Lesson 23 - Navgrehon Se Sambandhit Upay

 Lesson 23 - Navgrehon Se Sambandhit Upay 

नवग्रहों से संबंधित उपाये आधार व्याख्या

 

 प्रथम भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु को गले में धारण करना चाहिए

 द्वितीय भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु को देवी - देवता को अर्पित करना चाहिए

 तृतीय भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु को बाजू / हाथ में धारण करना चाहिए

 चतुर्थ भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु को जल प्रवाह करें या पर्स में रखें 

 पंचम भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु को शिक्षा संस्थान में पहुंचाए या विद्यार्थी को दान करें 

 छ्ठे भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु को गड्ढे / कुएं / बरसाती नाले में गिराएं

 सप्तम भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु को मिट्टी में दबाएं

 अष्टम भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु को श्मशान / खाली जमीन में दबाएं

 नवम भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु को संगत में बांटे

 दसम भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु का सरकारी जमीन पर उपाये करें या सरकारी कर्मचारी को दान 

 एकादश भाव में विराजमान ग्रह के लिए ग्रह से संबंधित रंग का रुमाल उपयोग में लाएं

 द्वादश भाव में ग्रह का प्रभाव पहुचांने के लिए संबंधित वस्तु को छत पर रखें 

कारक ग्रह को धारण करने का उपाये : किसी भी कारण वश किसी भाव से संबंधित फल प्राप्ति में बाधा का अनुभव हो तो उस भाव के कारक ग्रह के उपाये के तौर पर जातक को ग्रह से संबंधित जड़ी / ओषधि जल में मिला कर स्नान ज़रूर करना चाहिए, जैसे कि गुरु ग्रह 2, 5, 9, 12वे भाव का कारक ग्रह है तो जब भी इन में से किसी भाव से फल प्राप्ति में बाधा का अनुभव हो तो बाकी उपायों के साथ जातक को जल में हल्दी मिला कर स्नान करना चाहिए , प्रथम भाव के लिए बेल के पत्ते जल में मिला कर स्नान करें, तृतीय भाव के लिए नीम के पत्ते , चतुर्थ भाव के लिए जल में दूध मिला कर , छ्ठे भाव के लिए दूर्वा जल में मिला कर, सप्तम भाव के लिए हरी इलायची पानी में उबाल कर उस पानी को स्नान करने वाले जल में मिला दें , अष्टम और दसम भाव के लिए स्नान से पहले सरसो का तेल से मालिश करें , एकादश भाव के लिए जल में काले तिल मिला कर स्नान करें , यह उपाये लगातार 43 दिन करना चाहिए ।

काल पुरूष कुण्डली अनुसार नीच ग्रह के दान का उपाये : जैसे कि किसी की जन्म कुण्डली में चतुर्थ भाव में पापी ग्रह होकर सुख स्थान को खराब कर रहे हो तो , कालपुरुष कुण्डली अनुसार चतुर्थ भाव में मंगल नीच का होता है, इस लिए ऐसे जातक को सुख स्थान की शूभता के लिए मंगल से संबंधित दान करने चाहिए , इसी तरह लग्न भाव में शनि नीच का होता है तो लग्न भाव की शूभता के लिए शनि के दान किये जा सकते हैं । 

एक ही भाव में दो शत्रु ग्रह हो : जैसे कि जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में सूर्य शनि की युति हो तो इस स्थिति में उस भाव की शूभता के लिए बुध ग्रह को उस भाव में स्थापित करना चाहिए क्योंकि बुध ग्रह दोनो का मित्र ग्रह है इस तरह बुध के उपाये से सूर्य शनि का झगड़ा खत्म हो जाएगा और भाव से शुभ फल आने लगेंगे । 


Deep Ramgarhia

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