Lagan Bhav Me Mangal Ke Fal Aur Upay
यहाँ विराजमान मंगल पर सूर्य और मंगल का प्रभाव होता है । ज्योतिष अनुसार पहले भाव में मंगल की स्थिति को मांगलिक कुण्डली कहा जाता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थियां जैसे कि यह मंगल मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर या कुंभ राशि का हो या फिर चंद्रमा / सूर्य / शनि / राहु से युति या दृष्टि हो इन सब स्थिति में मांगलिक दोष का परिहार होता है , ऐसी कुण्डली को मांगलिक नहीं कहा जाता । जन्म कुण्डली के इस भाव में मंगल की स्थिति हो तो जातक के चेहरे पर चोट का निशान भी होता है, ऐसा जातक व्यवहार में तेज , अच्छे तकनीकी ज्ञान का जानकार होता है, मशीनों को चलाने की जानकारी होती है । मंगल पर शनि का प्रभाव हो तो ऐसा जातक engineering के माध्यम से सफलता प्राप्त करता है , जबकि मंगल पर चंद्रमा का प्रभाव हो तो जातक civil services के माध्यम से सफलता प्राप्त करता है । इस तरह पहले भाव में विराजमान मंगल पर कोई दुष्प्रभाव ना हो तो ऐसा व्यक्ति पिता, चाचा, भाई के साथ व्यापारिक सांझेदारी करके भी लाभ प्राप्त करता है । लग्न भाव में मंगल की यह शुभ स्थिति 21 और 22वे वर्ष में भाग्य उदय देती है, और इसके बाद 28 से 32 वर्ष के दरमियान भी तरक्की होती है । इस के इलावा पुत्र संतान प्राप्ति के आसपास , जब भी घर में कंस्ट्रक्शन के कार्य होते हैं तब भी जातक की तरक्की के योग बनते हैं । लेकिन अगर लग्न भाव में मंगल शत्रु राशि खास कर वृषभ या तुला राशि में हो तो 21 और 22वे वर्ष में शिक्षा में रुकावट , पिता को नुकसान के योग होते हैं , साथ ही 28 से 32 वर्ष वर्ष के दरमियान जातक को खुद को चोट दुर्घटना , आर्थिक हानि के योग होते हैं । लग्न भाव में विराजमान मंगल पर शत्रु ग्रहों का प्रभाव हो तो ऐसे जातक को सर आंख, दांतों से जुड़ी परेशानी और मूत्र अंगों से जुड़े रोग परेशान करते हैं, ऐसे जातक की पत्नी स्वास्थ्य से कमज़ोर और स्वभाव से क्रोधी और ज़िद्दी होती है । कुण्डली के पहले भाव में मंगल दुष्प्रभाव दे रहा हो तो ऐसे जातक को भाई बंधुओं से परेशानी , चाचा और भतीजे की वजह से भी समस्या होती है । जन्म कुण्डली में इस तरह मंगल अशुभ हो तो ऐसे जातक को खुद के नाम से ज़मीन खरीदने से परहेज़ करना चाहिए । लग्न भाव में मंगल की स्थिति हो और 3, 5, 7, 11वे भाव में शत्रु ग्रहों ( बुध, शुक्र, शनि, राहु ) की स्थिति हो तो मंगल अशुभ जानना चाहिए , खास कर सप्तम भाव में शत्रु ग्रह हो तो प्रेम संबंध और ग्रहस्थ जीवन दोनो से ही जातक निराश होता है , ऐसे जातक को साँझीदारों से भी धोखा मिलता है । मंगल की शुभता के लिए ऐसे जातक को चाहिए ससुराल वालों से कभी भी बिजली के उपकरण ना ले, साथ ही हरे काले और नीले रंग से परहेज़ करें , यदि घर में अविवाहित या विधवा बुआ या बहन हो तो भी लग्न भाव में विराजमान मंगल की वजह से जातक को हर तरफ से नुकसान और हानि के योग बनते हैं । ऐसे जातक को हमेशा खुद के घर में बना हुआ भोजन ही करना चाहिए यानी विवाह या अन्य आयोजन हो तो वहां के भोजन से कोई समस्या नहीं है लेकिन भंडारे या दान किये जाने वाले कार्यो से भोजन से परहेज़ करना चाहिए, अन्य भी किसी भी रूप में किसी से कोई दान की वस्तु स्वीकार ना करें ।
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लग्न / पहले भाव में विराजमान मंगल से शुभता प्राप्ति के उपाये
* तांबे का बिना छेद वाला सिक्का मंगलवार के दिन जल प्रवाह करें ।
* घर आने वाली बुआ, बहन, बेटी को खाली हाथ कभी ना जाने दें ।
* घर की महिलाओं को हमेशा खुश रखें , उनका तिरस्कार ना करें ।
* महीने की हर सक्रांति को गुड़ और दलिये का दान मंदिर या गोशाला में करें ।
* घर में चांदी और तांबे के बरतनों का इस्तेमाल करें ।