Lesson 29 - Janam Kundli Se Dekhen Shiksha Prapti

किसी भी व्यक्ति के लिए बेहतर शिक्षा प्राप्ति महत्वपूर्ण विषय होता है क्योंकि किसी के ज्ञान को कोई अन्य चुरा नहीं सकता , शिक्षा प्राप्ति से व्यक्ति में गुणों का विकास होता है और गुणवान व्यक्ति हर जगह सम्मान प्राप्त करता है । हालांकि ज्योतिष अनुसार अलग अलग विषयों से संबंधित शिक्षा प्राप्ति के लिए अलग अलग तरह के ग्रह योग बताये गए हैं जिनकी चर्चा एक ही पोस्ट में करना संभव नहीं , लेकिन बेहतर शिक्षा, बिना रुकावट की शिक्षा एवं मन अनुकूल शिक्षा प्राप्ति भी महत्वपूर्ण विषय है इस लिए इस पोस्ट में इसी की चर्चा करते हैं :
Primary Education ( द्वितीय भाव ) : इसको प्रारंभिक शिक्षा, घर परिवार से मिलने वाले संस्कार कहा जाता है क्योंकि माता - पिता ही व्यक्ति के पहले गुरु होते हैं । खास कर द्वितीय भाव धारण की जाने वाली चीजें हैं जिस में आचरण और संस्कार भी शामिल हैं । घर परिवार में सदस्यों का व्यवहार, इस के बाद स्कूल / कालेज में मित्रों से , आस पड़ोस से , इंटरनेट से, गुरुजनों से , किताबों से , कुल मिला कर इस दुनियादारी से जो कुछ भी व्यक्ति को प्राप्त होता है जो कुछ भी वह सीखता है यह द्वितीय भाव से संबंधित होता है । तभी कुछ लोग शुरुआती दौर में कुछ और होते हैं और फिर जीवन के बीतने से सीखते सीखते उनके व्यवहार में बदलाव आता है, जिनका आत्मबल कमज़ोर होता है वह दुखी और अकेले होते चले जाते हैं , जिनका आत्मबल मज़बूत होता है वह दुनिया की इस भाग दौड़ में खुद को आगे ले आते हैं । कुल मिला कर जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में हर तरह के ग्रह शूभता देते हैं जिस में शर्त यह है कि अगर ग्रह 2 से ज़्यादा हो तो उनकी आपस में शत्रुता ना हो नहीं तो वह द्वितीय भाव के फल की हानि करते हैं । चन्द्रमा जैसे शुभ ग्रह से लेकर शनि राहु जैसे पापी ग्रह भी अगर द्वितीय भाव में अकेले हो तो भी द्वितीय भाव को शुभ कहा जाता है , लेकिन ग्रहों की युति से हानि का विचार किया जाता है , ऐसे व्यक्ति जल्दी ही दुखी , थोड़ी सी असफलता से निराश होकर आत्मबल गवा लेते हैं ।
Secondary Education ( चतुर्थ भाव ) : ज्योतिष अनुसार इस को साथ लाई गई तकदीर कहा जाता है , वैसे भी चतुर्थ भाव मन का भाव है यानी मन की ख़ुशी अनुकूल रहन सहन । कोई विद्यार्थी कोनसे विषय पर ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ना पसंद करता है, कोनसे विषयो को वह समझ सकता है एवं उसकी मानसिकता किस तरह के विषयों को समझने के अनुकूल है यह सब चतुर्थ भाव से देखा जाता है , जैसे कि चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह ( चन्द्रमा, गुरु, शुक्र ) हो तो ऐसे जातक के लिए भोजन पदार्थों से संबंधित विषय, डिजाइनिंग कला एवं संगीत से संबंधित विषय उसके मन अनुकूल होंगे, जबकि क्रूर ग्रह ( सूर्य, मंगल ) चतुर्थ भाव में होने पर उसको साइंस , केमिस्ट्री, बायोलॉजी जैसे विषयों में रुचि होगी, जबकि पापी ग्रह ( शनि, राहु, केतु ) चतुर्थ भाव में होने पर हर रोज़ कुछ नया हो जैसे कि tech field है तो ऐसे लोगो को यह जानने की बड़ी उत्सुकता रहती है कि कोनसा मोबाइल नया आ रहा है , कोनसी bike / car नई आ रही है इस तरह की जानकारी इन्हें समेटना अच्छा लगता है । इस तरह चतुर्थ भाव में विराजमान ग्रह स्थिति को जानकर उस अनुकूल विषयों का चुनाव पढ़ाई के लिए किया जा सकता है ।
