Janam Kundali me Shubh Ashubh aur Kamzor Shani ।। जन्म कुंडली में शुभ अशुभ और कमज़ोर शनि - Astro Deep Ramgarhia
ज्योतिष शास्त्र अनुसार मानव जीवन पर शनि का प्रभाव और शुभ अशुभ लक्षण
ज्योतिष शास्त्र अनुसार शनि को नैसर्गिक अशुभ ग्रह कहा जाता है जिसकी प्रकृति वात है। शनि मकर और कुंभ राशि का स्वामी है और जन्म कुंडली के छठे भाव का कारक ग्रह है। तुला राशि में शनि उच्च बल को प्राप्त होता है जबकि मेष राशि में शनि नीच राशि का होने से अपने शुभ फल देने में असमर्थ होता है। जबकि कर्क, सिंह और वृश्चिक शत्रु राशियां हैं इस नाते इन राशियों में भी शनि कमज़ोर होने की वजह से शुभ फल देने में असमर्थ होता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार शनि नौकर, दुःख, रोग, गरीबी, आलस, नशा, अनैतिक कार्य, तकनीकी शिक्षा, मेहनत मजदूरी के कार्य, जेल, अस्पताल और विदेश संबंधी कार्यो का कारक है।
मजबूत और शुभ शनि के लक्ष्ण
यदि जन्म कुंडली में शनि मजबूत या शुभ फल दे रहा हो तो जातक के आधीन बहुत सेवक होते है, जातक चतुराई से उनसे कार्य करवाता है, कठिन परिस्थिति में भी जातक शांत बना रहता है, सोच विचार कर फैसले करता है, प्रापर्टी की खरीद बेच से लाभ, नियम, कानून और अनुशाशन का पालन करता है, परिवार, कुल और समाज में सब के सुख दुःख में शामिल होता है ।
कमजोर और अशुभ शनि के लक्ष्ण
यदि जन्म कुंडली में शनि कमज़ोर या अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को अकेले रहने की आदत, सफाई ना रखना, अपना धन और खुशियाँ परिवार के साथ ना बांटना, कमाया हुआ धन नशे, जुए या शेयर बाज़ार में खराब करना, पिता और गुरु का अपमान, अपने ही कुल के रीत रिवाज़ और धर्म को ना मानना और निम्न स्तर की नौकरी करनी पडती है।
स्वास्थ्य : यदि जन्म कुंडली में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो नशे की आदत, निराश रहना, आलस, बिस्तर पर पड़े रहना, नहाने की आदत ना होना, गंदे वस्त्र पहनना और पेट गैस रोग से जातक पीड़ित होता है।
शनि से संबंधित करियर पेशा व्यवसाय
यदि जन्म कुंडली में शनि शुभ होकर कर्म या लाभ भाव से योग करे तो किसी भी तरह की मशीनरी के कार्य, चीजों की रिपेयरिंग के कार्य, भवन निर्माण, ठेकेदारी, जमीन की खरीद बेच के कार्य, मेहनत मजदूरी खेती के कार्य, भवन निर्माण के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है उनके कारोबार के कार्य, इंजिनियरिंग, राजनीति, लोहा, स्टील, तेल, रिफाइनरी, गैस, कोयले, कैमिकल संबंधी, चमडा, रबड़, प्लास्टिक संबंधी कार्य, कोट कचेहरी कानून संबंधी कार्य लाभ देते हैं।
शनि से बनने वाले शुभ अशुभ योग
शनि से बनने वाले शुभ योग की बात करें तो जन्म कुंडली में केंद्र के भाव में शनि अपनी या उच्च राशि में होने से शश नामक महापुरुष योग, बुध शनि युति से सफल कारोबारी योग, गुरु शनि युति से धर्म कर्म योग बनता है। जबकि अशुभ योग की बात करें तो जन्म कुंडली में सूर्य शनि युति से पिता पुत्र में झगड़े का योग, चन्द्र शनि युति से विष योग, शनि राहू युति से प्रेत दोष का अशुभ योग बनता है।
यदि जन्म कुंडली में शनि 3, 6, 10 या 11वे भाव में हो , अन्य भाव में यदि शनि तुला, मकर या कुंभ राशि का हो तो भी शुभ फल होते हैं।
यदि जन्म कुंडली में शनि शुभ हो तो जातक शुरुआत में नौकरी और फिर 36 वर्ष के बाद खुद के कारोबार से धन कमाना शुरू कर देता है। जातक के लिए 36, 48 और 60वा वर्ष भाग्यशाली होता है।
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