Dakshin Disha Vastu Shastra Vastu Tips for Home ।। दक्षिण दिशा वास्तु शास्त्र वास्तु टिप्स फॉर होम

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वास्तु शास्त्र अनुसार घर की दक्षिण दिशा की अनुकूलता के लिए अपनाएं यह वास्तु टिप्स

वास्तु शास्त्र अनुसार घर की दक्षिण दिशा मंगल से संबंधित है। और ज्योतिष शास्त्र अनुसार मंगल भाई, प्रापर्टी, पराक्रम, दुर्घटना, रोग, कर्ज़ और शत्रुता का कारक है। इसी लिए दक्षिण दिशा में दोष होने पर इन सब कारक विषय में जातक को सुख की कमी के अनुभव होते हैं जैसे कि घर में भाई बहनों के बीच झगड़े, घर अधुरा बना होना, घर में बीमारी, कर्ज़ और पड़ोसी परेशान करते हैं।

दक्षिण दिशा मंगल से संबंधित होने से कार्य करने के लिए उर्जा और उत्साह प्रदान करती है। इस लिए सभी तरह के अध्ययन, चिंतन, पढ़ाई, नौकरी, कारोबार व अन्य शुभ कार्य करते समय दक्षिण दिशा में बैठना चाहिए। जिस से आपका मुख उतर दिशा की तरफ रहे।

दक्षिण दिशा की दीवार पर घड़ी और कैलेंडर लगाने से बचना चाहिए। सिर्फ सोते समय आपका मुख इस दिशा में होना चाहिए, जिस से आपके पैर उतर दिशा की तरफ रहें। इस के इलावा सिर्फ़ पितर कर्म करते समय ही आपका मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए।

घर की दक्षिण दिशा जन्म कुंडली के दसम भाव को प्रभावित करती है। इस लिए दसम भाव से मिलने वाले सभी तरह के फल का संबंध इस दिशा से है। जन्म कुंडली में दशमेश कमज़ोर या पीड़ित होने नौकरी कारोबार में प्रतिष्ठा और सम्मान की कमी आती है। लेकिन यदि घर की दक्षिण दिशा को वास्तु अनुकूल कर दिया जाए तो दसम भाव को बल मिलने से नौकरी कारोबार में आने वाली समस्या काफी हद तक कम हो जाती है।

अगर जन्म कुंडली के छठे भाव मे अंगारक या विष योग हो, तो हाल या ऐसा स्थान जहाँ परिवार के सदस्य एक साथ बैठते हों वहां मोर पंख, सेंधा नमक या अनाज से भरा मिट्टी का बर्तन रखें। इस वास्तु उपाय से छठे भाव में बन रहे अशुभ योग की अशुभता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

वास्तु अनुसार घर की दक्षिण दिशा में घर के मुख्य दम्पति ( पति पत्नी ) का कमरा होना शुभकारी होता है। दक्षिण का स्थान ऊँचा और यहाँ भारी सामान रखना चाहिए।

यदि इस दिशा में रसोई घर हो तो घर में झगड़े, कलह का माहौल बनता है, परिवार में अशांति होती है, सदस्यों को पेट की खराबी के रोग परेशान करते हैं। इसी लिए वास्तु शास्त्र अनुसार रसोई के लिए दक्षिण पूर्व दिशा को सुझाया गया है।

यदि इस दिशा में महिलाओं के शिंगार का सामान रखा हो तो इस से घर की आर्थिक स्थिति पर खराब प्रभाव आता है, खर्च आमदनी से ज़्यादा बने रहते हैं।

यदि इस दिशा में बच्चों का कमरा हो तो बच्चे क्रोधी, ज़िद्दी और चिड़चिड़ापन स्वभाव के बन जाते हैं, पढ़ाई से दूर भागते हैं। इसी लिए वास्तु शास्त्र अनुसार बच्चों का कमरा उतर दिशा में बनाने का सुझाव दिया गया है।

यदि इस दिशा में भण्डार घर हो, राशन इकट्ठा करके रखा हो तो इस से सदस्यों में आपसी मतभेद बढ़ते हैं, सदस्यों को एक दूसरे पर विश्वास और भरोसा नहीं रहता, जिस से घर का तनाव बढ़ता है।

यदि इस दिशा में फालतू सामान, कबाड़ रखा हो तो बहन भाइयों के आपसी संबंध खराब होते हैं, उधारी, कर्ज़ की समस्या उस घर में बनती है, मित्रों, पड़ोसियों से कष्ट होता है।

यदि इस दिशा में पूजा स्थान होगा तो इस से घर के पुरूष सदस्यों को हृदय के रोग, श्वास और खून से जुड़े रोग परेशान करते हैं।

घरेलू सुख कामकाज में शुभता और तरक्की के लिए दक्षिण दिशा में भारी सामान जैसे बेड, अलमारी, सोफा रखना चाहिए, यहाँ बड़े कद या ऊंचाई वाले पौदे लगाये जा सकते हैं।

इस दिशा के लिए अनुकूल रंग लाल, संतरी , भूरा हैं , जबकि अनार और गुलाब के पौदे इस दिशा में लगाये जा सकते हैं।

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