Janam Kundali me Shubh Ashubh aur Kamzor Surya ।। जन्म कुंडली में शुभ अशुभ और कमज़ोर सूर्य

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ज्योतिष शास्त्र अनुसार मानव जीवन पर सूर्य का प्रभाव और शुभ अशुभ लक्षण

ज्योतिष शास्त्र अनुसार सूर्य को नैसर्गिक अशुभ ग्रह कहा जाता है जिसकी प्रकृति पित प्रधान है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और जन्म कुंडली के दसम भाव का कारक ग्रह है। मेष राशि में सूर्य उच्च बल को प्राप्त होता है जबकि तुला राशि में सूर्य नीच राशि का होने से अपने शुभ फल देने में असमर्थ होता है। जबकि वृषभ, कर्क, मकर और कुंभ शत्रु राशियां हैं इस नाते इन राशियों में भी सूर्य कमज़ोर होने की वजह से शुभ फल देने में असमर्थ होता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार सूर्य पिता, बोस, अधिकारी वर्ग के लोग, सरकार, यश, आत्मा, अहंकार, आँखे, हड्डीयों और उर्जा का कारक है।

मजबूत और शुभ सूर्य के लक्ष्ण

यदि जन्म कुंडली में सूर्य मजबूत या शुभ फल दे रहा हो तो जातक को पिता, सरकार और राजनीति से लाभ, अधिकारी वर्ग के लोगो से सुख और सहयोग, संतान के अच्छे सुख और सामाजिक प्रतिष्ठा के सुख देता है।

कमजोर और अशुभ सूर्य के लक्ष्ण

यदि जन्म कुंडली में सूर्य कमज़ोर या अशुभ फल दे रहा हो तो जातक का क्रोध और अहंकार काबू में नहीं रहता, पिता और गुरु से सुख का अभाव, सरकारी जुरमाने का भय, बोस और अधिकारी वर्ग के लोगो की नाराज़गी, घर में दीमक लगना, छत पर गीली लकड़ी होना और लीवर में गर्मी के रोग से पीड़ित होता है।

स्वास्थ्य : यदि जन्म कुंडली में सूर्य अशुभ फल दे रहा हो तो लीवर की खराबी, आँखों की कमजोरी, गर्मी यानि बुखार के रोग, हृदय और हड्डीयों की कमजोरी के रोग परेशान करते हैं।

सूर्य से संबंधित करियर पेशा व्यवसाय

यदि जन्म कुंडली में सूर्य शुभ होकर कर्म या लाभ भाव से योग करे तो मेडिकल, सर्जन, खास कर आँखों के डाक्टर, जीव विज्ञान, सरकार और राजनीति संबंधी कार्य, प्रशासनिक सेवा में, कागज, रुई और लकड़ी संबंधी, जाति के आधार पर कारोबार लाभ देते हैं।

सूर्य से बनने वाले शुभ अशुभ योग

सूर्य से बनने वाले शुभ योग की बात करें तो जन्म कुंडली में सूर्य से अगले भाव में शुभ ग्रह होने से वेशि योग, सूर्य से पिछले भाव में शुभ ग्रह होने से वाशि योग और सूर्य बुध युति से बुधादित्य योग बनता है। जबकि अशुभ योग की बात करें तो जन्म कुंडली में सूर्य शनि युति से पिता पुत्र में झगड़े का योग, चन्द्र सूर्य युति से अमावस्या योग, सूर्य राहू युति से पितर दोष का अशुभ योग बनता है।

यदि जन्म कुंडली में सूर्य 3, 6, 10 या 11वे भाव में हो, अन्य भाव में यदि सूर्य मेष या सिंह राशि का हो तो भी शुभ फल होते हैं।

यदि जन्म कुंडली में सूर्य शुभ हो तो सरकारी नौकरी का योग या सरकारी योजनाओं से लाभ जरुर मिलता है। जातक के लिए 22, 34 और 46वा वर्ष भाग्यशाली होता है।

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