Janam Kundali me Shubh Ashubh aur Kamzor Shukra ।। जन्म कुंडली में शुभ अशुभ और कमज़ोर शुक्र

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ज्योतिष शास्त्र अनुसार मानव जीवन पर शुक्र का प्रभाव और शुभ अशुभ लक्षण

ज्योतिष शास्त्र अनुसार शुक्र को नैसर्गिक शुभ ग्रह कहा जाता है जिसकी प्रकृति सौम्य है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी है और जन्म कुंडली के सप्तम भाव का कारक ग्रह है। मीन राशि में शुक्र उच्च बल को प्राप्त होता है जबकि कन्या राशि में शुक्र नीच राशि का होने से अपने शुभ फल देने में असमर्थ होता है। जबकि मेष, सिंह, वृश्चिक और धनु शत्रु राशियां हैं इस नाते इन राशियों में भी शुक्र कमज़ोर होने की वजह से शुभ फल देने में असमर्थ होता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार शुक्र जीवनसाथी, सांझेदारी, विवाह, प्रेम संबंध, सुन्दरता, आकर्षण, संगीत, सुगंध और सजावट की चीजें, वस्त्र, अभुष्ण, शयन कक्ष, वाहन और भोतिक सुख का कारक है।

मजबूत और शुभ शुक्र के लक्ष्ण

यदि जन्म कुंडली में शुक्र मजबूत या शुभ फल दे रहा हो तो जातक को सांझेदारी में लाभ, वैवाहिक जीवन सुखी, सुंदर शरीर, चेहरे पर आकर्षण, वस्त्र, आभुष्ण और सभी तरह के भोतिक सुख साधन मिलते हैं।

कमजोर और अशुभ शुक्र के लक्ष्ण

यदि जन्म कुंडली में शुक्र कमज़ोर या अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को सांझेदारी में नुक्सान, जीवनसाथी के सुख का अभाव, कमाए धन का सुख ना मिलना, वस्त्र, आभूष्ण और भोतिक सुख की कमी, कफ जनित रोग से पीड़ित होता है।

स्वास्थ्य : यदि जन्म कुंडली में शुक्र अशुभ फल दे रहा हो तो आँखों की कमजोरी के रोग, बालों के रोग, सुन्दरता की कमी, वीर्य की कमी, उम्र से पहले बुढ़ापा, शुगर रोग, मूत्र अंगो के रोग, कफ जनित रोग और संतान संबंधी रोग परेशान करते हैं।

शुक्र से संबंधित करियर पेशा व्यवसाय

यदि जन्म कुंडली में शुक्र शुभ होकर कर्म या लाभ भाव से योग करे तो रस और मीठी वस्तुओं से जुड़े कारोबार, पशु पालन और डेयरी उद्योग, खेती, बनस्पति और आयुर्वेद संबंधित, होटल, वाहन और यात्रा संबंधित, फैशन डिजाइनिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग, मीडिया, अदाकारी, चित्रकारी, फोटोग्राफी, संगीत, वस्त्र, पार्लर, शिंगार के सामान, ज्वेलरी, रिश्ते जोड़ने के कार्य, विवाह पैलेस, सुगंध और सजावटी चीजों से जुड़े कारोबार लाभ देते हैं।

शुक्र से बनने वाले शुभ अशुभ योग

शुक्र से बनने वाले शुभ योग की बात करें तो जन्म कुंडली में केंद्र के भाव में शुक्र अपनी या उच्च राशि में होने से मालव्य नामक महापुरुष योग, बुध शुक्र युति से लक्ष्मी नारायण योग, मंगल शुक्र युति से प्रेम विवाह योग बनता है। जबकि अशुभ योग की बात करें तो जन्म कुंडली में शुक्र की युति सूर्य, चंद्रमा या केतु से होने पर शुक्र का अशुभ योग बनता है।

यदि जन्म कुंडली में शुक्र 1, 2, 4, 5, 7, 9 या 12वे भाव में हो, अन्य भाव में यदि शुक्र वृषभ, तुला या मीन राशि का हो तो भी शुभ फल होते हैं।

यदि जन्म कुंडली में शुक्र शुभ हो तो जातक को जीवनसाथी का सुख जरुर मिलता है। जातक के लिए 24, 36 और 48वा वर्ष भाग्यशाली होता है।

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