Jaane Ghar Ka Vaastu Sirf Panch Mintue Me
दोस्तों आज की इस पोस्ट में आपको all over पूरे घर के वास्तु की जानकारी देंगे वह भी सिर्फ 5 मिनट में । तो जल्दी से इस पर चर्चा शुरू करते हैं
दोस्तों सब से पहले हम घर बनाने के लिए जमीन का चयन करते हैं तो उसके लिए आपको बता दें कि हरे भरे पौदों से भरी ज़मीन , तथा ज़मीन पर कुछ मात्रा में पानी फेंकने पर भीनी सी खुशबू आती हो ऐसी ज़मीन पर घर बनाना उत्तम होता है । एक अन्य परीक्षण के तौर पर आप उस जमीन पर एक गड्डा खोदें और फिर से वापिस उसी मिट्टी से गड्ढे को भर दें अगर मिट्टी बच जाए तो वह जमीन घर बनाने के लिए उत्तम होती है ।
लेकिन यदि संबंधित ज़मीन पर आपको ऐसी गुण ना मिले फिर भी आपको वहां घर बनाने की इच्छा हो तो घर बनाने से पहले वहां चारा लाकर वहां 2 गायों को चरने देना चाहिए , ऐसा करने से उस जमीन से संबंधित हर तरह का वास्तु दोष दूर हो जाएगा , और ऐसी ज़मीन पर बनाये गए घर में रहने से आपका भाग्य भी अच्छा बना रहेगा
घर बनाने की शुरुआत करने से भी पहले ज़रूरत होती है वहां जल की व्यवस्था करने की, तो वास्तु अनुसार कुआ , बोरिंग या समर्सिबल या तो उत्तर दिशा में हो या फिर ईशान कोण में हों , दोनों ही दिशा में बोरिंग और समर्सिबल होना घर परिवार के आर्थिक सुख के लिहाज से बहुत ही शुभ होते हैं ।
जबकि पानी की टँकी आप छत पर पश्चिम या दक्षिण पश्चिम दिशा में रख सकते हो , इन दोनों ही दिशा में रखी गई पानी की टँकी घर के लिए शुभकारी होती है । इन के इलावा पानी की पाइप , नल , तथा बरसाती पानी की निकासी की पाइप फिटिंग की बात करें तो यह सब चीजों भी घर की उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ होनी चाहिए । छत से आने वाला बरसाती पानी ईशान कोण की तरफ से घर से बाहर आना शुभकारी होता है ।
घर में पूजा स्थल के वास्तु के बारे में चर्चा करें तोव पूजा घर के लिए सर्वोत्तम जगह ईशान कोण है। ईशान के अतिरिक्त पूर्व या उत्तर में भी बनाया जा सकता है। घर के पूजा गृह में 9 इंच से बड़ी मूर्तियां नहीं होनी चाहिए। घर के मंदिर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो गोमती चक्र व दो शालिग्राम नहीं रखने चाहिए।
मंदिर कभी सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए। मंदिर व शौचालय की दीवार एक नहीं होनी चाहिए। मंदिर व शौचालय साथ साथ आमने सामने नहीं होने चाहिए। पूजा घर की आंतरिक स्थित में देवी-देवताओं के चित्र उत्तर या पूर्व में लगा सकते हैं। गंगा जल या कलश ईशान में रख सकते हैं। हवन करते समय हवन कुंड पूजा कक्ष के आग्नेश, में रख सकते हैं। दीपक भी आग्नेय की तरफ रख सकते हैं।
पूजा घर में क्रीम, पीला या सफेद रंग करा सकते हैं। खिड़कियां उत्तर व पूर्व में होनी चाहिए। पूजा घर में कभी भी खंडित मूर्तियां न रखें।
बात रसोई घर के वास्तु की करें तो वास्तु अनुसार रसोई घर दक्षिण पूर्व दिशा में होना चाहिए , यदि इस दिशा में रसोई बनाना संभव ना हो तो सिर्फ पूर्व दिशा में भी आप रसोई बना सकते हैं । जिस घर में रसोई वास्तु अनुकूल ना हो ऐसे घर के सदस्यों को पेट से जुड़े रोग हमेशा परेशान करते हैं ।
घर के मुख्य सदस्य को नैत्य कोण या फिर सिर्फ दक्षिण दिशा की तरफ निवास करना चाहिए । ऐसा करने से वह घर की व्यवस्था को सुचारू रूप से चला सकता है । शयन कक्ष की बात करें तो वास्तु अनुसार शयन कक्ष पश्चिम दिशा की तरफ अनुकूल होता है, पश्चिम दिशा में बने कमरे में आप bed को दक्षिण दिशा के साथ लगा सकते हो , और शयन करते समय आपका सर दक्षिण की तरफ और पैर उत्तर दिशा की तरफ होने चाहिए ।
घर में बनाये जाने वाले toilet तथा bathroom की बात करें तो वास्तु अनुसार इनकी दिशा पश्चिम है , नैत्य कोण से थोड़ा दूरी पर toilet बनाना चाहिए , उसके साथ ही आप bathroom वायव्य कोण के पास बना सकते हो , और वायव्य कोण को आप वस्त्र धोने के लिए इस्तेमाल कर सकते हो ।
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बच्चों के कमरे की चर्चा करें तो छोटे बच्चों के कमरे पूर्व व उत्तर दिशा में बना सकते हैं। बड़े बच्चों के कमरे पश्चिम में बना सकते हैं। विवाह योग्य पुत्री का कमरा वायव्य कोण में बना सकते हैं ।
डाइनिंग रूम यानी भोजन कक्ष घर की पश्चिम दिशा की तरफ बनाना चाहिए , यदि पश्चिम दिशा में जगह ना हो तो पूर्व दिशा में भी आप बना सकते हो । सीढ़ियां बुध ग्रह से संबंधित होने के नाते इनको पूर्व या उत्तर दिशा में बना सकते हैं ।