Lesson 38 - Kundli Me Yatra Se Labh Haani
हम रोज़ाना अपने जीवन में किसी ना किसी रूप में यात्रा करते हैं : चाहे घर से नोकरी पर जाना हो, या फिर किसी अन्य कार्य हेतु यात्रा हो , लेकिन बहुत लोग हैं जो यह नहीं जानते कि इन यात्रा का हम पर बहुत प्रभाव पड़ता है, क्योंकि जब भी स्थान परिवर्तन होता है तो उसका विशेष प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार पर आता है , हम घर पर कुछ और होते हैं और घर के बाहर कुछ और बनते हैं मतलब हमारे व्यवहार में फर्क आता है । जैसे कि कुछ लोग घर में सहज होते हैं लेकिन घर के बाहर जाने पर आत्म विश्वास खो बैठते हैं तभी ऐसे लोग बाहर लोगो में अपनी जगह नहीं बना पाते, इंटरव्यु में फेल हो जाते हैं , बाहर लोगों में घुल मिल नहीं पाते । ऐसे लोग आत्म विश्वास कैसे बढ़ाएं इस पर बात करते हैं :
तृतीय भाव है यात्रा से संबंधित : कुल मिला कर इस तरह से आत्म विश्वास की कमी जिन में होती है उनकी जन्म कुण्डली का तृतीय भाव कमज़ोर होता है, या तो तृतीय भाव में सौम्य ग्रह ( चन्द्रमा या शुक्र ) होते हैं या फिर ऐसे 2 ग्रह विराजमान होना जो आपस में शत्रु हो तब भी तृतीय भाव के फल खराब होते हैं । इन दोनों ही स्थिति में ऐसे व्यक्ति यात्रा और बदलाव को लेकर सहज नहीं होते, नई जगहों पर जाते ही या नए लोगों से मिलने पर यह आत्म विश्वास गवा देते हैं । सार्वजनिक जगहों पर यह खाना भी खाना पसंद नहीं करते, यहां तक कि सेल्फी भी यह नहीं ले पाते , ऐसे लोगों को मॉल्स में जाते आप कभी नहीं देखेंगे , क्योंकि इन के मन में ऐसे विचार चलते रहते हैं कि दूसरे लोग इनकी गलती पर हसेंगे या फिर यह किसी ना किसी रूप में खुद में कमी के चलते बाहर जाना पसंद नहीं करते । और आज के दौर में इस तरह की कमी के चलते कोई भी कैरियर में सफल नहीं हो सकता, अब अगर ग्रह स्थिति ऐसी है कि भाग्य ऐसा लिखा गया है कि तृतीय भाव कमज़ोर होने की वजह से कोई खुद लोगों से मिलने में झिझके , तो उसका विकल्प यही है कि ऐसा व्यक्ति खुद एक जगह बैठ कर कार्य करे, दिमागी कार्य , maths और science से संबंधित कार्य ऐसे में उनको करने चाहिए, ऐसे लोगों के लिए writing, designing, painting, architect, printing, share market, accounts से जुड़े कार्य बेहतर होते हैं ।
बुध ग्रह है महत्वपूर्ण : यह बात भी अनुभव में सामने आई है कि जिन लोगों में इस तरह की झिझक होती है, नए माहौल में नए लोगों में बेहतर नहीं कर पाते उनकी जन्म कुण्डली में कहीं ना कहीं बुध ग्रह अशुभता दे रहा होता है । ऐसे व्यक्ति धन और रिश्तों को लेकर उदासीन रहते हैं, तनाव के चलते कोई भी कार्य सही से नहीं कर पाते, जब बुध ग्रह की खराब है तो पढ़ाई कहाँ से होगी, किताबी ज्ञान के लिए बुध ग्रह की शुभता ज़रूरी है, इस लिए ऐसे विद्यार्थियों को सरकारी नोकरी प्राप्ति के लिए समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए , समय रहते अपने कैरियर की सही दिशा को जानकर ही उस के लिए प्रयास करने चाहिए । बुध ग्रह खराब फल के चलते रिश्तों में दोस्ताना संबंध नहीं बन पाता, ऐसे व्यक्ति के पिता के साथ, भाइयो के साथ, जीवनसाथी के साथ संबंध खराब रहते हैं, चाहे बाकी ग्रह कितने ही अच्छे हो अगर बुध ग्रह खराब है तो रिश्तों में सुख नहीं मिलेगा, मेहनत के बाद भी exam में, इंटरव्यु में जवाब एक दम से दिमाग में नहीं आएंगे , ऐसे लोगों के यात्रा के अनुभव खराब ही होते हैं । मन बाहर से ही खराब होता है और गुस्सा घर आकर माता पिता , जीवनसाथी पर आने लगता है ।
उपाये क्या हो सकते हैं : जब इन सब के पीछे समस्या का पता चल गया कि इस तरह की समस्या जन्म कुण्डली के तृतीय भाव और बुध ग्रह के पीड़ित होने से होते हैं, तो इनका समाधान करके समस्या दूर की जा सकती है । तृतीय भाव की मजबूती के लिए तांबे का कड़ा दाहिने हाथ में मंगलवार के दिन धारण करना चाहिए, पके हुए भोजन का दान मंगलवार के दिन किसी मज़दूर को करना चाहिए, बुधवार के दिन हरी मूंग जो एक रात पहले पानी में भिगोई गई हो उसको बुधवार की सुबह गाय को खिलाने से भी लाभ होता है, तांबे का एक टुकड़ा लेकर उसको 2 बराबर हिस्से काटकर एक को जल प्रवाह करें और दूसरे को लाल वस्त्र में लपेट कर लाल धागे में मंगलवार के दिन गले में धारण करना चाहिए । मंगलवार के दिन नीम के पेड़ पर मीठा दूध अर्पित करना चाहिए , बहन भाई कितना भी बुरा करें, लेकिन अपनी तरफ से उनका बुरा ना करें , मन से, विचारों से, कर्मो से, वाणी से हर तरह से बहन भाइयों प्रति सही होना पड़ेगा तभी मंगल और बुध अच्छे होंगे , और कुछ ही महीनों में आपकी कैरियर तरक्की के , सुख के रास्ते बनने लगेंगे ।