Lesson 1 - Kundli Padhna Seekhen

 Lesson 1, kundli Padhna Seekhen

 

ज्योतिष अनुसार फलादेश करने का सरल तरीका

सनातन धर्म में ज्योतिष को वेदों की आंख माना गया है जिस के माध्यम से मानव जीवन मे होने वाले शुभ - अशुभ घटनाओं के बारे में जाना जा सकता है । लेकिन यह फलादेश करना इतना भी आसान नहीं होता जितना कि ज्योतिष की थोड़ी बहुत जानकारी रखने वाले समझते हैं । फलित करने का एक तरीका होता है फिर चाहे कोई वैदिक ज्योतिष को फॉलो करे चाहे नाड़ी या केपी ज्योतिष को , इन सब में भी उसी process को फॉलो करना होता है तभी घटनाक्रम का सटीक फलादेश सामने आता है । लेकिन खास कर जो आज के समय में ज्योतिष का आधुनिकीकरण हुआ है सॉफ्टवेयर के माध्यम से गणनाएं की जाने लगी हैं यह सिर्फ सीमित ही होती हैं इस लिए यह गणनाएं फलादेश करने के लिए काफी नहीं होती, इस लिए जो ज्योतिषी फलादेश के लिए सिर्फ सॉफ्टवेयर पर ही निर्भर रहते हैं वह कभी भी सटीक फलादेश नहीं कर पाते । और इस तरह के ज्योतिषियों के पास जो जन्म कुण्डली दिखाते हैं वह भी ज्योतिष के प्रति उदासीन हो जाते हैं क्यूंकि उनको वो नहीं मिलता जो वह चाहते होते हैं । क्योंकि कुछ ऐसी गणनाएँ भी करनी होती हैं जिन पर अभी सॉफ्टवेयर बनाये नहीं गए ।

ज्योतिष कैसे कार्य करता है : जो बिलकुल नए हैं उनके लिए आधुनिक भाषा में बात करें तो ज्योतिष फलादेश को इस तरह समझ सकते हैं, जैसे कि हम online shopping करते हैं तो उस पार्सल delivery का एक process होता है कि सब से पहले आपका पार्सल उस दुकान से उठाया जाता है जहाँ वह होता है फिर वहां के area के main headquarter जाता है फिर वहां से delhi और फिर delhi से आपके state में उस के बाद city में फिर आपके मोहल्ले या कालोनी में होते हुए आपको प्राप्त होता है । इसी तरह ही ज्योतिष में फलादेश होता है जो सब से पहले जन्म कुण्डली से होता है , जन्म कुण्डली से वह फलादेश वर्ष कुण्डली तक जाता है, वर्ष कुण्डली से मासिक कुण्डली तक और फिर मासिक कुण्डली से दैनिक कुण्डली तक वह फलादेश जाता है , और उस दिन की दैनिक कुण्डली के आधार पर जो फलित किया होता है वह घटित हो जाता है । अब सॉफ्टवेयर की बात करें तो वर्ष कुण्डली उस में मिल जाती है लेकिन मासिक कुण्डली नहीं होती , इस लिए ऐसा फलादेश सिर्फ आधा अधूरा यानी लगभग 50 % ही होता है , जिसका कोई लाभ नहीं । 

फलादेश का सरल तरीका : और खास कर जो कुण्डली दिखाने वाले भी होते हैं वह दिखाते भी सिर्फ लग्न कुण्डली हैं तो फिर ऐसा फलादेश हो 50 % भी नहीं हुआ , 30 % ही बोलेंगे मतलब जो लग्न कुण्डली देख कर बताया जाता है वह 70 % ना होने के चांस होते हैं और 30 % होने के । इस लिए सिर्फ लग्न कुण्डली देखने का तो कोई फायदा नहीं इस से अच्छा ना ही दिखाओ , क्योंकि वह फलित होगा नहीं और विरोधी खड़े हो जाते हैं कि जो बताते हैं वह होता तो है नहीं । क्योंकि तरीका एक ही है process यही है कि जन्म कुण्डली से 30 % ( लग्न कुण्डली 10 % + चन्द्र कुण्डली 10 % + सूर्य कुण्डली 10 %) और जन्म कुण्डली यह फलादेश आगे handover करती है वर्ष कुण्डली को फिर वर्ष कुण्डली से अगला 30 % ( लग्न कुण्डली 10 % + चन्द्र कुण्डली 10 % + सूर्य कुण्डली 10 % ) और वर्ष कुण्डली यह फलादेश आगे handover करती है मासिक कुण्डली को फिर मासिक कुण्डली से अगला 30 % ( लग्न कुण्डली 10% + चन्द्र कुण्डली 10% + सूर्य कुण्डली 10% ) इस तरह यहां तक 90 % फलादेश होता है , और अंत में बाकी का 10 % दैनिक कुण्डली को देख कर फलित किया जाता है, इस तरह किया गया फलादेश उस दिन घटित होता है । 

और ज़्यादा सूक्ष्म विश्लेषण के लिए : दैनिक कुण्डली के बाद लग्न का चयन किया जाता है कि वह घटना कोनसे लग्न में होगी, लग्न जो कि लगभग 2 hours का होता है, इस के बाद नक्षत्र का चयन किया जाता है जो कि लगभग 40 mintue का होता है, इस के बाद उप - नक्षत्र का चयन किया जाता है जो कि लगभग 10 - 12 mintue का होता है , इस तरह इस process को फॉलो करके जो घटना बताई जाती है वह इस 10 - 12 mintue में घटित हो जाती है ।

Deep Ramgarhia

blogger and youtuber

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