Lesson 31 - Janam Kundli Se Jaane Swasthya
ज्योतिष हमारे शरीर की बनावट को समझने में भी सहायता करता है कि कोनसी प्रकृति के रोग हमें जीवन में परेशान कर सकते हैं , एवं किस तरह के गम्भीर रोग परेशान कर सकते हैं जिस से हम समय रहते परहेज़ करते हुए जीवनभर रोग मुक्त रहते हुए अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते हैं । तो इस पोस्ट में स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी पर चर्चा करते हैं :
छठा भाव है रोग स्थान : जन्म कुण्डली के 12 भावों में से छ्ठे भाव को रोग का स्थान कहा जाता है, इस तरह लग्न की स्थिति के आधार पर छ्ठे भाव में जो राशि आती है उस के स्वामी ग्रह की प्रकृति के अनुसार हमें उस तरह के रोग जीवन में परेशान करते हैं । जैसे कि यदि रोग भाव का स्वामी क्रूर ग्रह ( सूर्य, मंगल ) हो तो पित्त / गर्मी के रोग परेशान करते हैं जैसे कि बुखार, शरीर में थकावट , खून की कमी, हृदय, पेट और लिवर से संबंधित रोग, सर दर्द एवं आंखों से संबंधित रोग परेशान करते हैं । इसी तरह अगर छ्ठे भाव का स्वामी ग्रह शुभ ग्रह ( चन्द्रमा, गुरु, शुक्र ) हो तो कफ / जल तत्व के रोग परेशान करते हैं जैसे कि सर्दी ज़ुकाम से जुड़े रोग, इन्फेक्शन से जुड़े रोग, जल की कमी के चलते रूसी की समस्या, चेहरे का निखार कम होने लगता, खून में हीमोग्लोबिन या सेल्स की कमी के चलते आलस्य होना, हार्मोन्स से संबंधित समस्या , शरीर में प्रोटीन की कमी के चलते बाल झड़ने की समस्या , शरीर में कैल्शियम की कमी के चलते सौंदर्य की कमी होने लगना , खराब भोजन की आदतों की वजह से होने वाली सभी तरह की बीमारियां ( शुगर, डायबिटीज, उच्च व निम्न रक्त चाप, तनाव के चलते आंखों की कमज़ोरी, सफेद बाल, चर्म रोग ) यह सब रोग परेशान करते हैं । इसी तरह जब छ्ठे भाव का स्वामी ग्रह शनि हो तो वात / गैस / एसिडिटी की वजह से बढ़ती उम्र के साथ घुटनों एवं जोड़ों में दर्द की समस्या, कमर दर्द की समस्या, श्वास रोग / अस्थमा, पेट गैस की वजह से सर चकरा जाना, बढ़ती उम्र के साथ बढ़ रहा वजन ना सहार पाने से गठिया, अधरंग, लकवे की समस्या जो कि शनि के दुष्प्रभाव होते हैं तो इस तरह की समस्या परेशान करती है । इसी तरह जब छ्ठे भाव का स्वामी ग्रह बुध हो तो नसों से संबंधित समस्या, शरीर में पथरी की समस्या, शरीर के रोम बंद होने की वजह से चर्म रोग, दिमागी तौर पर कमज़ोर या उतेजित होकर मारपीट करने की आदत इस तरह के रोग परेशान करते हैं ।
छ्ठे भाव में विराजमान ग्रह : छ्ठे भाव में विराजमान ग्रहों को भी उनकी प्रकृति अनुसार समझना चाहिए जो कि बताया जा चुका है , इस तरह संबंधित ग्रह की प्रकृति को जानकर उस अनुसार परहेज़ रखते हुए हम जीवन में गंभीर बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं । यदि कोई भी एक पापी / क्रूर ग्रह छ्ठे भाव में विराजमान हो तो वह नुकसान नहीं करता जब तक उसको किसी अन्य पापी / क्रूर ग्रह का साथ ना मिले , इस लिए सिर्फ एक ग्रह की स्थिति से जीवन में गम्भीर रोग की स्थिति नहीं आती । राहु की स्थिति वायरस से होने वाली गम्भीर बीमारी को दर्शाती है जबकि केतु की रोग भाव में स्थिति सर्जरी / ऑपरेशन की स्थिति को दर्शाती है ।
स्वास्थ्य से जुड़े टिप्स : इस तरह यदि छ्ठे भाव का संबंध सूर्य / मंगल से बने तो चटपटे और तेज़ मिर्च मसाले वाले भोजन से परहेज़ करना चाहिए, यदि छ्ठे भाव का संबंध चन्द्रमा / गुरु / शुक्र से बने तो ठंडी चीज़ों से परहेज़ करते हुए नियमित गुनगुने जल का सेवन करना चाहिए , जल की कमी शरीर में ना रहने दें , यदि छ्ठे भाव का संबंध शनि ग्रह से बने तो बासी भोजन करने से बचना चाहिए, चाय काफी का सेवन कम करना चाहिए , यदि बुध ग्रह का संबंध छ्ठे भाव से बने तो विटामिन सी से भरपूर चीज़ों का सेवन करना चाहिए । इसी तरह राहु / केतु का संबंध छ्ठे भाव से होने पर बाहर के खाने से खास कर जंक फूड से परहेज़ करना चाहिए ।