Kundli Milaan Kaise Kre
देवउठनी एकादशी से चतुर्मास के समाप्त होने से घरों में मांगलिक कार्यो की शुरुआत हो जाती है, जो लड़के लड़कियां विवाह योग्य होते हैं उनके विवाह की बात चलाई जाती है । विवाह की बात पक्की करने से पहले वर वधु की कुण्डली मिलान भी करवाया जाता है । इस कुण्डली मिलान प्रक्रिया में 36 अंक में से 18 से 24 अंक प्राप्त होने को निम्न मिलान , 24 से 30 अंक मिलान होने को सामान्य और 30 से अधिक अंक मिलान प्राप्त होने को उच्चतम मिलान कहा जाता है । लेकिन सिर्फ इन्ही 36 गुण के सफलता पूर्वक मिलान होने पर विवाह का फैसला करना काफी नहीं , बल्कि जो इस तरह से सॉफ्टवेयर के माध्यम से मिलान किया जाता है वह सिर्फ 20 ℅ ही होता है, इस के आगे भी कुछ प्रक्रिया होती हैं, जैसे कि
वर वधु की नाम राशि एक दूसरे से द्वितीय द्वादश, नवम पंचम या फिर छठवीं आठवीं ना हो ।
मंगल दोष का विचार लग्न, चन्द्रमा और शुक्र तीनो कुण्डली से करना चाहिए ।
वर वधु की कुण्डली में लग्न राशि, चन्द्र राशि , सूर्य राशि और नवमांश लग्न राशि की स्थिति द्वितीय द्वादश, पंचम नवम या फिर छठवीं आठवीं नहीं होनी चाहिए ।
इसी तरह लग्न राशि का स्वामी ग्रह, चन्द्र राशि का स्वामी ग्रह और सूर्य राशि का स्वामी ग्रह की स्थिति द्वितीय द्वादश, पंचम नवम या फिर छठवीं आठवीं नहीं होनी चाहिए ।
वर वधु दोनो की कुण्डली के लग्न भाव पर अशुभ ग्रहों ( मंगल, शनि, राहु, केतु ) का प्रभाव होगा तो दोनो में ही ज़िद क्रोध और अहंकार का भाव होने से झगड़ा रहेगा ।
वर वधु दोनो की कुण्डली में पंचम भाव पर अशुभ ग्रहों ( मंगल, शनि, राहु, केतु ) का प्रभाव होगा तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है । साथ ही कारक ग्रह गुरु की शुभ अशुभ स्थिति पर भी विचार करना चाहिए ।
दोनो का ही चन्द्रमा पीड़ित होगा दोनो ही शांत स्वभाव के ना होकर क्रोधी स्वभाव के होंगे जो झगड़े का कारण बनेगा , अगर दोनो का ही मंगल ग्रह पीड़ित होगा तो दोनो ही उग्र स्वभाव के होंगे , झगड़ा कभी खत्म नहीं होगा । अगर दोनो का ही गुरु ग्रह पीड़ित होगा तो दोनो ही एक दूसरे के कार्यो में नुक्ताचीनी करेंगे , फिर कार्य पूरा ना होने से झगड़ा करेगे । अगर दोनो का ही शुक्र ग्रह पीड़ित होगा दोनो ही एक दूसरे के सुख और खुशी का ख्याल नहीं रखेंगे ।
कई बार ऐसी भी स्थिति हो जाती है कि लड़के के पास धन संपदा होते हुए भी लड़की की धन स्थिति दुखद रहती है , कई बार तो खुद की ज़रूरतें पूरी करने के लिए या घर खर्च के लिए भी पैसे नहीं दिए जाते । तो इस लिए यह देख लेना चाहिए कि लड़के की कुण्डली के द्वितीय भाव में अशुभ ग्रह ( मंगल, शनि, राहु, केतु ) तो विराजमान नहीं ।
वर और वधु दोनो की कुण्डली का अलग अलग रूप में अध्ययन करते हुए दोनो की सेहत, आयु, धनयोग , संतान योग, दूसरे को प्रेम देने की भावना, मानसिक मज़बूती , लाभ और हानि आदि विषयों का विचार करना चाहिए । क्योंकि यदि एक का स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो भी ग्रहस्थ सुख में बाधा आती है ।
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इस तरह से सिर्फ गुण मिलान के आधार पर वैवाहिक जीवन के सुख दुख का विचार नहीं करना चाहिए , बताये गए इन पहलुओं पर भी विचार करना चाहिए । क्योंकि अनुभव में यह देखने में आता है कि गुण मिलान अंक ज़्यादा होने पर भी गृहस्थ जीवन के सुख में बाधा आती है , बल्कि न्यूनतम अंक होने पर भी , बताये गए इन विषयों से चीज़े सकारात्मक प्राप्त होने पर वर वधु का वैवाहिक जीवन सुखद रहता है ।