Lesson 19 - Kundli Me Grehon Ke Dosh
पितृ दोष : ज्योतिष में सूर्य को पिता के सुख का कारक ग्रह माना जाता है । लेकिन जिस जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य शत्रु ग्रहों ( शनि, राहु, केतु ) से पीड़ित होता है युति या दृष्टि से, तो इस तरह जन्म कुण्डली में सूर्य के पीड़ित होने को पितृ दोष कहा जाता है । ऐसे जातक को सूर्य ग्रह से संबंधित कारक सुख जैसे कि नोकरी / व्यवसाय में प्रतिष्ठा , पिता एवं सरकार से लाभ, सही पाचन तंत्र, स्वस्थ आंखें व मज़बूत शरीर इन सब के सुख का अभाव ऐसे जातक को रहता है ।
उपाये : इस लिए ऐसे जातक को जन्म कुण्डली में विराजमान पीड़ित सूर्य की शूभता के लिए उचित उपाये करने चाहिए, सप्तमी तिथि के दिन व्रत करते हुए सूर्य उपासना करनी चाहिए , रविवार के दिन सूर्य से संबंधित चीज़ों ( गुड़, गेहूं, बाजरा, तांबा, लाल वस्त्र, खट्टी चीज़े जैसे कि संतरा, आंवला ) का दान करना चाहिए ।
मातृ दोष : ज्योतिष में चन्द्रमा को माता के सुख का कारक ग्रह माना जाता है । लेकिन जिस जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा पाप ग्रहों ( शनि, राहु, केतु ) से पीड़ित होता है युति या दृष्टि से , तो इस तरह चन्द्रमा के पीड़ित होने के मातृ दोष कहा जाता है । ऐसे जातक को चन्द्रमा के कारक सुख जैसे कि ज़मीन के सुख, माता के सुख, सही समय पर भोजन प्राप्ति के सुख का अभाव रहता है , और हमेशा ही दूसरों के व्यवहार से पीड़ित होकर मानसिक रूप से दुखी ऐसा जातक रहता है ।
उपाये : इस लिए ऐसे जातक को जन्म कुण्डली में विराजमान पीड़ित चन्द्रमा के लिए उचित उपाये करने चाहिए , अमावस्या के दिन का व्रत करते हुए चन्द्र ग्रह की मज़बूती के लिए चन्द्रमा से संबंधित मन्त्र जप करने चाहिए एवं चन्द्रमा से संबंधित चीज़ों ( दूध, गंगाजल, सफेद वस्त्र, चांदी ) का दान करना चाहिए ।
आध्यात्मिक दोष : ज्योतिष में गुरु ग्रह को सम्मान एवं बड़ो के सुख का कारक ग्रह माना जाता है । लेकिन जिस जातक की जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह पाप ग्रहों ( शनि, राहु, केतु ) से पीड़ित होता है युति या दृष्टि से, तो इस तरह गुरु ग्रह के पीड़ित होने को आध्यात्मिक दोष कहा जाता है । ऐसे जातक को गुरु ग्रह के कारक सुख जैसे कि बड़ो एवं गुरुजनों का आशीर्वाद , आर्थिक समृद्धि , एवं अच्छे अच्छे भोजन पदार्थों के सुख का अभाव रहता है ।
उपाये : इस लिए ऐसे जातक को जन्म कुण्डली में विराजमान पीड़ित गुरु ग्रह की मज़बूती के लिए उपाये करने चाहिए, पूर्णिमा के दिन व्रत करते हुए सत्य नारायण भगवान जी की पूजा करनी चाहिए एवं कथा का श्रवण करना चाहिए , गुरुवार के दिन गुरु ग्रह से संबंधित मन्त्र जप करने चाहिए एवं संबंधित चीज़ों ( पीले चने की दाल, हल्दी, पीले वस्त्र ) का दान करना चाहिए ।
सगे संबंधी का दोष : ज्योतिष अनुसार मंगल ग्रह को सगे संबंधी के सुख का कारक ग्रह माना जाता है । लेकिन जिस जातक की जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह पाप ग्रहों ( शनि, राहु, केतु ) से पीड़ित होता है युति या दृष्टि से, तो इस तरह मंगल ग्रह के पीड़ित होने को सगे संबंधी का दोष कहा जाता है । ऐसे जातक को मंगल ग्रह से संबंधित कारक सुख जैसे कि मित्रो एवं भाइयों के सुख, पराकर्म, परिवार के सुख का अभाव रहता है ।
