Pitar Paksh Ke Dino Ka Mahatav
हमारे जीवन में पितर पक्ष के दिनों का महत्व
दोस्तों हमारी आज की इस पोस्ट में चर्चा का विषय है अश्विन महीने में आने वाले पितर पक्ष के दिनों का विचार । जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष के 12 महीनों में से अश्विन महीने की कृष्ण पक्ष के 15 दिनों को ज्योतिष और शास्त्रों अनुसार पितर कृपा प्राप्ति के दिन कहा गया है । दोस्तों आप में से बहुत लोग होंगे जो यह भी सोचते होंगे कि पितर कौन हैं और हमें उनकी कृपा प्राप्त करने की क्या ज़रूरत है , या फिर हमारे पितर हमें ऐसा क्या देते हैं जिसकी वजह से हमें उनका धन्यवाद करने की ज़रूरत है । तो जल्दी से बिना देरी के चर्चा शुरू करते हैं पितर पक्ष के दिनों के बारे में ।
पितर कौन होते हैं : दोस्तों पितर कौन होते हैं इस के लिए आपको बता दें कि घर परिवार तथा हमारे कुल के ऐसे सभी सदस्य जो वर्तमान समय में हमारे बीच नहीं हैं , चाहे वह माता पिता हो , चाहे वह दादा दादी , मामा , नाना , चाचा या अन्य कोई भी हमारा सखा संबंधी हो सकता है , क्योंकि समय समय पर वह हमारी मदद करते रहे , दादा दादी नाना नानी के रूप में वह हमें प्रेम और स्नेह देते रहे , माता पिता के रूप में वह हमारी सुख और तरक्की के लिए सदा हमे आशीर्वाद प्रदान करते रहे । आज आपके पास जो भी संस्कार, धन दौलत, ज़मीन , शिक्षा , नोकरी , व्यवसाय है उसके लिए आप तो सिर्फ एक माध्यम बने लेकिन आये तो आप इस दुनिया में माता पिता की वजह से ही , उन्होंने ही आपका पालन पोषण किया , आपको उचित संस्कार और शिक्षा प्रदान की जिनके माध्यम से आप कर्म करने के योग्य बने । तो इस तरह यह सब आप पर एक उधारी है यानी ऋण है और इसी को ही पितर ऋण के नाम से जाना जाता है ।
तीन तरह के पितर ऋण : यहां आपको जानकारी के बता दें कि इनके इलावा ऋषि ऋण , देव ऋण और मनुष्य ऋण भी होते हैं , दोस्तों अपने जीवन काल में हम जो भी ज्ञान प्राप्ति करते हैं स्कूल , कालेज या किसी पण्डित, पुरोहित या गुरु के माध्यम से , तो यह सब ज्ञान ऋषियों के माध्यम से ही तो आज हम तो पहुंचा है , इस नाते ज्ञान को प्राप्त कर ऋषि ऋण से पीड़ित होते हैं , इस के बाद ईश्वरीय या देवी देवताओं का ऋण , दोस्तों हमारे जीवन के लिए जो भी पंच तत्व हैं जैसे कि जल , अग्नि, वायु , पृथ्वी और आकाश इन्ही से हमारा शरीर निर्मित है , हम रोज़ जल पीते हैं , अग्नि के माध्यम से भोजन बनाते हैं , वायु के माध्यम से हम जीवित रहते हैं , पेड़ पौदों के माध्यम से हमें आक्सीजन मिलती है पृथ्वी यानी हम अपने घर और ज़मीन पर रहते हैं , गोमाता से हमे दूध की प्राप्ति होती है , इस तरह हम देवी देवताओं के ऋण से पीड़ित होते हैं , इस के बाद मनुष्य ऋण यानी हम अपने रोज़ाना के जीवन में आस पड़ोस से मदद प्राप्त करते हैं, मित्रों के साथ समय व्यतीत करते हैं , स्कूल कालेज फिर उस के बाद नोकरी व्यवसाय करते हुए भी हम मित्रों से जुड़ते हैं जो हमारे दुख सुख में हमारे साथ होते हैं इस तरह हम मनुष्य ऋण से पीड़ित होते हैं । दोस्तों हम अपने जीवन में निरंतर भोग विलास में व्यस्त रहते हैं कभी शिक्षा कभी नोकरी कभी धन का मोह तो कभी घर परिवार का मोह , कि इन सब के चलते हम मिलने वाली सुख सुविधाओं के लिए कभी अच्छे से धन्यवाद भी नहीं कर पाते , बल्कि जो विषय वस्तु हमें प्राप्त नहीं होती उसी का रोना रोते रहते हैं ।
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महत्वपूर्ण जानकारी : इस नाते ज्योतिष और शास्त्रों में विशेष रूप से इन 15 दिनों की व्यवस्था की गई है , कि पूरे वर्ष में से सिर्फ इन 15 दिनों के दौरान हम मिलने वाली इन सब सुविधाओं के लिए ऋषि मुनि पितरों तथा साथी सहयोगियों के रूप में जो हमें निरंतर मदद मिलती रहती है हम उस के लिए धन्यवाद कर सकें , इनके लिए हम शुक्रगुजार हो सकें । भले ही हम अपने जीवन में खुद के लिए अच्छे अच्छे भोजन वस्त्रों, धन दौलत आभूषणों की प्राप्ति की इच्छा रखें लेकिन हमारे पितरों को इन सब विषयों की प्राप्ति की इच्छा नहीं रहती , वह सिर्फ हमारी श्रद्धा भाव उनके प्रति चाहते हैं , कि हम जल तथा भोजन का दान किसी योग्य पात्र को उनके नाम से करें , दान किये जाने वाले भोजन में खीर विशेष रूप से होनी चाहिए , इस के इलावा इन दिनों में गाय कौए पशु पक्षियों तथा कुत्ते को भी खाने को देना चाहिए ।