Lesson 21 - Grehon Dwara Vishesh Aayu Me Fal Vichar
ज्योतिष अनुसार सभी ग्रह उम्र के किसी विशेष पड़ाव पर अपना प्रभाव देते हैं , यह शुभ और अशुभ दोनो तरह के हो सकते हैं जन्म कुण्डली में ग्रह स्थिति अनुसार । जन्म कुण्डली में वह ग्रह भाव स्थिति अनुसार शुभ प्रभाव में हो जैसे कि पापी और क्रूर ग्रह ( सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु ) जन्म कुण्डली के 3, 6, 10, 11वे भाव में शूभता देते हैं और नैसर्गिक शुभ ग्रह ( चन्द्रमा, बुध, गुरु, शुक्र ) अन्य भावों में ( 1, 2, 4, 5, 7, 9 ) में शूभता देते हैं । इस तरह नवग्रह विशेष आयु में शुभ या अशुभ प्रभाव देते हुए अपने भाव एवं कारक विषयो के सुख संबंधित फल देते हैं , जैसे कि :
सूर्य : शुभ होने पर 22वे वर्ष में पिता के द्वारा लिए गए विशेष फैसले सुख देने वाले साबित होते हैं , जबकि सूर्य अशुभ होने पर पिता द्वारा लिए गए गलत फैसलों से धन का नुकसान होता है और उस नुकसान की वजह से पिता पुत्र में विवाद होते हैं ।
चन्द्रमा : शुभ होने पर 24वे वर्ष से घर में ज़मीन से जुड़े कार्य , वाहनों से जुड़े कार्य बनते हैं , मातृ सुख की वृद्धि होती है , जबकि अशुभ होने पर वाहन की खराबी , घर में रोग , माता को तनाव होता है ।
मंगल : शुभ होने पर 28वे वर्ष से पराकर्म की वृद्धि होती है, नई नोकरी / व्यवसाय , आय के नए साधन , भाइयों से संबंध मधुर होते हैं , जबकि अशुभ होने पर भाइयों से संबंध खराब, वाहन से दुर्घटना , चोट लगती है ।
बुध : शुभ होने पर 32वे वर्ष में व्यवसाय में लाभ, धन के लिए यात्राएँ होती हैं जो सफल रहती हैं । जबकि अशुभ होने पर धन हानि विशेष कर मित्र एवं शेयर बाजार से हानि , व्यर्थ की यात्राएं होती हैं ।
ब्रहस्पति : शुभ होने पर 16वे वर्ष में शिक्षा में बेहतर स्थिति, घर में शुभ कार्य होते हैं , प्राप्त की गई शिक्षा से रोजगार की प्राप्ति भी हो जाती है । जबकि अशुभ होने पर शिक्षा में बाधा, बड़ो द्वारा कष्ट , मन में बुरे विचार आना एवं प्राप्त की गई शिक्षा भी लाभ नहीं देती ।
शुक्र : शुभ होने पर 25वे वर्ष तक विवाह हो जाता है , जबकि अशुभ होने पर गलत कार्यो में रुचि , चरित्र खराब होने की समस्या आती है ।
शनि : शुभ होने पर 36वे वर्ष में करियर में नई शुरुआत, धन संबंधी कार्यो में सफलता मिलती है , जबकि अशुभ होने पर नोकरी / व्यवसाय में विपरीत फल, परिवार में कलह , सगे संबंधी की वजह से कष्ट होता है ।
राहु : शुभ होने पर 42वे वर्ष में धन आगमन से घर में सुख साधनों की वृद्धि , वाहन सुख , गाड़ी के सुख प्राप्त होते हैं , जबकि अशुभ होने पर परिवार में कलह, धन के नुकसान , रिश्तेदारों की वजह से कष्ट होता है ।
केतु : शुभ होने पर 48वे वर्ष में प्रॉपर्टी की वृद्धि , पैतृक धन संपदा की प्राप्ति होती है , जबकि अशुभ होने पर पुत्र संतान की वजह से कष्ट होता है ।