिन में केतु बृहस्पति का मित्र है और शुक्र का शत्रु है । इसका कारण यह है कि केतु मोक्ष का कारक ग्रह है और बृहस्पति के ज्ञान के माध्यम से ही मोक्ष का रास्ता बनता है, जबकि शुक्र भोग विलासिता के चलते व्यक्ति को मोक्ष से दूर करता है । द्वितीय भाव में केतु वाले जातक को जैसा घर परिवार के हालात बना देते हैं उनका आचरण वैसे ही बनता है, साधारणतया इनको ज़्यादा बोलने की आदत नहीं होती, ना ही यह खुद की मर्ज़ी से ज़्यादा बड़े जोखिम जीवन में लेते हैं, यह सिर्फ दूसरों को कष्ट दिए बिना जीवन जीने के इच्छुक होते हैं । यह भोजन की वस्तुओं का दान करना भी पसंद करते हैं । उम्र के 16 और 25वे वर्ष में इनको चोट लगने का योग होता है । अब बात करते हैं यदि द्वितीय भाव में विराजमान केतु शत्रु राशि या शत्रु ग्रहों से युति दृष्टि के माध्यम से अशुभ फल दे रहा हो, तो ऐसे जातक खर्च ज़्यादा करते हैं, भोजन करते समय जूठन छोड़ते हैं, वस्त्रों पर ज़्यादा खर्च करते हैं, ऐसे जातक के परिवार की महिलाओं का स्वास्थ्य खराब रहता है, द्वितीय भाव का केतु की वजह से जातक वाणी से स्पष्ट नहीं बोल पाते, भोजन में यदि यह ज़्यादा मसालों का इस्तेमाल करें तो इनको चमड़ी के रोग, हृदय रोग, पेट के रोग के योग होते हैं, द्वितीय भाव के साथ यदि सप्तम भाव पर भी दुष्प्रभाव हो तो विवाह में देरी होती है, नोकरी / कारोबार की तरक्की में रुकावट आती है, परिवार के साथ रहते हुए भी आपसी रिश्तों का सुख नहीं मिलता, ऐसे जातक को वाहन दुर्घटना का भय रहता है, ऐसे जातक food supplement पर ज़्यादा खर्च करते हैं, ऐसे जातक बिना वजह के ही बहस कई बार शुरू कर देते हैं और आसानी से शांत नहीं होते , कभी कभी यह बहुत ज़्यादा बचत करते हैं और फिर बिना वजह के ही उस बचत को गलत फैसले लेकर उस धन को खर्च भी कर देते हैं, कुल मिला कर यदि इनके जीवन में कोई इनको सही रास्ता दिखाने वाला ना हो तो यह जीवन भर परेशान होते हैं । अब बात करते हैं यदि द्वितीय भाव में विराजमान केतु मित्र राशि, शुभ ग्रहों से युति, दृष्टि संबंध में हो, तो ऐसे जातक परिवार के रीत रिवाजों अनुसार आचरण करते हैं, खुद की मर्ज़ी से कोई भी फैसला नहीं करते बल्कि हमेशा उनकी मदद लेते हैं जो इनको सलाह देते हैं, समय समय पर भोजन, वस्त्रों का दान करते हैं, धार्मिक यात्राएं करते हैं, विदेश जाकर सफल होते हैं, पशु पक्षियों से स्नेह करते हैं, bank में धन रखने की बजाए निवेशित रहना पसंद करते हैं, उम्र के 16 और 25वे वर्ष में विदेश यात्रा के योग होते हैं, इनकी जन्म कुण्डली में यदि मंगल की स्थिति शुभकारी ना हो तो जीवनसाथी का स्वास्थ्य कमज़ोर होता है, as career इनके लिए driving, import export, software engineer, photography, management, IT sector अच्छे विकल्प होते हैं, खुद की सुख सुविधाओं की बजाए यह परिवार के सुख का ख्याल रखना पसंद करते हैं, किताबी ज्ञान की बजाए यह internet से सीखना पसंद करते हैं जिसकी वजह से इनके पास अच्छी जानकारी होती है ।
You can also read this :
Budh Greh Se Shubhta Prapti Ke Upay
Jyotish Anusar Mukhya Greh Ka Mahatav
Shukra Greh Se Shubhta Prapti Ke Upay
द्वितीय भाव में विराजमान केतु से शुभता प्राप्ति के उपाये
* मंगलवार के दिन हनुमानजी को ध्वजा अर्पित करें ।
* घर के ईशान कोण में पीले रंग की ध्वजा लगाएं ।
* शनिवार के दिन काले तिल जल परवाह करें ।
* मंगलवार और शनिवार के दिन मछलियों को आटे की गोलियां दें ।
* गुरुवार के दिन मस्तक, ज़ुबान और नाभि पर हल्दी का तिलक करें ।