उपाये : इस लिए ऐसे जातक को जन्म कुण्डली में विराजमान पीड़ित मंगल ग्रह की मज़बूती के लिए उपाये करने चाहिए, तृतीय तिथि का व्रत करते हुए माता पार्वती और शिवजी का पूजन करना चाहिए, मंगलवार के दिन मंगल ग्रह से संबंधित चीज़ों ( पका हुआ भोजन, लाल मसूर की दाल, लाल वस्त्र, शहद ) का दान करना चाहिए ।
जड़ दोष : ज्योतिष में बुध ग्रह को पृथ्वी तत्व ग्रह बताया गया है, जन्म कुण्डली में बुध ग्रह की शुभ स्थिति जीवन के सभी विषयों में स्थाईत्व प्रदान करती है जबकि अशुभ स्थिति होने से जीवन के किसी भी विषय में स्थाईत्व का अभाव रहता है , कोई भी खुशी या सफलता प्राप्त हो तो उसका आनंद देर तक नहीं रहता , एक जगह नोकरी नहीं लगती , बनाये गए मित्र कुछ ही महीनों में साथ छोड़ देते हैं , नए नए बनाये गए रिश्ते सुख देते हैं जब पुराने हो जाते हैं तो एक दूसरे का सुख दुख भी नहीं पूछते । इस तरह ऐसे जातक का जीवन हर तरह से कष्टमय होता है ।
उपाये : इस लिए ऐसे जातक को चाहिए कि वह जन्म कुण्डली में विराजमान बुध ग्रह की शूभता के लिए उचित उपाये करे , चतुर्थी तिथि पर व्रत करे तथा इस दिन गणपति जी की पूजा आराधना करें , बुधवार के दिन बुध ग्रह से संबंधित चीज़ों ( हरी सब्जी, हरा वस्त्र का दान करे , कन्याओं की पूजा करे तथा किन्नरों से आशीर्वाद प्राप्त करे
स्त्री दोष : ज्योतिष अनुसार शुक्र ग्रह को स्त्री एवं भौतिक सुखों का कारक ग्रह माना जाता है । लेकिन जिस जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र ग्रह पापी ग्रहों ( शनि, राहु, केतु ) से पीड़ित हो युति एवं दृष्टि से, तो ऐसे जातक के जीवन में शुक्र ग्रह से संबंधित कारक सुख जैसे कि प्रेमी / प्रेमिका के सुख, जीवनसाथी के सुख, गाड़ियों के सुख, अच्छे और महंगे वस्त्र एवं आभूषणों के सुख का अभाव रहता है ।
उपाये : इस लिए ऐसे जातक को जन्म कुण्डली में विराजमान शुक्र ग्रह की शूभता प्राप्ति के लिए उचित उपाये करने चाहिए, शुक्रवार के दिन का व्रत करते हुए माता लक्ष्मी जी की पूजा आराधना सूर्य अस्त के बाद करनी चाहिए , और इस दिन शुक्र से संबंधित चीज़ों ( शिंगार की चीज़ें, गुलाबी वस्त्र, इत्र, घी और माखन ) के दान करने चाहिए ।
कर्म नाश योग : ज्योतिष अनुसार शनि ग्रह को कर्म कारक ग्रह बताया गया है जो कि शुभ स्थिति होने पर जातक को उस के कार्य में निपुणता देते हुए उसको नोकरी एवं व्यवसाय के सुख देता है । लेकिन जब जन्म कुण्डली में शनि ग्रह राहु से युति में हो या राहु की दृष्टि में हो तो इस स्थिति में कर्म नाश योग बनता है । ऐसे जातक को जीवन में किसी भी कार्य में निपुणता नहीं मिलती , ना ही उसका कोई स्थाई कार्य बन पाता है , जिसकी वजह से वह हमेशा अकुशल ही रहता है ।
उपाये : इस लिए ऐसे जातक को जन्म कुण्डली में विराजमान शनि ग्रह की शूभता के लिए उपाये करने चाहिए, अष्टमी तिथि का व्रत करना चाहिए , उस दिन कन्या पूजन करते हुए कन्याओं में मिठाई या दूध से बने व्यंजनों को बांटना चाहिए , शनिवार के दिन शनि ग्रह से संबंधित चीज़ों ( सरसो का तेल, लोहा, काला वस्त्र , उड़द ) के दान करने चाहिए ।