ज्योतिष अनुसार गुरु का जीवन पर प्रभाव - दीप रामगढ़िया
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गुरु ग्रह का महत्व ज्योतिष अनुसार ब्रहस्पति jupiter को नैसर्गिक शुभ ग्रह कहा जाता है इनकी प्रकृति कफ प्रधान है । धनु और मीन राशि के यह स्वामी हैं , और कर्क राशि में उच्च बल और मकर राशि में नीच बल को प्राप्त होते हैं । वैदिक ज्योतिष अनुसार कुंडली में ब्रहस्पति का स्थान ब्रहस्पति जन्म कुण्डली के 2, 5, 9, 11 और 12 भाव के कारक हैं , जबकि जैमिनी ज्योतिष अनुसार पितृ कारक ग्रह हैं । इस के इलावा वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि में ब्रहस्पति शत्रु राशि में होने की वजह से शुभ फल देने में असमर्थ होते हैं । Astrology field of study
ज्योतिष अनुसार गुरु ग्रह का जीवन में महत्व
गुरु ग्रह के मायने! कालपुरुष कुंडली में धनु और मीन दोनों राशियों को गुरु एक साथ चलाता है । 9 यानी भाग्य और 12 यानी मोक्ष, यानी भाग्य इतना देगा कि उस इच्छा को मोक्ष मिल जाएगा, इंसान उस वस्तु को दोबारा मांगेगा ही नहीं । सौर मंडल में गुरु ग्रह इतना विशाल है कि इस में बाकी के सभी ग्रह समा सकते हैं । सैकडों सागर इस में समा सकते हैं । एक बार अगस्तय मुनि ने पृथ्वी के सभी समुद्रों का जल पी लिया था, इतनी शक्ति गुरु में होती है ।
जब पृथ्वी को ही गुरु ग्रह निगल सकता है तो एक इंसान की क्या हैसियत है । और इंसान की कुछ सीमित सी ज़रूरतें पैसा, ज़मीन, शादी, बच्चे, यह गुरु ग्रह के आगे क्या होंगी । गुरु ग्रह इतनी धन दौलत दे सकता है कि इंसान की आने वाली कई पीढ़ियों तक वो खत्म ना हो । और अगर कुंडली में गुरु खराब है तो महीने का 1 लाख कमा लो या 10 लाख, गुरु सब कुछ निगल जाएगा, ऊपर से कर्ज़ा, बीमारी, दम घुटना, पढा हुआ exam में जाकर भूल जाना, संतान ना होना यह सब हो सकता है अगर गुरु अनुकूल ना हो । फिर मुंह से खुद ही निकलेगा अकेला गुरु इतना कुछ कर सकता है बाप रे! और नवम भाव पिता का ही होता है ।
ज्योतिष अनुसार कुंडली में गुरु खराब होने के लक्ष्ण
जिसकी भी जन्म कुण्डली अनुसार ब्रहस्पति ग्रह पाप ग्रहों से पीड़ित अशुभ गुरु हों या फिर शत्रु राशि में होकर कमज़ोर हों तो ऐसे व्यक्ति को सफलता और प्रतिष्ठा प्राप्ति में बाधा आती है, जीवन का कोई भी विषय हो चाहे शिक्षा प्राप्ति हो , चाहे नोकरी कारोबार हो चाहे ग्रहस्थ जीवन का सुख हो हर जगह से व्यक्ति कष्ट उठाता है । जबकि मित्र राशि शुभ गुरु या कुंडली में उच्च का गुरु, शुभ ग्रहों से संबंधित ब्रहस्पति जीवन के हर विषय में सफलता और प्रतिष्ठा व्यक्ति को प्रदान करता है । Astrology chart
जन्म कुंडली में गुरु इन भावों में देता है अशुभता
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House Astrology ब्रहसपति गुरु है, ज्ञान है, प्रकाश है, सीखने की ललक है, अनुशासन है, बडो का आशिर्वाद है, कमज़ोरो के लिये मदद करने वाला है, दुनिया और रिश्ते नातो का ज्ञान और मान सम्मान है | यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में ब्रहसपति शत्रु राशी में हो या ग्रह ( बुध, शनि, शुक्र, राहु, केतु ) से संबंधित हो तो जातक का ब्रहसपति पीडित माना जाता है | ऐसे जातक को चीज़ो को समझने में परेशानी होती है, पढाई में रुकावटे आती हैं और बडो से प्यार और दुलार नहीं मिलता, जीवन में हमेशा भटकाव की स्थिति रहती है | ज्योतिष अनुसार गुरु नैसर्गिक शुभ ग्रह है, इस नाते गुरु ग्रह 3, 6, 8, 10 भाव में अशुभता देता है | Horoscope Topic
गुरु शनि युति देती है आध्यात्मिक जीवन का सुख
