Lesson 25 - Shani Rahu Ketu Ke Upay
ज्योतिष में शनि, राहु, केतु को पापी ग्रह माना जाता है और यदि जन्म कुण्डली में इन ग्रहों की स्थिति अच्छी ना हो , खास कर जन्म कुण्डली के केंद्र भाव ( 1, 4, 7, 10 ) में हो तो जीवन में गंभीर समस्या यह ग्रह देते हैं । और समस्या जितनी बड़ी हो उपाये भी देर तक करने की ज़रूरत पड़ती है और पूरे समर्पण भाव वह उपाये करने चाहिए , तभी इन ग्रहों से होने वाली परेशानी दूर होती है , क्योंकि बहुत लोग होते हैं जो उपाये करते हैं लेकिन वह सहज नहीं होते , उनकी सोच होती है कि एक दम से उपाये करते उनकी समस्या छू मंतर हो जाये जो कि संभव नहीं है । सबसे पहले तो कुछ लोगों को सही उपाये की जानकारी ही नहीं होती वह सिर्फ यह समझते हैं कि दान ही करना है कहीं भी कर सकते हैं जो कि सही नहीं । तो इस पोस्ट में शनि, राहु, केतु से संबंधित उचित उपाये की बात करेंगे लेकिन इस से पहले ऐसे दोष का कारण जानते हैं :
शनि राहु केतु की वजह से बनने वाले दोष : शनि ग्रह की बात करें तो शनि ग्रह अनुशासन और कानून को दर्शाते हैं , सेवा को दर्शाता है , क्योंकि ग्रह पूर्व जन्म के कर्म को दर्शाते हैं जिनका फल इस जन्म में आपको भोगना है , तो शनि ग्रह से बनने वाले दोष ( सूर्य शनि युति, चन्द्र शनि युति, गुरु शनि युति ) ऐसे ग्रह युति बनने का कारण उस व्यक्ति द्वारा पूर्व जन्म में संबंधित रिश्ते का अपमान करना होता है , क्योंकि जब हम किसी का अपमान करते हैं तो वह भी हम से रूखा व्यवहार करने लगता है , तो इस लिए इस जन्म में ऐसे जातक से उस ग्रह से संबंधित रिश्ते रूखा व्यवहार करते हैं । वह रिश्ते अपनी तरफ से कोई कष्ट तो नहीं देते लेकिन किसी तरह की मदद करने से भी परहेज करते हैं, यह स्थिति उस ग्रह पर शनि का प्रभाव होने की वजह से होती है । राहु और केतु की बात करें तो राहु पास रहते हुए भी छल का कारक है, जबकि केतु बिलकुल ही दूर चले जाने का कारक है । तो जब भी किसी ग्रह पर राहु की दृष्टि या युति से प्रभाव हो तो यह समझना चाहिए कि इस व्यक्ति ने पिछले जन्म में इस संबंधित रिश्ते के पास रहते हुए भी उसको धोखे में रख कर उसको पूरी तरह बर्बाद किया होगा, जिस से अब इस जन्म में वह ग्रह राहु से पीड़ित है और उस ग्रह से संबंधित रिश्ते की वजह से जातक को भी गम्भीर नुकसान होगा । और केतु की बात करें तो जिस ग्रह पर केतु की दृष्टि या युति प्रभाव हो तो यह समझना चाहिए कि पिछले जन्म में इस जातक ने इस रिश्ते से बिलकुल ही किनारा कर रखा था , जिसकी वजह से अब वह ग्रह केतु के प्रभाव में है और उस ग्रह से संबंधित रिश्तों का सुख भी जातक को जीवन में प्राप्त नहीं होने वाला । इस लिए शनि राहु केतु की वजह से प्राप्त होने वाले इस तरह के कष्ट को ग्रह शांति, पूजन, दान से , सेवा भाव से दूर किया जाना चाहिए ।
इस तरह बनने वाले ग्रह दोष के उपाये : उपाये हमेशा ग्रहो के भाव को समझ कर करने चाहिए , जैसे कि शनि ग्रह सेवा भाव से प्रसन्न होते हैं कर्म से प्रसन्न होते हैं, माने किसी की जन्म कुण्डली में शुक्र शनि की युति हो तो ऐसे जातक को चाहिए वह खुद को विचारों से और व्यवहार से स्त्रियों के लिए अच्छा बनाये, खास कर शुक्र प्रेम और रिश्ते का कारक ग्रह है तो जहां भी 2 लोगों को झगड़ते देखें उनको शांत करने के प्रयास करें, किसी ज़रूरतमंद को नोकरी दिलवाने का प्रयास करें, जिसका विवाह ना हो रहा हो उसका विवाह करवाने का प्रयास करें , किसी कन्या का विवाह करवाने में उस में होने वाले खर्च में योगदान करें । इस तरह अन्य ग्रहों के मामलों में भी सेवा भाव योगदान देने से शनि ग्रह के दुष्प्रभाव दूर होंगे । राहु का विचार करें तो यह ग्रह पूजा उपासना, यज्ञ, दान - दक्षिणा से प्रसन्न होता है जो कि खुद के द्वारा तीर्थ स्थल ( जैसे कि उज्जैन, हरिद्वार, काशी ) इस तरह के स्थलों पर जाकर यह कर्म करने चाहिए, खास कर सूर्य ग्रहण , चन्द्र ग्रहण , अमावस्या एवं सक्रांति जैसी तिथि का चयन करना शुभकारी होता है , और पूजा के उपरांत योग्य ब्राह्मण को उचित दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए । जबकि केतु ग्रह त्याग और मोक्ष का कारक ग्रह है इस लिए संबंधित दिन पर व्रत करते हुए अपने हिस्से के भोजन का दान किसी जरूरतमंद को करना उत्तम उपाये होता है , जैसे कि माने किसी की जन्म कुण्डली में मंगल केतु की युति या मंगल पर केतु की दृष्टि है तो उसको मंगलवार के दिन व्रत करते हुए भोजन का दान किसी जरूरतमंद को करना चाहिए , और साथ ही धोखा, छल कपट, निंदा चुगली से भी बचना चाहिए , तभी इस तरह की ग्रह युति के दुष्प्रभाव दूर होते हैं ।