Kundli Se Dekhen Ghar Me Vastu Dosh
ज्योतिष में हर ग्रह किसी ना किसी दिशा से सम्बन्ध रखता है | जैसे कि हमारी लगन कुण्डली में 4th भाव निवास करने का स्थान है यानि home है | उसी तरह हर ग्रह से 4th भाव उस ग्रह का निवास होता है, home होता है, ऐसे में यदि किसी ग्रह से 4th भाव में कोई ग्रह बैठ कर या किसी ग्रह की द्रिश्टी से वो भाव खराब हो रहा हो, तो इस को उस ग्रह के लिए वास्तु दोष कहा जा सकता है | ऐसे में वास्तु के उपाये कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है , जैसे कि
सुर्य : यदि कुण्डली में सुर्य से 4th भाव में पापी ग्रह हो, शनि, राहु, केतु या कोई ग्रह नीच राशि में विराजमान हो, तो ऐसे में उस घर में सुर्य ग्रह से सम्बन्धी वास्तु दोष माना जायेगा | और सुर्य क्युकि पूर्व दिशा का स्वामी है, ऐसे में घर की पूर्व दिशा से सम्बन्धी कोई दोष होगा , घर के मुख्य द्वार के पास कोई दोष होगा |
चन्द्रमा : यदि कुण्डली में चन्द्रमा से 4th भाव में पापी ग्रह हो, शनि, राहु, केतु का प्रभाव हो या फ़िर नीच ग्रह विराजमान हो, तो ऐसे में उस घर में चन्द्र ग्रह से सम्बन्धी वास्तु दोष माना जायेगा | और क्युकि चन्द्रमा जल स्त्रोतो का प्रतिनिधित्व करता है तो ऐसे में उस घर के जल स्त्रोत पीडित होंगे, जैसे कि घर की टन्की गलत दिशा में होना |
मंगल : यदि कुण्डली में मंगल से 4th भाव मे पापी ग्रह हो, शनि, राहु, केतु का प्रभाव हो या फिर नीच राशि का ग्रह विराजमान हो ऐसे में उस घर मे मंगल ग्रह से संबंधित वास्तु दोष माना जायेगा । और क्योंकि मंगल अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है जैसे कि रसोई घर, चूल्हा , इस सब से संबंधित दोष रहेंगे, घर मे खाने की बातों को लेकर सदस्यों में कलह होगी , घर मे रसोई घर मे सफाई की कमी होगी , सम्भव है कि रसोई घर भी गलत जगह बना हो , घर के सदस्यों को पेट की तकलीफे रहेगी ।
बुध : यदि कुण्डली में बुध से 4th भाव में पापी ग्रह हो, शनि, राहु, केतु का प्रभाव हो या फ़िर नीच ग्रह विराजमान हो, तो ऐसे में उस घर में बुध ग्रह से सम्बन्धी वास्तु दोष माना जायेगा | और क्युकि बुध ग्रह उतर दिशा का प्रतिनिधित्व करता है, ऐसे में उस घर में उतर दिशा से सम्बन्धी वास्तु दोष होगा, जैसे कि उतर दिशा में रसोई घर होना, उतर दिशा की दीवार का उँचा होना |
गुरु : यदि कुण्डली में गुरु से 4th भाव में पापी ग्रह हो, शनि, राहु, केतु का प्रभाव हो या फ़िर नीच ग्रह विराजमान हो, तो ऐसे में उस घर में गुरु ग्रह से सम्बन्धी वास्तु दोष माना जायेगा | और क्युकि गुरु ग्रह ईशाण कोण का प्रतिनिधित्व करता है, ऐसे में उस घर में पूजा स्थान सम्बन्धी वास्तु दोष, ईशाण कोण में कचरा होना, या फ़िर ईशाण कोण में टायलेट / बाथरूम होने से भी वास्तु दोष हो सकता है |
शुक्र : यदि कुण्डली में शुक्र से 4th भाव में पापी ग्रह हो, शनि, राहु, केतु का प्रभाव हो या फ़िर नीच ग्रह विराजमान हो, तो ऐसे में उस घर में शुक्र ग्रह से सम्बन्धी वास्तु दोष माना जायेगा | और क्युकि शुक्र ग्रह घर की अग्नि कोण का प्रतिनिधित्व करता है, ऐसे में उस घर में ऐसी दिक्कत हो सकती है जैसे कि अग्नि कोण में पानी की टन्की होना, किसी भारी सामान से अग्नि कोण का बन्द होना |
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शनि : यदि कुण्डली में शनि से 4th भाव में पापी ग्रह हो, राहु, केतु का प्रभाव हो या फ़िर नीच ग्रह विराजमान हो, तो ऐसे में उस घर में शनि ग्रह से सम्बन्धी वास्तु दोष माना जायेगा | और क्युकि शनि ग्रह पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करता है, तो ऐसे में उस घर में पश्चिम दिशा से सम्बन्धी वास्तु दोष, घर की सीडीया गलत दिशा में होना, घर की पश्चिम दीवार का नीचा होना, घर में पुराने ईन्ट पथर पडे होना, बहुत पुराना लोहा पडा होना, जैसे दोष हो सकते हैं |
इस तरह से सम्बन्धी ग्रह से वास्तु दोष को पहचान कर, उनको दूर करके भी ग्रहो की अशुभता को दूर किया जा सकता है |