Kundli Se Dekhen Karz Ki Samasya
कर्ज़ के योग और प्रकार : हालांकि आज के आधुनिक समय मे क्योंकि कर्ज़ को एक वरदान के रूप में देखा जाता है , क्योंकि कर्ज़ के माध्यम से हमे एक बहुत बड़ी मात्रा में एक साथ धन राशि की प्राप्ति हो जाती है, जिस के माध्यम से हम अपने सपने पूरे कर सकते हैं, चाहे एक अच्छा घर लेना हो, कोई बड़ी गाड़ी लेनी हो , चाहे कोई व्यवसायक इन्वेस्टमेंट करके खुद का व्यापार शुरू करना हो , चाहे बात बच्चों की पढ़ाई या उनके विदेश जाने की हो या फिर बात बच्चों के विवाह की हो । जीवन की हर ज़रूरत में कर्ज हमारी मदद करता है । अगर ज्योतिष आधार पर #कर्ज_के_प्रकार की बात करें , ज्योतिष के अनुसार कुण्डली का खाना नम्बर 6 , यानी 6th भाव कर्ज़ से संबंधित होता है । कुण्डली के इस भाव से जिन भी ग्रहो का संबंध बनता है ( placement, aspect, conjuction ) वो ग्रह जिन भी भावो के स्वामी होते हैं उस से संबंधित कार्यो के लिए जातक कर्ज़ लेता है ,जैसे कि :
यदि लग्नेश कुण्डली के 6th भाव मे हो , या फिर लग्नेश और षष्ठेश की युति हो , या फिर लग्नेश कुण्डली के 6th भाव या इसके स्वामी ग्रह पर दृष्टि दे, तो जातक अपनी health issues की वजह से कर्ज लेता है । खुद के बीमार पड़ने की स्थिति में, या फिर बेरोजगारी की स्थिति में , धन के अभाव की स्थिति में किसी से उधार लिया गया धन भी इसी में आता है ।
यदि 4th भाव का स्वामी ग्रह 6th भाव मे हो , या 6th भाव के स्वामी ग्रह से युति में हो , या फिर 6th भाव का इसके स्वामी ग्रह पर दृष्टि दे, तो जातक घर , वाहनों व अन्य भौतिक साधनों की प्राप्ति के लिए कर्ज लेता है ।
यदि 7th या 10th भाव का स्वामी ग्रह 6th भाव मे हो या फिर 6th भाव के स्वामी ग्रह से युति कर रहा हो या फिर 6th भाव या इसके स्वामी ग्रह पर दृष्टि दे रहा हो तो जातक अपनी व्यवसायक ज़रूरतों के लिए कर्ज लेता है ।
यदि 8th या 12th भाव का स्वामी ग्रह 6th भाव मे हो , या इसके स्वामी ग्रह से युति करे , या फिर 6th भाव / स्वामी ग्रह पर दृष्टि दे तो जातक अपनी समस्यायो में एक के बाद एक कर्ज़ लेता है ।
यदि 2nd, 9th, 11th भावो में से कोई भी स्वामी ग्रह 6th भाव मे हो, या फिर षष्ठेश से युति करे , या फिर 6th भाव / स्वामी ग्रह पर दृष्टि दे, इस स्थिति में जातक अपनी स्थिति उच्च दिखाने के लिए कर्ज़ लेता है ।
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लेकिन कुछ लोग होते हैं जिनको कर्ज़ मिलने में भी परेशानी आती है, रुकावटें आती हैं तो बात इसकी भी करते हैं । कुण्डली का 2nd भाव बैंक से संबंधित होता है , जबकि एक फ्लो में या रूटीन में धन बैंक में आना 7th भाव ( यानी 2nd भाव से 6th भाव ) , जिस से बैंक वालो को पता लगता है कि आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी है, और इनकी नज़रों में आप कर्ज़ लेने के हकदार हो जाते हो । जबकि 11वा भाव जनरल तौर पर लाभ का भाव है । इस तरह से कुल मिला कर कुण्डली के खाना नम्बर 2, 7 और 11 के शुभ होने पर कर्ज आसानी से मिल जाते हैं । जबकि इन्ही भावो पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर कर्ज मिलने में बाधा आती है । लेकिन जब बात कर्ज़ मिलने के समय की करेंगे तो कुण्डली के खाना नम्बर 2, 6, 11 active होने चाहिए , यानी कि दशा, अंतरदशा और गोचर से ग्रहो का संबंध कुण्डली के इन भावो से होना चाहिए , तभी कर्ज़ मिलने के योग होते हैं ।