Degree\Course ( पंचम भाव ) : चतुर्थ भाव के रूप में किताबी ज्ञान प्राप्त किया जाता है या फिर इसको मैनुअली वर्क कह सकते हैं जिस में पंचम भाव यानी हम इंटेलिजेंस लगाते हैं, नया सीखते हैं , कोर्स / डिग्री करते हुए प्रेजेंटेशन देते हैं यानी खुद को दुनिया के सामने प्रेजेंट करते हैं , जो किताबी ज्ञान चतुर्थ भाव के रूप में प्राप्त किया उसको प्रैक्टिकल रूप देते हुए खुद से प्रयोग करते हैं, जैसे कि पढ़ी हुई computer की किताब से खुद से MS office का इस्तेमाल करते हुए खुद से worksheet पर कार्य करना, data sorting, formatting, डिज़ाइन सब कुछ खुद से तैयार करना तो यह सब पंचम भाव से संबंधित है । जिस से हमारे अंदर गुणों का विकास होता है और हम समझ जाते हैं कि इन रास्तों पर आगे बढ़ते हुए भविष्य में हम इन्हें अपनी आजीविका के साधन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं । तो कुल मिला कर जिनका भी पंचम भाव पीड़ित होता है शुभ ग्रहों की दृष्टि से रहित होता है वह किताबी ज्ञान को प्रैक्टिकल रूप नहीं दे पाते जिस से उन में गुणों का विकास नहीं होता और वह आगे चल कर बेहतर कैरियर नहीं बना पाते, इस लिए पंचम भाव की शूभता ज़रूरी है ।
Higher Education ( नवम भाव ) : नवम भाव का संबंध उच्च शिक्षा से है यानी माने कि पंचम भाव के रूप में किसी ने मोबाइल रिपेयरिंग का कार्य सीख लिया जिस से वह बेहतर दुकानदारी चला सकता है, लेकिन अगर नवम भाव मज़बूत है तो वह उच्च शिक्षा के लिए आगे जाता है कि यह मोबाइल बनाये कैसे जाते हैं, सॉफ्टवेयर कैसे install किये जाते हैं कैसे develop किये जाते हैं और वह उच्च शिक्षा प्राप्त करते हुए किसी बड़ी कंपनी में as software engineer कार्य कर सकता है । इस तरह पंचम और नवम भाव में यही फर्क है कि जिसको पंचम भाव का सपोर्ट है वह किसी मौहल्ले या शहर में मोबाइल रिपेयरिंग की दुकानदारी चला रहा है और जिसको नवम भाव का सपोर्ट है वह नामवर कंपनी में software engineer कार्य कर रहा है , जो कि दोनो का अपना अपना भाग्य है ।
जन्म कुण्डली में बिना रुकावट शिक्षा प्राप्ति के योग : हालांकि 2, 4, 5, 9, 11वे भाव का योगदान होना ज़रूरी है , लेकिन 4th भाव को शिक्षा प्राप्ति के लिए मुख्य भाव माना जाता है इस लिए चतुर्थ भाव एवं इसके स्वामी ग्रह का शुभ ग्रहों एवं भावों से संबंधित होना बिना रुकावट शिक्षा प्राप्ति के योग देता है , 4, 9, 11वे भावों का संबंध बेहतर होता है । इसके इलावा कारक बुध ग्रह की शूभता का विचार भी करना चाहिए । जैमिनी ज्योतिष अनुसार मातृकारक ग्रह का विचार किया जाता है , जबकि केपी ज्योतिष अनुसार 4th भाव cusp sub lord का संबंध नवम और एकादश भाव से होना उस जातक के लिए बेहतर शिक्षा प्राप्ति के योग देता है । वर्ग कुण्डली D24 में 2, 4, 5, 9, 11वे भावो की शूभता एवं कारक बुध ग्रह की शूभता का विचार करना चाहिए । पापी एवं क्रूर ग्रहों का संबंध इन के स्वामी ग्रहों से होना शिक्षा प्राप्ति में रुकावट देता है , इस के इलावा जब किसी की जन्म कुण्डली में 4th भाव का स्वामी 3, 8 या 10वे भाव में हो तो भी उसके लिए शिक्षा प्राप्ति में रुकावट आती है । बुध ग्रह किसी भी भाव में विराजमान होकर अशुभ फल दे रहा हो तो भी ऐसे विद्यार्थी का मन पढ़ाई में नहीं लगता , खास कर प्रतियोगी परीक्षा में वह बार बार असफल होता है ।