Lesson 6 - Navgraho Ki Uch Neech Rashian
सूर्य ग्रह : सूर्य सिंह राशि का स्वामी है, सूर्य मेष राशि में 10 डिग्री तक उच्च का होता है , जबकि तुला राशि में 10 डिग्री तक नीच का होता है । सूर्य की मूलत्रिकोण राशि भी सिंह है ।
चंद्र ग्रह : चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी है, वृषभ राशि में 3 डिग्री तक उच्च का होता है , जबकि वृश्चिक राशि में 3 डिग्री तक नीच का होता है । चन्द्रमा की मूलत्रिकोण राशि भी वृषभ है ।
मंगल ग्रह : मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है, मकर राशि में 28 डिग्री तक उच्च का होता है, जबकि कर्क राशि में 28 डिग्री तक नीच का होता है । मंगल की मूलत्रिकोण राशि मेष है ।
बुध ग्रह : बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है, कन्या राशि में 15 डिग्री तक उच्च का होता है, जबकि मीन राशि में 15 डिग्री तक नीच का होता है । बुध की मूलत्रिकोण राशि कन्या है ।
गुरु ग्रह : गुरु ग्रह धनु और मीन राशि का स्वामी है, कर्क राशि में 5 डिग्री तक उच्च का होता है, जबकि मकर राशि में 5 डिग्री तक नीच का होता है । गुरु की मूलत्रिकोण राशि धनु है ।
शुक्र ग्रह : शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशि का स्वामी है , मीन राशि में 27 डिग्री तक उच्च का होता है, जबकि कन्या राशि में 27 डिग्री तक नीच का होता है । शुक्र की मूलत्रिकोण राशि तुला है ।
शनि ग्रह : शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी है, तुला राशि में 20 डिग्री तक उच्च का होता है, जबकि मेष राशि में 20 डिग्री तक नीच का होता है । शनि की मूलत्रिकोण राशि कुंभ है ।
राहु ग्रह : राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं, मिथुन राशि में राहु उच्च का, जबकि धनु राशि में नीच का होता है । राहु की मूलत्रिकोण राशि कन्या है ।
केतु ग्रह : केतु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं, धनु राशि में केतु उच्च का, जबकि मिथुन राशि में केतु नीच का होता है । केतु की मूलत्रिकोण राशि मीन है ।
नवग्रह और दिग्बली
लग्न भाव में बुध और गुरु ग्रह बलि होकर शुभता देते हैं ।
दसम भाव में सूर्य और मंगल ग्रह बलि होकर शुभता देते हैं ।
चतुर्थ भाव में चन्द्रमा और शुक्र ग्रह बलि होकर शुभता देते हैं ।
सप्तम भाव में शनि ग्रह बलि होकर शुभता देते हैं ।