यह वास्तु दोष बनते हैं जीवन में परेशानियों का कारण
रसोईघर : वास्तु अनुसार रसोईघर का संबंध सूर्य और मंगल से होता है । ज्योतिष अनुसार सूर्य हमारे लिए प्रतिष्ठा, पिता पुत्र के आपसी संबंध, बोस तथा अधिकारी वर्ग के सुख सहयोग से होता है, इस के इलावा यदि सूर्य कमज़ोर हो तो उम्र के बढ़ते शरीर में विटामिन्स की कमी जल्दी होती है जिस से शरीर में दर्द रहने लगता है । और मंगल हमारे लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता, शत्रु पर विजय, पराक्रम, भाई बंधुओं से संबंधित सुख देता है । लेकिन यदि रसोईघर व्यवस्थित ना हो तो सूर्य और मंगल अपना शुभ प्रभाव नहीं दे पाते । जिस घर के रसोईघर में देर तक जूठे बर्तन पड़े रहते हैं, वहां राहु अपनी अशुभता देता है, जिस से उस घर के कार्यो में समस्या आती है, घर के सदस्य आपस में ही खाने के समय झगड़ते हैं, अक्सर ही खाने को लेकर देरी होती है जिस से कलह बढ़ती है । यदि रसोईघर में सफाई नहीं रहती तो भी शनि राहु दुष्प्रभाव देते हैं, मंगल कमज़ोर होता है जिस से ऐसे घर में धन की बर्बादी होती है, जमापूंजी का अभाव बना रहता है । इस नाते यदि आप इन सब समस्याओं से बचना चाहते हैं तो रसोईघर को साफ और व्यवस्थित ज़रूर रखें । दूध उबलते समय चूल्हे पर गिरने ना दें, अन्न की बर्बादी ना करें, गैस चूल्हे और इसके आसपास नियमित सफाई रखें ।
नैऋत्य कोण में दोष : वास्तु में नैऋत्य कोण का बहुत महत्व है, क्योंकि यह दिशा राहु से संबंधित है । और राहु ही हमारे जीवन में सत्ता , राजसी सुख और ऐश्वर्य का कारक है । वास्तु अनुसार इस दिशा में वास्तु पुरूष के पैर होते हैं इस नाते इस दिशा को कभी भी खाली नहीं रखना चाहिए, बल्कि भारी सामान यहाँ होना चाहिए । यदि इस दिशा में टॉयलेट हो , गड्ढा हो या फिर पूजा का स्थान हो यह सब घर के सदस्यों के लिए परेशानी बन जाते हैं, ऐसे घर के सदस्यों में आपसी झगड़े इस कदर बढ़ जाते हैं कि उनको कोर्ट कचहरी तक का सामना करना पड़ता है, और रोग इस कदर बढ़ जाते हैं कि अस्पताल में दिन काटने पड़ते हैं । इस के इलावा इस दिशा में वास्तु दोष होने पर सदस्यों की बार बार मानहानि होती है । इस नाते यदि आप इन सब समस्याओं से बचना चाहते हैं तो इस दिशा को कभी भी खाली ना रखें, वास्तु अनुसार इसी लिए इस दिशा में सीढियां , स्टोर रूम, या फिर मुख्य सदस्य का कमरा यहाँ बनाने की सलाह दी गई है ।
जल स्रोत का दोष : वास्तु अनुसार घर के जल स्रोत चंद्रमा से संबंधित होते हैं । और ज्योतिष अनुसार चंद्रमा ही हमारे लिए जमीन के सुख, घरेलू सुख, गृहस्थ जीवन के सुख, जमापूंजी के सुख, यात्रा, मनोरंजन, मानसिक सुख का कारक है । विशेष कर यदि घर की दक्षिण दिशा में बोरिंग की गई है या फिर पानी की मोटर या टँकी है तो ऐसे घर के सदस्यों के धन की बर्बादी होती है, माता और पत्नी के सुख खराब होते हैं , दिए गए उधार वापिस नहीं आते, और लिए गए कर्ज़ जल्दी से चुकाए नहीं जाते । इस नाते यदि आप इन सब समस्याओं से बचना चाहते हैं तो घर के जल स्रोत वास्तु अनुकूल बनाएं । वास्तु अनुसार बोरिंग के लिए उत्तर दिशा शुभ है, जबकि छत पर पानी की टँकी व्यवय कोण, पश्चिम दिशा या फिर नैऋत्य कोण में भी रखी जा सकती है । स्नानागार , और वाशिंग मशीन भी व्यवय दिशा में शुभ होते हैं ।
ड्राइंग रूम : घर में living area / drawing room भी जरूर होना चाहिए, जहां घर के सभी सदस्य एक साथ समय बिताते हों । अगर drawing room नहीं भी है तो भी घर के सदस्यों को दिन के कुछ समय एक साथ ब्रामन्डे या बालकनी में बैठना चाहिए, इस तरह घर के सदस्यों के एक साथ बैठने को living area कहा जाता है, और इस से सदस्यों का सूर्य मजबूत होता है , एक दूसरे के साथ अपनी समस्या शेयर करने से चंद्रमा मजबूत होता है, और अगर इसी स्थान पर मिट्टी के घड़े / बर्तन में जल भी रख दिया जाए तो शुक्र भी बेहतर होता है । इस तरह तीन ग्रह मजबूत हो जाएं तो जीवन की तरक्की को कौन रोक सकता है । इस नाते तरक्की और सुख के लिए इन वास्तु टिप्स को जीवन में ज़रूर शामिल करें ।
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