Lesson 33 - Kundli Se Jaane Naukri Krege Ya Vyavsaye
कोई अपने जीवन में नोकरी करेगा या खुद का व्यवसाय इस बात का निर्धारण भी उसकी जन्म कुण्डली में ग्रहों की स्थिति करती है, कोई बहुत ही कम उम्र में ही नोकरी में लग जाते हैं तो किसी को 28 या 30 वर्ष के बाद ही उस के मन अनुसार नोकरी मिल पाती है , तो कोई शुरुआत नोकरी से करते हुए बाद में खुद का व्यवसाय करते हैं । यह सब जन्म कुण्डली के ग्रहों से ही जुड़ा होता है । तो इस पोस्ट में इसी पर ही चर्चा करते हैं :
दसम भाव है कर्म स्थान : जन्म कुण्डली के 12 भावों में से दसम भाव को कर्म स्थान कहा जाता है यानि कि व्यक्ति का कर्म स्थान किस के लिए जाना जाता है : शिक्षा के लिए, स्वास्थ्य संबंधी सेवायों के लिए, वित्तिय सेवायों के लिए, खाने से संबंधित , कैमिकल या हथियारों के लिए । जैसे कि दसम भाव में सूर्य या मंगल की राशि हो तो वह स्थान स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित या फिर अग्नि , कैमिकल से संबंधित हो सकता है , दसम भाव में चन्द्रमा या शुक्र की राशि हो तो वह स्थान real estate से संबंधित, cosmetic से संबंधित, भोजन तथा वस्त्रो से संबंधित हो सकता है , दसम भाव में बुध की राशि हो तो वह स्थान वित्तिय सेवायों से संबंधित, travel से संबंधित, पोस्ट office या parcel delivery से संबंधित हो सकता है , दसम भाव में गुरु की राशि हो तो वह स्थान शिक्षा से संबंधित, कोई NGO, अध्यात्म से संबंधित हो सकता है, शनि की राशि दसम भाव में हो तो वह स्थान raw material से संबंधित, गैस तथा coal , पैट्रोल से संबंधित, मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित, बड़ी बड़ी मशीनों से संबंधित हो सकता है । दसम भाव पर सूर्य मंगल की दृष्टि उस स्थान में उच्च पद देती है जबकि शनि की दृष्टि नीच पद देती है , जबकि राहु केतु की दृष्टि एक जगह कार्य करने नहीं देते ।
नोकरी अनुकूल है या व्यवसाय : ज्योतिष अनुसार दसम भाव को कर्म स्थान , छ्ठे भाव को नोकरी , सप्तम भाव को साँझीदारी तथा पंचम भाव से self business का विचार किया जाता है । यदि जन्म लग्न कुण्डली में छठे भाव का स्वामी दसम भाव में हो या फिर दसम का स्वामी छ्ठे में हो तो ऐसे व्यक्ति को नोकरी करने के योग होते हैं । यदि दसम भाव का स्वामी सप्तम भाव में हो या सप्तम का स्वामी दसम में हो तो साँझीदारी में कार्य करके सफलता के योग होते हैं । यदि पंचम भाव का स्वामी दसम भाव में हो या दसम का स्वामी पंचम में हो तो self business के योग होते हैं । यदि दसम भाव पर शनि की दृष्टि पड़े तो भी नोकरी करने के योग, ब्रहस्पति की दृष्टि पड़े तो self business के योग, मंगल की दृष्टि पड़े तो सरकारी नोकरी के योग होते हैं ।
महत्वपूर्ण है दशमेश की स्थिति : दसम भाव से ही कार्यक्षेत्र का निर्धारण होता है , लेकिन दसम भाव के स्वामी ग्रह की स्थिति नोकरी / व्यवसाय करते हुए उसकी यात्रा को दर्शाती है , जैसे कि दसम का स्वामी लग्न भाव में हो तो pre launching event host करना, किसी नई चीज के demo दिखाने के कार्य, द्वितीय भाव में हो तो किसी भी तरह sale के कार्य , 3rd भाव में हो तो delivery तथा travel के कार्य, 4th भाव में हो तो मैन्युफैक्चरिंग के कार्य, 5th भाव में हो तो शिक्षा तथा designing के कार्य, 6th भाव में हो तो customer service के कार्य, 7th भाव में हो तो team work में रहते हुए कार्य, 8th भाव में हो तो भारी मशीनरी पर किये जाने वाले कार्य, 9th भाव में हो तो network तथा import export के कार्य, दशमेश दसम भाव में ही हो तो सरकारी प्रोजेक्ट से संबंधित कार्य, 11th भाव में हो तो retailer तथा market के कार्य , 12वे भाव में हो तो digital सेवायों से संबंधित कार्य में सफलता के योग होते हैं ।
यदि दशमेश एक से ज़्यादा पापी या क्रूर ग्रहों की दृष्टि / युति में हो तो ऐसी ग्रह स्थिति नोकरी करते हुए सहकर्मियों से तनाव और झगड़े की स्थिति को दर्शाती है, कार्यस्थल पर उस के सहकर्मी ही शत्रुत्व व्यवहार करते हैं, बार बार उसकी सैलरी में देरी होती है या स्थान परिवर्तन की वजह से परेशानी होती है । जबकि जितने शुभ ग्रहों ( सूर्य, मंगल, बुध, गुरु,) का संबंध दशमेश से बने उतनी ही पद और प्रतिष्ठा के योग उस व्यक्ति के लिए होते हैं