Lesson 22 - Lal Kitab Dasha Chakra
जिस तरह वैदिक ज्योतिष में विमशोत्री दशा होती है जिसका चक्र 120 वर्ष होता है, इसी तरह लाल किताब अनुसार 35 वर्ष चक्र दशा का प्रयोग किया जाता है, 35 वर्ष के बाद दशा पुण्य शुरू होती है , जो कि निम्न अनुसार है :
शनि दशा : ( वर्ष 1 से 6, 36 से 41, 71 से 76 तक )
राहु दशा : ( वर्ष 7 से 12, 42 से 47, 77 से 82 तक )
केतु दशा : ( वर्ष 13 से 15, 48 से 50, 83 से 85 तक )
गुरु दशा : ( वर्ष 16 से 21, 51 से 56, 86 से 91 तक )
सूर्य दशा : ( वर्ष 22 , 23, 57, 58, 92, 93 )
चन्द्र दशा : ( वर्ष 24, 59, 94 )
शुक्र दशा : ( वर्ष 25 से 27, 60 से 62, 95 से 97 तक )
मंगल दशा : ( वर्ष 28 से 33, 63 से 68, 98 से 103 तक )
बुध दशा : ( वर्ष 34, 35, 69, 70, 104, 105 )
इसी तरह ग्रह दशा की तरह भाव दशा का भी प्रयोग किया जाता है , जिस से किसी विशेष भाव की शुभ - अशुभ स्थिति अनुसार उस वर्ष मिलने वाले शुभ अशुभ फल का निर्धारण होता है , जो कि निम्न अनुसार है :
प्रथम भाव : 1, 13, 25, 37, 49, 61, 73, 85वा वर्ष
द्वितीय भाव : 2, 14, 26, 38, 50, 62, 74, 86वा वर्ष
तृतीय भाव : 3, 15, 27, 39, 51, 63, 75, 87वा वर्ष
चतुर्थ भाव : 4, 16, 28, 40, 52, 64, 76, 88वा वर्ष
पंचम भाव : 5, 17, 29, 41, 53, 65, 77, 89वा वर्ष
छठा भाव : 6, 18, 30, 42, 54, 66, 78, 90वा वर्ष
सप्तम भाव : 7, 19, 31, 43, 55, 67, 79, 91वा वर्ष
अष्टम भाव : 8, 20, 32, 44, 56, 68, 80, 92वा वर्ष
नवम भाव : 9, 21, 33, 45, 57, 69, 81, 93वा वर्ष
दसम भाव : 10, 22, 34, 46, 58, 70, 82, 94वा वर्ष
एकादश भाव : 11, 23, 35, 47, 59, 71, 83, 95वा वर्ष
द्वादश भाव : 12, 24, 36, 48, 60, 72, 84, 96वा वर्ष