Lesson 28 - Mata Pita Aur Paitrik Sampda Ke Upay
माता से संबंधित सुख : ज्योतिष अनुसार जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव एवं स्वामी ग्रह का विचार माता के सुख के लिए किया जाता है, इस के साथ ही कारक ग्रह चन्द्रमा का विचार भी किया जाता है । जैमिनी ज्योतिष अनुसार मातृकारक ग्रह एवं केपी ज्योतिष अनुसार 4th भाव cusp sub lord ग्रह से जातक के लिए माता से संबंधित सुख का विचार किया जाता है । सामान्यता जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह ( चन्द्रमा, गुरु, शुक्र ) होने पर जातक को माता का पूर्ण सुख मिलता है, जबकि क्रूर ग्रह ( सूर्य, मंगल ) चतुर्थ भाव में होने पर जातक की माता जातक की कोई परवाह नहीं करती, जबकि पापी ग्रह ( शनि, राहु, केतु ) चतुर्थ भाव में होने पर जातक की माता का स्वास्थ्य खराब रहने की वजह से जातक को माता का सुख नहीं मिलता । इसी तरह कारक ग्रह चन्द्रमा का संबंध जन्म कुण्डली में पापी एवं क्रूर ग्रहों से बने तो भी जातक की माता का स्वास्थ्य खराब रहता है । इस के इलावा चतुर्थ से चतुर्थ यानी जन्म कुण्डली के सप्तम भाव , चन्द्र कुण्डली के चतुर्थ भाव की शुभ अशुभता का विचार भी करना ज़रूरी होता है । वर्ग कुण्डली में D12 वर्ग कुण्डली में चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, चन्द्रमा एवं चन्द्रमा से चतुर्थ भाव की शुभ अशुभ स्थिति का भी विचार करना चाहिए । इन सब का विचार करने पर अगर संकेत शुभ हो तो माता के सुख समझने चाहिए , जबकि संकेत अशुभ होने पर जातक के लिए मातृ सुख की कमी होती है ।
पिता से संबंधित सुख : ज्योतिष अनुसार जन्म कुण्डली के नवम भाव एवं उस के स्वामी ग्रह का विचार पिता के सुख के लिए किया जाता है, इस के साथ ही कारक ग्रह सूर्य का विचार भी किया जाता है । जैमिनी ज्योतिष अनुसार पितृकारक ग्रह एवं केपी ज्योतिष अनुसार 9th भाव cusp sub lord ग्रह से जातक के लिए पिता से संबंधित सुख का विचार किया जाता है । सामान्यता जन्म कुण्डली के नवम भाव में शुभ ग्रह ( चन्द्रमा, गुरु, शुक्र ) होने पर जातक को पिता का पूर्ण सुख मिलता है, जबकि क्रूर ग्रह ( सूर्य, मंगल ) नवम भाव में होने पर जातक का पिता जातक की कोई परवाह नहीं करता, जबकि पापी ग्रह ( शनि, राहु, केतु ) चतुर्थ भाव में होने पर जातक के पिता का स्वास्थ्य से पीड़ित एवं बुरी आदतों में लगा रहता है इस वजह से जातक को पिता का सुख नहीं मिलता । इसी तरह कारक ग्रह सूर्य का संबंध जन्म कुण्डली में पापी एवं क्रूर ग्रहों से बने तो भी ऐसे जातक को पिता की और से सुख की कमी का अनुभव होता है । इस के इलावा नवम से नवम यानी पंचम भाव, सूर्य से नवम भाव की शुभ अशुभ स्थिति का भी विचार करना ज़रूरी होता है । वर्ग कुण्डली D12 में नवम भाव, पंचम भाव, सूर्य एवं सूर्य से नवम भाव की शुभ अशुभ स्थिति का विचार करना चाहिए । इन सब का विचार करने पर अगर संकेत शुभ हो तो पिता के सुख समझने चाहिए , जबकि संकेत अशुभ होने पर जातक को पिता की और से सुख की कमी का अनुभव होता है ।
पैतृक धन संपदा के सुख : जन्म कुण्डली का नवम भाव पिता का है तो दसम भाव पिता की धन दौलत का है धन दौलत के लिए मोक्ष भाव नवम भाव है । इस तरह पैतृक धन संपदा के सुख के लिए जन्म कुण्डली का नवम भाव, द्वितीय भाव ( 6th from 9th indicate how your parents serve you ) और एकादश भाव ( house of general happiness ) का विचार किया जाता है, इसके इलावा कारक गुरु ग्रह से नवम भाव का भी विचार करना चाहिए । वर्ग कुण्डली D12 में नवम भाव, पंचम भाव, गुरु ग्रह एवं गुरु ग्रह से नवम भाव , D12 के द्वितीय एवं एकादश भाव की शुभ - अशुभता का विचार करना चाहिए । जैमिनी ज्योतिष अनुसार पितृकारक ग्रह का विचार ही इसके लिए किया जाता है, जबकि केपी ज्योतिष अनुसार 9th भाव cusp sub lord का संबंध जन्म कुण्डली के द्वितीय एवं एकादश भाव से होने पर जातक को पैतृक धन संपदा के सुख प्राप्त होते हैं । इस तरह जन्म कुण्डली का आंकलन करने पर शुभ संकेत मिले तो पैतृक धन संपदा के सुख जातक के लिए समझने चाहिए ।