Dakshin Disha Se Jude Vastu Vichar
Dakshin Disha Ka Mahatav
वैसे तो हर दिशा अपनी उपयोगिता के कारण अलग महत्व रखती है , लेकिन दक्षिण दिशा का महत्व इस लिए बढ़ जाता है क्यूंकि यह कुण्डली के दसम भाव से संबंधित है । दक्षिण दिशा की उपयोगिता को समझने के लिए कुण्डली के दसम भाव को समझना जरूरी है , इसी पर विचार करते हैं
- अगर लग्न भाव चेहरा है, चरित्र है, विचार है , बुद्धि और विवेक है, समाज दुनियादारी के कार्यो में यह बुद्धि और विवेक कितना मददगार साबित होता है , यह कुण्डली का दसम भाव दर्शाता है । आपके योग्यता से भरपूर होने पर भी आपको कार्य नहीं मिलता, बल्कि वही चीज़ साथ वाले को आसानी से मिल जाती है, क्योंकि दसम भाव पीड़ित है , और इसी के साथ आप दक्षिण दिशा का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहे , दोनो बातो पर ध्यान देना होगा । खास कर दसम भाव शनि ग्रह का headquarter है , इसी लिए भी यहां कोई चालाकी काम नहीं आती ।
- दसम भाव लग्न भाव के लिए सामाजिक छवि है , कि कोई अपने कर्म , चरित्र और स्वभाव से खुद की कैसी छवि समाज मे बना रहा है , दसम भाव आपके चेहरे के लिए आयना है , इसी लिए वास्तु अनुसार दक्षिण दिशा में सर रख कर सोना चाहिए ।
- जो लोग दक्षिण दिशा की तरफ़ पैर करके सोते हैं, मतलब आपने खुद ही अपने चेहरे को अपमानित कर दिया , ऐसी स्थिति में दुनिया के बाकी लोग आपकी कद्र क्या करेंगे । ऐसी स्थिति में व्यक्ति के मेहनती और योग्य होने पर भी उसको समाज मे सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं होती ।
- वास्तु अनुसार दक्षिण दिशा की दीवार पर जीवन यात्रा पूरी कर चुके बुज़ुर्गों के चित्र लगाए जा सकते हैं । मतलब जो चीज़ आपके भूतकाल से जुड़ी है, और आप उनकी कृपा जीवन मे चाहते हैं , उन सभी चीज़ों को दक्षिण दिशा में रखा जा सकता है । जैसे कि शिक्षा प्राप्ति के सर्टिफिकेटस , जीते गए मेडलज़ । जिस से इन सर्टिफिकेटस की कृपा भविष्य में बनी रहे, और इनकी सहायता से आपको मन मुताबिक नौकरी भी प्राप्त हो । क्योंकि अच्छी नौकरी ना मिलने का ये भी कारण हो सकता है कि आपके सर्टिफिकेटस सही दिशा में नहीं रखे गये ।
- दक्षिण दिशा का कारक ग्रह मंगल है जो अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है । इस लिए इस दिशा में घर के जल स्त्रोत , पानी की टँकी होने से, उस घर के सदस्यों का मंगल ग्रह कमज़ोर होता है । जिस से घर परिवार के सदस्यों को सेहत समस्याओं का सामना करना पड़ता है । धन सेहत समस्याओं पर खर्च होने लगता है ।
- इस लिए जो भी आपने उपलब्धियां प्राप्त करी हैं, उन सब से संबंधित documents और awards को दक्षिण दिशा में रखना चाहिए , जिस से भविष्य में भी आपका यह सम्मान बना रहे ।
- कमाया हुआ धन , रत्न भी तिजोरी में दक्षिण दिशा की और रखने चाहिए, जिस से तिजोरी का मुख जो है वो उत्तर दिशा की तरफ रहे, और माता लक्ष्मी , कुबेर की कृपा से घर परिवार के धन धान्य में वृद्धि हो ।
- वास्तु अनुसार दक्षिण दिशा में गहरे रंगों ( लाल, मैरून , भूरे ) का इस्तेमाल किया जा सकता है , वास्तु दोष दूर करने के लिए इस दिशा में अनार का पौदा लगाया जा सकता है । गुलाब के फूल का पौदा अगर इस दिशा में लगाना हो तो छत पर लगाये ।
- किसी भी तरह की क्रिया को , जैसे कि भोजन करना, अध्ययन करना , पाठ पूजा करना , पढ़ाई करना, किसी से वार्तालाप करना , स्नान करना, मूत्र त्याग करना , ऐसी सब स्थितियो में मुख दक्षिण की तरफ नहीं होना चाहिए ।
- केवल श्राद्ध कर्म ( पितरो के निमित पूजा ) करते समय ही मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए ।
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