Lesson 10 - Varga Kundli Ki Jaankari
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ज्योतिष में वर्ग कुण्डली का विशेष महत्व है, जीवन के किसी भी पहलू पर विचार करने में संबंधित ग्रहो के बल को वर्ग कुण्डली में देखना अनिवार्य होता है । कुल मिला कर 16 वर्ग कुण्डली का उपयोग किया जाता है
1, राशि / लग्न कुण्डली / D1 : शारीरिक सुख
2, होरा / D2 : आर्थिक सुख
3, द्वेषकोंण / D3 : छोटे भाई / बहन और पराकर्म
4, चतुरंश / D4 : मातृभूमि और ज़मीन के सुख
5, सप्तअंश / D7 : संतान के सुख
6, नवांश / D9 : जीवनसाथी के सुख
7, दशमांश / D10 : नोकरी / व्यवसाय के सुख
8,द्वादशं / D12 : माता - पिता के सुख
9, शोदंश / D16 : वाहन और अन्य भौतिक सुख
10, विमशंश / D20 : आध्यात्मिक जीवनशैली
11, चतुर्विंशांश / D24 : ज्ञान और शिक्षा
12, नक्षत्रशंश / D27 : ताकत और कमजोरी संबंधी विचार
13, त्रिमशांश / D30 : दुर्भाग्य, झगड़े और पराजय
14, खावेदंश / D40 : जीवन के सुख और दुख संबंधी विचार
15, अक्षवेदंश / D45 : सामान्य जीवन
16, षष्टिअंश / D60 : भूतकाल के कर्म और इनके फल विचार
उदाहरण के लिए : अगर किसी के लिए नोकरी / व्यवसाय का विचार करना हो तो D 1, D 3 और D 10 कुण्डली का अध्ययन करना चाहिए , विशेष कर कारक ग्रहो ( सूर्य, मंगल, बुध और शनि ) का अध्ययन करना चाहिए । इसी तरह माता - पिता के सुख के लिए D 1 और D 12 कुण्डली का अध्ययन करना चाहिए ।