जन्म कुंडली में जब ब्रहसपति शनि के साथ या शनि की राशि में या फ़िर शनि की दृष्टि में होता है तो जातक को बडो से प्यार दुलार नहीं मिलता, जातक खुद भी रिश्तो को निभाने और मान सम्मान करने के मामले में कम होता है, हालकि जातक हर किसी का खयाल रखता है लेकिन रिश्तो में वो मज़ा नहीं होता या फ़िर रूखापन होता है | जातक के बड़े उसके लिये किसी सख्त टीचर की तरह व्यवहार करते हैं | गुरु शनि का यह संबंध धर्म और अध्यात्मिक विषयों से जुड़ पर तरक्की और सुख देता है | Birth chart astrology
बुध गुरु का संबंध देता है गणित की दुनिया में सम्मान
जन्म कुण्डली में जब ब्रहसपति बुध के साथ या बुध की राशि में या फ़िर बुध की द्रिश्टी में होता है, यह स्थिति चलित या नवमांश में भी हो सकती है | तो जातक समझदार होता है, अच्छी बुधी वाला, अच्छी शिक्षा वाला, गणित की अच्छी समझ रखने वाला, लेकिन लिवर और पाचन तंत्र के सही काम ना करने के कारण कमज़ोर शरीर वाला या फ़िर ज़्यादा फ़ैटी भी हो सकता है |
ऐसे जातक दिमाग से पैसा कमाने वाले होते हैं और ज़्यादारतर management और HR में होते है, क्युकि इनका काम होता है दुनिया में लोगो को connect करना, जैसे कि ready to use products ko market में भेजना, लोगो को सलाह देना, या फ़िर किसी कंपनी में रह कर उसके भविष्य के लिये plan करना या पैसे को इनवैसट करना | Accounts, share market, astrology भी इनके लिए अच्छा विकल्प होते हैं |
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कुंडली में गुरु शुक्र युति देती है विवाह के बाद भाग्य उदय
जब कुण्डली में ब्रहसपति शुक्र के साथ या उसकी राशि में या फ़िर द्रिश्टी में हो, यह स्थिति चलित या नवमांश में भी हो सकती है | तो ऐसा जातक उच्च विद्या प्राप्त करने वाला, विदेश जाकर पढने वाला, रिसर्च करने वाला, खुश रहने वाला और दूसरो को खुशी देने वाला, विवाह के बाद भाग्य उदय, कला और सौंदर्य में रुची रखने वाला या इन से संबंधित कार्य करने वाला और जवेलरी का शोक रखने वाला होता है, परिवार और दुनियादारी का भरपूर सुख प्राप्त करने वाला होता है ।
कुंडली में गुरु राहू युति बनाती है चांडाल योग
यदि जन्म कुण्डली में ब्रहसपति राहु के साथ हो या द्रिश्टी में हो तो चन्डाल योग बनता है, लेकिन इस का मतलब ये नहीं के जातक में कोई बुराई होगी | बलकि जातक को जो गुरु मिलता है वो चन्डाल होता है, धोखा देने वाला होता है | जातक जिस पर भी भरोसा करता है वही उसको धोखा देता है | खास कर जिन लडकियो की जन्म कुण्डली में ऐसा योग होता है, उनहे शादी के मामले में फ़ैसला सोच समझ कर और बडो की सलाह से लेना चाहिए, और लड़को से सतर्क रहना चाहिये, उनसे लिमिट में ही बात चीत करनी चाहिये और प्रेम सम्बन्ध कभी भी नही बनाने चाहिये, बडो की अनुमति के बिना विवाह नहीं करना चाहिये |
कमजोर और अशुभ गुरु से आती है सरकारी नौकरी प्राप्ति में बाधा
गुरु की पीड़ा केतु! गुरु केतु का संबंध ऐसा है कि बड़ों की दुआ, बदुआ, श्राप, आशीर्वाद केतु के रूप में आते हैं । इस लिए केतु को बंधन भी कहा जाता है । गुरु अगर खराब है तो किसी पढ़ी या सीखी हुई विद्या की जब सब से ज़्यादा ज़रूरत होती है तो व्यक्ति बंधन में आ जाता है यानी मौन हो जाता है । खराब गुरु ग्रह की वजह से कुछ विद्यार्थियों के बहुत वर्ष सरकारी नौकरी Govt job की प्राप्ति में खराब हो जाते हैं, क्योंकि जब गुरु खराब है तो पढ़ा हुआ याद कैसे रहेगा । महाभारत युद्ध में कर्ण अर्जुन के युद्ध के समय गुरु के श्राप की वजह से मंत्र भूल गया था, जिस से कर्ण का वध हो गया । इसी लिए गुरु भाग्य का ग्रह है । इसके इलावा केतु यानी पुत्र प्राप्ति, पुत्र से सुख भी गुरु की शुभता से ही मिलता है |
यह तो इस सभी जानकारी में हम ने आपको बताया कि ज्योतिष में गुरु ग्रह का महत्व, मानव जीवन पर गुरु का प्रभाव और कमजोर गुरु ग्रह के लक्ष्ण | आप इस जानकारी के माध्यम से समझ गये होंगे कि गुरु का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है!
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